जयपुर. राजस्थान की भजनलाल सरकार ने हाल ही में कैबिनेट बैठक में धर्मांतरण पर बिल लाने का फैसला लिया है. इसे लेकर अब प्रदेश में सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. भाजपा नेता जहां इस बिल को प्रदेश की भाजपा सरकार का अहम फैसला बता रहे हैं. वहीं, कांग्रेस नेताओं ने इसे जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास करार दिया है. पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि राजस्थान की भाजपा सरकार एक साल की असफलताओं से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है. राजस्थान में पहले से ही धर्मांतरण विरोधी बिल लागू है. ऐसे में इस बिल में कुछ बदलाव करके प्रदेश भाजपा सरकार को जनता में कुछ काम करने का संदेश देना था.
कांग्रेस के समय की कल्याणकारी योजनाएं बंद : खाचरियावास ने कहा, लोगों के समझ में आ रहा है कि कांग्रेस सरकार की सभी जनकल्याणकारी योजनाएं बंद कर दी गई हैं. अस्पतालों में दवाई नहीं हैं. कॉलेज में टीचर नहीं है. सरकारी स्कूल में बच्चों को दूध व यूनिफॉर्म नहीं मिल रही. सामाजिक सुरक्षा के पात्र लोगों को पेंशन नहीं मिल रही. चिरंजीव जैसी महत्वपूर्ण मेडिकल योजना बंद कर दी गई है. राजस्थान में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो गई है. लूट, हत्या, डकैती, बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही है. बच्चियों से बलात्कार हो रहे हैं. जनता की सुनने वाला कोई नहीं है.
नफरत की राजनीती से डर फैला रही सरकार : उन्होंने कहा, राजस्थान की भाजपा सरकार एक बार फिर अपने पुराने ध्रुवीकरण के एजेंडे से नफरत की राजनीति कर रही है. हिंदू-मुसलमान में डर पैदा करके राजनीति की जा रही है. इसमें प्रदेश के विकास का एजेंडा कहीं पीछे छूट गया है. भाजपा उसी रास्ते पर धर्मांतरण बिल लेकर आई है. लेकिन राजस्थान में यह बिल पहले भी था. धर्मांतरण पर पहले से रोक है. भाजपा ने पुराने धर्मांतरण विरोधी बिल के ऊपर नया कवर लगा दिया है. यह सिर्फ सरकार का असफलताओं से ध्यान हटाने का प्रयास है.