उत्तरकाशी: हर्षिल की पूर्व प्रधान बसंती नेगी को पर्यावरण संरक्षण और शराबबंदी आंदोलन के लिए नई दिल्ली में संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय की ओर से सम्मानित किया गया. उनके हर्षिल घाटी में गंगा नदी और बहुमूल्य पेड़ों को बचाने के कार्यों को ए रिवर सिंन्ग्स' किताब में भी प्रकाशित किया गया. उसके आधार पर केंद्र सरकार की ओर से उन्हें सम्मानित किया.
बीते बृहस्पतिवार को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय की ओर से पांचवे नदी उत्सव का आयोजन किया गया. इस मौके पर केंद्र सरकार की ओर से हर्षिल की पूर्व प्रधान बसंती नेगी, ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन के स्वामी चिदानंद सरस्वती सहित ढोलकिया फाउंडेशन के अध्यक्ष सावजी ढोलकिया को उनके समाज में किए गए उत्कृष्ट कार्याें के लिए सम्मानित किया गया. बंसती नेगी ने 80 और 90 के दशक में हर्षिल घाटी में वन विभाग की ओर से देवदार और थुनेर के कीमती पेड़ों की नियमविरुद्ध कटान के खिलाफ आंदोलन किया था. उन्होंने पूरे वन महकमे के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई लड़ी थी, जहां पर उन्होंने जीत दर्ज की थी.
वहीं, कई वन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई भी हुई थी. इसके साथ ही बसंती नेगी ने क्षेत्र में बढ़ रहे कच्ची शराब के प्रचलन के विरोध में आंदोलन किया था. उसमें उन्हें ग्रामीण महिलाओं का सहयोग मिला था. उनके प्रयास से शराब के प्रचलन में क्षेत्र में कमी आई थी. उनको यह सम्मान मिलने पर हर्षिल घाटी और जनपद के लोगों ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दी है. उनके इन आंदोलन से प्रेरित होकर लेखिका अंजली कपिला ने अपनी किताब 'ए रिवर सिंन्ग्स' में उनकी यात्रा पर वर्णन एक अध्याय के रूप में लिखा है.