Agniveer Recruitment 2024: देश भर में अग्निवीरों को लेकर उठ रहे सवाल और विवाद के बीच पहली बार भारतीय भूतपूर्व सैनिक संघ ने इस मुद्दे पर अपनी जुबान खोली है. लेफ्टिनेंट जनरल मानवेन्द्र सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में अग्निपथ योजना को देश की सेना के लिए एक टर्निंग पाइंट की तरह बताया है और कहा है कि 1980 से भारत में सैनिकों की औसत आयु जो अभी तक 32 वर्ष है. इस योजना के लागू होने के छह-सात साल के भीतर ही 26 वर्ष हो जाएगी. उन्होंने कहा कि इस योजना के लागू होने से 2030-2032 तक सेना का पचास फीसदी हिस्सा अग्निवीरों का होगा.
भूतपूर्व सैनिक की दलील..क्यों जरुरी है अग्निवीर
लेफ्टिनेंट जनरल मानवेन्द्र सिंह का कहना है कि 'कारगिल युद्ध के बाद से सेना में जिन बदलावों की जरुरत महसूस की जा रही थी. अग्निपथ योजना के बाद वो बदलाव सेना में दिखाई देंगे. 12 लाख की मजबूत सेना में नौजवानों की तादात बढेगी. तब तजुर्बे के साथ जज्बे का समन्वय दिखाई देगा. उन्होंने कहा कि लेकिन दुखद स्थिति है कि जिस योजना के अभी शुरुआती परिणाम भी सामने नहीं आए, उसे लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है.' लेफ्टिनेट जनल मानवेन्द्र सिंह ने कहा कि 'मुझे लगता है अग्निपथ योजना को लेकर बहुत जल्दी जजमेंटल हुआ जा रहा है, जो बिल्कुल भी ठीक नहीं है. रिव्यू होगा, लेकिन इतने मंथन के बाद बनाई गई किसी भी योजना को समय तो देना ही चाहिए.
अग्निवीरों को वेतन भत्ता और सम्मान भी
लेफ्टिनेट जनरल मानवेंद्र सिंह ने कहा कि 'सोशल मीडिया पर सबसे ज्यादा अग्निवीरों को लेकर दुष्प्रचार है. जबकि अग्निवीरों को ट्राई सर्विसेज के समान ही जोखिम और कठिनाई भत्ते दिए जाते हैं. किसी भी अग्निवीर की शहादत या सेवा के दौरान मृत्यु होने पर 48 लाख रुपए की बीमा राशि व 44 लाख रुपये की एकमुश्त अनुग्रह राशि प्रदान की जाती है. इसके अलावा विभिन्न राज्य सरकारें शहीद सैनिकों के लिए जो सहायता राशि देती हैं, वो भी उनके परिजनों को मिलती है. लेफ्टिनेंट जन मानवेंद्र सिंह ने कहा कि ड्यूटी के दौरान अगर कोई अग्निवीर दिव्यांग हो जाता है, तो उसे दिव्यांगता के अनुसार एकमुश्त मुआवजा भी दिया जाता है, लेकिन सोशल मीडिया पर नया भ्रम फैलाया जा रहा है.
यहां पढ़ें... भारतीय सेना में निकली बंपर वैकेंसी, जानिए कैसे और कब तक करें आवेदन विंध्य में राहुल गांधी की दो टूक, बोले-हमारी सरकार आई, तो उड़ा देंगे अग्निवीर योजना |
फिलहाल चार साल की अवधि, बदलाव की जरुरत नहीं
लेफ्टिनेंट जनरल मानवेन्द्र सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि अग्निवीरों की अवधि को लेकर जो बात हो रही है कि चार साल की अवधि कम है. मुझे लगता है कि फिलहाल उसमें बदलाव की कोई भी जरुरत नहीं है. फिलहाल चार साल के नतीजे सामने आने दीजिए. ये जो अग्निवीरों की स्किल्ड फोर्स है, नौजवानों की इनके सामने बहुत से विकल्प होंगे. राज्यों की सरकारें उन्हें जॉब के ऑफर देंगी. इनमें से 25 प्रतिशत अग्निवीरों को भारतीय सेना में ही स्थायी सेवा में नियुक्ति दी जाती है.
सेवानिवृत्त अग्निवीरों को बीएसएफ, सीआईएसएफ, रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और रक्षा पीएसयू में 10 प्रतिशत आरक्षण के साथ-साथ शारीरिक परीक्षण की छूट एवं पांच साल की आयु में छूट दी जाएगी. केंद्र सरकार के प्रमुख मंत्रालयों और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों ने चार साल की सेवा के बाद अग्निवीरों को अपनी नौकरियों में शामिल करने का प्रस्ताव स्वीकार किया है तो ये योजना तो नौजवानों को भविष्य बदलने वाली है.