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जानिए कौन हैं राम पाल माजरा, जिनके इनेलो में आने से JJP के गढ़ में लग सकती है सेंध, समझिए समीकरण - Ram Pal Majra Joins INLD

Ram Pal Majra Joins INLD: चुनाव से पहले एक बार फिर हरियाणा में दल बदल का दौर शुरू हो गया है. हरियाणा के पुराने नेता राम पाल माजरा एक बार फिर इनेलो में वापस आ गये हैं. इनेलो ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. माजरा देवीलाल परिवार के पुराने साथी हैं. माना जा रहा है कि उनके आने से जेजेपी को अपने गढ़ में नुकसान उठाना पड़ सकता है. खासकर दो जिलों में उनका ज्यादा प्रभाव माना जाता है.

Ram Pal Majra Joins INLD
Who is Ram pal Majra
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Mar 20, 2024, 6:16 PM IST

Updated : Mar 20, 2024, 7:14 PM IST

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार में पूर्व संसदीय सचिव रह चुके रामपाल माजरा ने एक बार फिर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ज्वाइन कर ली है. राम पाल माजरा इंडियन नेशनल लोकदल के पुराने नेता हैं. वो कैथल के नंद करण माजरा गांव के रहने वाले हैं, इसीलिए नाम के साथ माजरा जुड़ा है. इनेलो और देवीलाल परिवार के साथ वो करीब 40 साल से जुड़े हुए हैं. इनेलो के टिकट पर वो तीन बार विधायक रह चुके हैं.

रामपाल माजरा पहली बार 1996 में कैथल जिले की पाई सीट से इनेलो के टिकट पर विधायक बने. इसके बाद 2000 हजार में भी इसी सीट से चुने गये. 2009 में परिसीमन के बाद पाई सीट खत्म हो गई. तो उन्होंने कैथल की कलायत सीट से चुनाव लड़ा और इस बार भी वो जीतने में कामयाब रहे. रामपाल माजरा हरियाणा में मुख्य संसदीय सचिव भी रह चुके हैं.

कौन हैं रामपाल माजरा?

  • 1978 में अपने गांव माजरा के सरपंच बने थे.
  • रामपाल माजरा जाट चेहरा हैं और 3 बार विधायक रह चुके हैं
  • 1996 में पहली बार हरियाणा विधानसभा के सदस्य बने
  • 2000 और 2009 में भी इनेले के टिकट पर विधायक चुने गए
  • जिला बार एसोसिएशन के सदस्य रह चुके हैं
  • कैथल और जींद जिले में अच्छा प्रभाव माना जाता है.

किसान आंदोलन के समर्थन में छोड़ी थी बीजेपी- 2014 के विधानसभा चुनाव में रामपाल माजरा निर्दलीय जयप्रकाश से चुनाव हार गये थे. रामपाल माजरा देवीलाल परिवार के साथ करीब 40 साल से जुड़े हुए हैं. 2019 में चौटाला परिवार में बिखराव शुरू हो गया. इनेलो से अलग होकर अजय चौटाला ने अपनी नई पार्टी जेजेपी बना ली. उसके बाद 2019 विधानसभा चुनाव से पहले रामपाल माजरा इनेलो छोड़कर बीजेपी में चले गये. केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुए किसान आंदोलन के समर्थन में उन्होंने 2021 में भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दे दिया.

जाट लैंड में इनेलो को मिल सकती है मजबूती- रामपाल माजरा हरियाणा के जाट नेता हैं. कैथल की कलायत सीट जाट बहुल है, इसीलिए यहां से वो तीन बार चुनाव जीते. चर्चा थी कि 2019 विधानसभा चुनाव में वो बीजेपी के टिकट पर कलायात या फिर उचाना से दुष्यंत चौटाला के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे लेकिन आखिर में उन्हें टिकट नहीं मिला और बीजेपी से कमलेश ढांडा कलायत से चुनाव लड़ी और जीत हासिल की.

जेजेपी के वोट बैंक में लग सकती है सेंध- राजनीति के जानकारों का कहना है कि राम पाल माजरा कैथल और जाट लैंड के जिले जींद में अच्छा प्रभाव रखते हैं. उनके आने से इस इलाके में इनेलो को मजबूती मिलेगी. इनेलो के मजबूत होने से जेजेपी के वोट बैंक में सेंध लग सकती है. 2019 विधानसभा चुनाव में जेजेपी जींद जिले की तीन सीटें जीतने में कामयाब रही है.

जींद और कैथल में जेजेपी को लग सकता है झटका- जींद जिले की उचाना, जुलाना और नरवाना सीट पर जेजेपी उम्मीदवार विजयी हुए थे. वहीं कैथल की गुहला सीट भी जेजेपी के ईश्वर सिंह जीतने में कामयाब रहे थे. कलायत सीट पर जेजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया और उम्मीदवार सतविंदर सिंह ने 37 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे. 2019 के विधानसभा चुनाव में इनेलो का ज्यादातर वोट बैंक जेजेपी में शिफ्ट हो गया था. अगर इनेलो अपना वोट वापस लाने में कामयाब होती है तो जेजेपी के लिए मुश्किल हो सकती है.

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चंडीगढ़: हरियाणा सरकार में पूर्व संसदीय सचिव रह चुके रामपाल माजरा ने एक बार फिर इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) ज्वाइन कर ली है. राम पाल माजरा इंडियन नेशनल लोकदल के पुराने नेता हैं. वो कैथल के नंद करण माजरा गांव के रहने वाले हैं, इसीलिए नाम के साथ माजरा जुड़ा है. इनेलो और देवीलाल परिवार के साथ वो करीब 40 साल से जुड़े हुए हैं. इनेलो के टिकट पर वो तीन बार विधायक रह चुके हैं.

रामपाल माजरा पहली बार 1996 में कैथल जिले की पाई सीट से इनेलो के टिकट पर विधायक बने. इसके बाद 2000 हजार में भी इसी सीट से चुने गये. 2009 में परिसीमन के बाद पाई सीट खत्म हो गई. तो उन्होंने कैथल की कलायत सीट से चुनाव लड़ा और इस बार भी वो जीतने में कामयाब रहे. रामपाल माजरा हरियाणा में मुख्य संसदीय सचिव भी रह चुके हैं.

कौन हैं रामपाल माजरा?

  • 1978 में अपने गांव माजरा के सरपंच बने थे.
  • रामपाल माजरा जाट चेहरा हैं और 3 बार विधायक रह चुके हैं
  • 1996 में पहली बार हरियाणा विधानसभा के सदस्य बने
  • 2000 और 2009 में भी इनेले के टिकट पर विधायक चुने गए
  • जिला बार एसोसिएशन के सदस्य रह चुके हैं
  • कैथल और जींद जिले में अच्छा प्रभाव माना जाता है.

किसान आंदोलन के समर्थन में छोड़ी थी बीजेपी- 2014 के विधानसभा चुनाव में रामपाल माजरा निर्दलीय जयप्रकाश से चुनाव हार गये थे. रामपाल माजरा देवीलाल परिवार के साथ करीब 40 साल से जुड़े हुए हैं. 2019 में चौटाला परिवार में बिखराव शुरू हो गया. इनेलो से अलग होकर अजय चौटाला ने अपनी नई पार्टी जेजेपी बना ली. उसके बाद 2019 विधानसभा चुनाव से पहले रामपाल माजरा इनेलो छोड़कर बीजेपी में चले गये. केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुए किसान आंदोलन के समर्थन में उन्होंने 2021 में भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा दे दिया.

जाट लैंड में इनेलो को मिल सकती है मजबूती- रामपाल माजरा हरियाणा के जाट नेता हैं. कैथल की कलायत सीट जाट बहुल है, इसीलिए यहां से वो तीन बार चुनाव जीते. चर्चा थी कि 2019 विधानसभा चुनाव में वो बीजेपी के टिकट पर कलायात या फिर उचाना से दुष्यंत चौटाला के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे लेकिन आखिर में उन्हें टिकट नहीं मिला और बीजेपी से कमलेश ढांडा कलायत से चुनाव लड़ी और जीत हासिल की.

जेजेपी के वोट बैंक में लग सकती है सेंध- राजनीति के जानकारों का कहना है कि राम पाल माजरा कैथल और जाट लैंड के जिले जींद में अच्छा प्रभाव रखते हैं. उनके आने से इस इलाके में इनेलो को मजबूती मिलेगी. इनेलो के मजबूत होने से जेजेपी के वोट बैंक में सेंध लग सकती है. 2019 विधानसभा चुनाव में जेजेपी जींद जिले की तीन सीटें जीतने में कामयाब रही है.

जींद और कैथल में जेजेपी को लग सकता है झटका- जींद जिले की उचाना, जुलाना और नरवाना सीट पर जेजेपी उम्मीदवार विजयी हुए थे. वहीं कैथल की गुहला सीट भी जेजेपी के ईश्वर सिंह जीतने में कामयाब रहे थे. कलायत सीट पर जेजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया और उम्मीदवार सतविंदर सिंह ने 37 हजार से ज्यादा वोट हासिल किए थे. 2019 के विधानसभा चुनाव में इनेलो का ज्यादातर वोट बैंक जेजेपी में शिफ्ट हो गया था. अगर इनेलो अपना वोट वापस लाने में कामयाब होती है तो जेजेपी के लिए मुश्किल हो सकती है.

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Last Updated : Mar 20, 2024, 7:14 PM IST
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