भरतपुर. पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह का कल रात को गुरुग्राम में देहांत हो गया. उनका बीते कई दिनों से गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में उपचार चल रहा था. भरतपुर जिले के जघीना गांव में जन्मे नटवर सिंह का अपने गांव से विशेष लगाव था. अपने गांव की मिट्टी में मिलने की उनकी आखिरी ख्वाहिश थी. यह इच्छा उन्होंने अपने भाई की अंत्येष्टि के समय जताई थी. देश और दुनिया में भरतपुर का नाम रोशन करने वाले पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह लंबे समय तक राजनीति के सिरमौर रहे हैं.
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह के परिजनों ने बताया कि उनका गांव से विशेष लगाव था. आज भी गांव में उनके परिवार के लोग रहते हैं. वर्ष 2009 में नटवर सिंह के भाई भगवत सिंह का निधन हुआ था. उस समय नटवर सिंह उनकी अंत्येष्टि में गांव जघीना पहुंचे थे और परिजनों से इच्छा जताई थी कि देहांत के बाद उनका अंतिम संस्कार भी गांव में ही किया जाए. गांव के समारोह और विशेष अवसर पर वो गांव आते रहते थे. पहले गांव का परिक्रमा मार्ग कच्चा था, जिसे पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने ही पक्का कराया. उन्होंने गांव के लिए बहुत योगदान दिया था. यहां तक कि आज गांव की पहचान भी उनकी वजह से है. परिजनों ने बताया कि वो जब भी गांव आते तो युवाओं को विदेशी भाषा यानी इंग्लिश का ज्ञान अर्जित करने की सीख देते थे.
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नटवर सिंह एक परिचय : भरतपुर जिले के गांव जघीना में 16 मई 1929 को कुंवर नटवर सिंह का जन्म हुआ था. नटवर सिंह अपने पिता गोविंद सिंह और माता प्रयाग कौर के चौथे बेटे थे. इन्होंने मेयो कॉलेज अजमेर और सिंधिया स्कूल ग्वालियर से शिक्षा प्राप्त की. उसके बाद दिल्ली के स्टीफंस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की. कैंब्रिज विश्वविद्यालय के कॉर्पस क्रिस्टी कॉलेज में अध्ययन किया और चीन में पेकिंग विश्वविद्यालय में विजिटिंग स्कॉलर रहे. नटवर सिंह ने कई देशों में सेवाएं दीं. वर्ष 1953 में नटवर सिंह का भारतीय विदेश सेवा में चयन हुआ. उन्होंने चीन, न्यूयॉर्क, पोलैंड, इंग्लैंड, पाकिस्तान, जमैका, जांबिया आदि देशों में सेवाएं दीं. कुमार नटवर सिंह वर्ष 1984 में भारतीय विदेश सेवा से इस्तीफा देकर कांग्रेस ज्वाइन कर ली. उन्होंने वर्ष 1984 में आठवीं लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीतने के बाद राज्य मंत्री बने.