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JDU सांसद विजयालक्ष्मी देवी के पति रमेश सिंह कुशवाहा को HC से बड़ी राहत, 27 साल पुराना है मर्डर केस - Ramesh Kushwaha

Patna High Court : पटना उच्च न्यायालय ने रमेश सिंह कुशवाहा को बड़ी राहत दी है. 27 साल पुराने केस में ट्रायल पर फिलहाल रोक लगा दिया है. आगे पढ़ें पूरी खबर.

रमेश सिंह कुशवाहा
रमेश सिंह कुशवाहा (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 9, 2024, 9:00 PM IST

पटना : पटना हाईकोर्ट ने सिवान के वर्तमान जेडीयू सांसद विजयालक्ष्मी देवी के पति व पूर्व विधायक रमेश सिंह कुशवाहा को बड़ी राहत दी है. 27 साल पुराने एक हत्या के मामले में उच्च न्यायालय ने सिवान कोर्ट में चल रहे ट्रायल पर फिलहाल रोक लगा दिया है. इस मामले पर जस्टिस संदीप कुमार ने सुनवाई करते हुए ये आदेश दिया.

पहले हुई गिरफ्तारी, फिर बरी : ये हत्याकांड जून 1997 में हुआ था. इसमें रमेश कुशवाहा को आरोपी के रूप में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि पुलिस ने उन्हें जांच के बाद आरोप से बरी कर दिया था. पुलिस ने एक रिपोर्ट दायर कर कुशवाहा के विरूद्ध आरोप को गलत बताया था.

20 साल बाद मामला फिर तूल पकड़ा : हत्याकांड के 20 साल बाद सूचक के भाई की ओर से कुशवाहा को पुलिस द्वारा आरोपमुक्त किए जाने को चुनौती दी गई. सिवान कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए उन्हें हत्याकांड में ट्रायल फेस करने का आदेश दिया. इसके बाद रमेश कुशवाहा उच्च न्यायालय पहुंचे.

पटना उच्च न्यायालय
पटना उच्च न्यायालय (Etv Bharat)

हस्ताक्षर पर फंसा मामला : शुक्रवार को याचिकाकर्ता रमेश कुशवाहा के अधिवक्ता गिरिजेश कुमार ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कोर्ट को बताया कि हस्ताक्षर की जांच के लिए एक याचिका सिवान के ट्रायल कोर्ट में दायर किया, जो हस्ताक्षर प्राथमिकी में मृत सूचक जिसमें आरोपी था और कोर्ट के रिकार्ड में किये गये हस्ताक्षर, जिसमें मृत सूचक आरोपी था, दोनों हस्ताक्षरों को मिलाया जाये.

HC ने ट्रायल पर रोक लगाया : सिवान कोर्ट में ट्रायल के दौरान कुशवाहा ने मृत सूचक के हस्ताक्षर की विश्वसनीयता को चुनौती देते हुए इसकी जांच कराने के लिए सिवान कोर्ट से अनुरोध किया. जिसे कोर्ट ने नहीं माना. इस आदेश के विरुद्ध कुशवाहा ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. हाईकोर्ट ने कुशवाहा के विरुद्ध हत्याकांड के ट्रायल पर रोक लगा दिया. साथ ही इस हत्याकांड के सूचक के भाई को नोटिस भेजने का निर्देश दिया.

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पहले हुई गिरफ्तारी, फिर बरी : ये हत्याकांड जून 1997 में हुआ था. इसमें रमेश कुशवाहा को आरोपी के रूप में गिरफ्तार किया गया था. हालांकि पुलिस ने उन्हें जांच के बाद आरोप से बरी कर दिया था. पुलिस ने एक रिपोर्ट दायर कर कुशवाहा के विरूद्ध आरोप को गलत बताया था.

20 साल बाद मामला फिर तूल पकड़ा : हत्याकांड के 20 साल बाद सूचक के भाई की ओर से कुशवाहा को पुलिस द्वारा आरोपमुक्त किए जाने को चुनौती दी गई. सिवान कोर्ट ने इस मामले पर संज्ञान लेते हुए उन्हें हत्याकांड में ट्रायल फेस करने का आदेश दिया. इसके बाद रमेश कुशवाहा उच्च न्यायालय पहुंचे.

पटना उच्च न्यायालय
पटना उच्च न्यायालय (Etv Bharat)

हस्ताक्षर पर फंसा मामला : शुक्रवार को याचिकाकर्ता रमेश कुशवाहा के अधिवक्ता गिरिजेश कुमार ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कोर्ट को बताया कि हस्ताक्षर की जांच के लिए एक याचिका सिवान के ट्रायल कोर्ट में दायर किया, जो हस्ताक्षर प्राथमिकी में मृत सूचक जिसमें आरोपी था और कोर्ट के रिकार्ड में किये गये हस्ताक्षर, जिसमें मृत सूचक आरोपी था, दोनों हस्ताक्षरों को मिलाया जाये.

HC ने ट्रायल पर रोक लगाया : सिवान कोर्ट में ट्रायल के दौरान कुशवाहा ने मृत सूचक के हस्ताक्षर की विश्वसनीयता को चुनौती देते हुए इसकी जांच कराने के लिए सिवान कोर्ट से अनुरोध किया. जिसे कोर्ट ने नहीं माना. इस आदेश के विरुद्ध कुशवाहा ने पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. हाईकोर्ट ने कुशवाहा के विरुद्ध हत्याकांड के ट्रायल पर रोक लगा दिया. साथ ही इस हत्याकांड के सूचक के भाई को नोटिस भेजने का निर्देश दिया.

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