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झारखंड स्थापना दिवस: भाजपा के आगरा अधिवेशन में पास हुआ था प्रस्ताव, इंदर सिंह नामधारी ने उठाई थी आवाज

झारखंड गठन में पूर्व सांसद इंदर सिंह नामधारी का अहम योगदान है. राज्य गठन के बाद वो पहले विधानसभा अध्यक्ष बने.

formation of Jharkhand
झारखंड विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी (ईटीवी भारत)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : 2 hours ago

पलामू: आज झारखंड स्थापना दिवस है. झारखंड के गठन से जुड़ी हुई कई कहानियां हैं. झारखंड के कई दिग्गजों ने इसके गठन में अपनी भूमिका निभाई है. एक लंबी लड़ाई के बाद 2000 में झारखंड का गठन हुआ. बिहार के दक्षिणी भाग को काटकर झारखंड बनाया गया है.

झारखंड गठन के बाद राज्य के पहले विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी बने थे. इंदर सिंह नामधारी अविभाजित बिहार में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे थे. 1992-93 में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक सह अधिवेशन आगरा में हुआ था. इसी अधिवेशन में झारखंड के गठन को लेकर दो घंटे तक बहस चली थी. इसी अधिवेशन में भारतीय जनता पार्टी ने प्रस्ताव तैयार किया था कि पार्टी अगर सत्ता में आती है, तो झारखंड का गठन किया जाएगा.

झारखंड गठन की जानकारी देते हुए इंदर सिंह नामधारी (ईटीवी भारत)

झारखंड के पहले विधानसभा अध्यक्ष सह पूर्व सांसद इंदर सिंह नामधारी बताते हैं कि झारखंड गठन को लेकर हुई शुरुआत में वो दिशोण गुरु शिबू सोरेन के पास गए थे. उस दौरान उन्होंने शिबू सोरेन से कहा था कि दोनों की राह एक है. शिबू सोरेन झारखंड में ओडिशा, बंगाल, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों को शामिल करने पर अड़े हुए थे. जिसको लेकर शिबू सोरेन को इंदर सिंह ने समझाया था. इंदर सिंह नामधारी बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी का आगरा में अधिवेशन हुआ था, उस दौरान वह पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे.

आगरा अधिवेशन में उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश को काटकर अलग राज्य बनाने का निर्णय हो रहा था. इसी दौरान इंदर सिंह नामधारी ने आवाज उठाई और कहा कि बिहार भी बड़ा राज्य है क्या बिहार के दो टुकड़े नहीं कर सकते हैं, क्या बिहार को एक अलग प्रांत नहीं दे सकते हैं. हालांकि उस दौरान इसे वनांचल नाम दिया जा रहा था. बिहार प्रदेश अध्यक्ष के प्रस्ताव के नाते दो घंटे तक बहस चली और लालकृष्ण आडवाणी ने प्रस्ताव पर मुहर लगाई.

इंदर सिंह नामधारी बताते हैं कि आगरा अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि भारतीय जनता पार्टी अगर सत्ता में आती है तो झारखंड का गठन किया जाएगा. वे बताते हैं कि जमशेदपुर से तीन बार के सांसद शैलेंद्र महतो ने अपनी किताब में इस बात का जिक्र किया है कि झारखंड गठन का एक मात्र श्रेय अगर किसी को जाता है तो इंदर सिंह नामधारी को जाता है. जिसके बाद झारखंड एक अलग राज्य बना है.

ये भी पढ़ें- भगवान बिरसा की 150वीं जयंती, राज्यपाल संतोष गंगवार ने भगवान बिरसा मुंडा को दी श्रद्धांजलि

उलिहातू में भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को लेकर ग्रामीणों की खास तैयारी, जनजातीय मंत्रालय के उप महानिदेशक अंशु सिंह आएंगे उलिहातू

Delhi News Today Live : दिल्ली न्यूज़ Fri Nov 15 2024 ताजा समाचार

पलामू: आज झारखंड स्थापना दिवस है. झारखंड के गठन से जुड़ी हुई कई कहानियां हैं. झारखंड के कई दिग्गजों ने इसके गठन में अपनी भूमिका निभाई है. एक लंबी लड़ाई के बाद 2000 में झारखंड का गठन हुआ. बिहार के दक्षिणी भाग को काटकर झारखंड बनाया गया है.

झारखंड गठन के बाद राज्य के पहले विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी बने थे. इंदर सिंह नामधारी अविभाजित बिहार में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे थे. 1992-93 में भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक सह अधिवेशन आगरा में हुआ था. इसी अधिवेशन में झारखंड के गठन को लेकर दो घंटे तक बहस चली थी. इसी अधिवेशन में भारतीय जनता पार्टी ने प्रस्ताव तैयार किया था कि पार्टी अगर सत्ता में आती है, तो झारखंड का गठन किया जाएगा.

झारखंड गठन की जानकारी देते हुए इंदर सिंह नामधारी (ईटीवी भारत)

झारखंड के पहले विधानसभा अध्यक्ष सह पूर्व सांसद इंदर सिंह नामधारी बताते हैं कि झारखंड गठन को लेकर हुई शुरुआत में वो दिशोण गुरु शिबू सोरेन के पास गए थे. उस दौरान उन्होंने शिबू सोरेन से कहा था कि दोनों की राह एक है. शिबू सोरेन झारखंड में ओडिशा, बंगाल, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ भागों को शामिल करने पर अड़े हुए थे. जिसको लेकर शिबू सोरेन को इंदर सिंह ने समझाया था. इंदर सिंह नामधारी बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी का आगरा में अधिवेशन हुआ था, उस दौरान वह पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे.

आगरा अधिवेशन में उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश को काटकर अलग राज्य बनाने का निर्णय हो रहा था. इसी दौरान इंदर सिंह नामधारी ने आवाज उठाई और कहा कि बिहार भी बड़ा राज्य है क्या बिहार के दो टुकड़े नहीं कर सकते हैं, क्या बिहार को एक अलग प्रांत नहीं दे सकते हैं. हालांकि उस दौरान इसे वनांचल नाम दिया जा रहा था. बिहार प्रदेश अध्यक्ष के प्रस्ताव के नाते दो घंटे तक बहस चली और लालकृष्ण आडवाणी ने प्रस्ताव पर मुहर लगाई.

इंदर सिंह नामधारी बताते हैं कि आगरा अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि भारतीय जनता पार्टी अगर सत्ता में आती है तो झारखंड का गठन किया जाएगा. वे बताते हैं कि जमशेदपुर से तीन बार के सांसद शैलेंद्र महतो ने अपनी किताब में इस बात का जिक्र किया है कि झारखंड गठन का एक मात्र श्रेय अगर किसी को जाता है तो इंदर सिंह नामधारी को जाता है. जिसके बाद झारखंड एक अलग राज्य बना है.

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