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बागेश्वर के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने की मकान ध्वस्त होने पर 10 लाख मुआवजा देने की मांग, मानव हानि पर मिलें 25 लाख - Bageshwar disaster relief amount

Demand to increase disaster relief amount in Bageshwar district हर बार की तरह इस बार भी बागेश्वर जिले में मानसून जमकर बरस रहा है. कई स्थानों पर औसत से बहुत ज्यादा बारिश हो रही है. ऐसे में जिला आपदाग्रस्त भी है. पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने राज्य सरकार से आपदा राहत मद बढ़ाने की मांग की है. हरीश ऐठानी ने कहा कि मकान ध्वस्त होने पर सरकार 10 लाख रुपए दे. मानव जीवन की हानि होने पर 25 लाख का मुआवजा मिले.

BAGESHWAR DISASTER RELIEF AMOUNT
बागेश्वर समाचार (Photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 17, 2024, 10:33 AM IST

बागेश्वर: पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने राज्य सरकार पर आपदा राहत कार्यों में लापरवाही का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सरकार आपदा के दौरान गंभीर नहीं है. आपदा में लगातार गांव के गांव प्रभावित हो रहे हैं, जिससे आज एक बृहद भूगर्भीय सर्वेक्षण की जरूरत है. 18 अगस्त 2010 में सुमगढ़ में प्राकृतिक आपदा ने लोगों को हिला कर रख दिया था. सरस्वती शिशु मंदिर के 18 छात्र मलबे में दब गए थे. स्कूल भवनों की भूमि की जांच आज तक सार्वजनिक नहीं हो सकी है.

आपदा राहत राशि बढ़ाने की मांग: पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि आज लगातार पहाड़ी क्षेत्र भूस्खलन की जद में आ रहे हैं. गांव के गांव इससे प्रभावित हो रहे हैं. जिले के ही करीब एक दर्जन गांव भारी भूस्खलन की चपेट में आ चुके हैं, जिनका सरकार विस्थापन भी नहीं कर पाई है. जिस तरह गांव के गांव आपदा से प्रभावित हो रहे हैं, उससे लगता है कि इन सभी क्षेत्रों के अलावा पूरे पहाड़ी क्षेत्र की गंभीरता से जांच करनी चाहिए, जिससे आने वाले दिनों में इन सब चीजों से अपने लोगों और अपने पहाड़ को हम बचा पाएं. ऐठानी कहा कि मकान ध्वस्त होने पर 1.30 लाख रुपये की धनराशि को बढ़ा कर 10 लाख रुपये करने तथा मानव हानि होने पर 25 लाख रुपये सरकार दे. आपदाओं से सरकार को भी सीखना होगा. विस्थापन के लिए गांव बांट जोह रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. रामगंगा में 2017 में बहा पुल अभी तक नहीं बन सका है. कर्मी में पुशपालन का भवन एक करोड़ से अधिक में बना है. उसका एक दिन भी उपयोग नहीं हुआ. भवन धंसने लगा है, जिसकी भूगर्भीय जांच चल रही है.

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने उठाया सवाल: उन्होंने कहा कि हम जोन पांच में आने वाले लोग हैं. हमारे क्षेत्र में हर कोई आज आपदा की जद में आ रहा है. लगातार सड़कें टूट रही हैं. मकानों के मकान टूट रहे हैं, लेकिन आपदा सहायता के तौर पर जो मुआवजा दिया जा रहा है, वो काफी कम है, उससे व्यक्ति को कोई लाभ नहीं हो रहा है. उन्होंने आपदा सहायता के लिए दी जाने वाली 1 लाख 30 हजार की धनराशि को बढ़ाकर 10 लाख करने की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि इससे गरीबों और असहाय लोगों को आर्थिक मदद के साथ-साथ मानसिक मदद भी होगी.

स्कूल भवनों की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग: हरीश ऐठानी ने कहा कि बागेश्वर जिले के तल्ला मल्ला और विचला दानपुर बारिश के समय आने वाली आपदाओं से बुरी तरह से ग्रसित है. इसलिए इस क्षेत्र के लिए एक बृहद सर्वेक्षण कर आपदा वाले स्थानों को चयनित कर वहां की बसासत को अन्य जगह विस्थापित किया जाए, जिससे जानमाल को हो रहे नुकसान से बचा जा सके. इसके साथ ही उन्होंने 2010 में हुए सुमगढ़ हादसे की आज तक जांच नहीं होने पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि 18 बच्चों की जान जाने के बाद भी सरकार की आंखें अभी तक नहीं खुली हैं. आज भी जिले के कई स्कूल आपदा की जद में हैं, जिसके लिए अभी से विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार अगर गंभीरता से इन कार्यों को अंजाम नहीं देगी, तो वह उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे.
ये भी पढ़ें: बागेश्वर में आसमान से बरसी आफत, अब तक बारिश से 42 करोड़ का नुकसान

बागेश्वर: पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने राज्य सरकार पर आपदा राहत कार्यों में लापरवाही का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि सरकार आपदा के दौरान गंभीर नहीं है. आपदा में लगातार गांव के गांव प्रभावित हो रहे हैं, जिससे आज एक बृहद भूगर्भीय सर्वेक्षण की जरूरत है. 18 अगस्त 2010 में सुमगढ़ में प्राकृतिक आपदा ने लोगों को हिला कर रख दिया था. सरस्वती शिशु मंदिर के 18 छात्र मलबे में दब गए थे. स्कूल भवनों की भूमि की जांच आज तक सार्वजनिक नहीं हो सकी है.

आपदा राहत राशि बढ़ाने की मांग: पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने कहा कि आज लगातार पहाड़ी क्षेत्र भूस्खलन की जद में आ रहे हैं. गांव के गांव इससे प्रभावित हो रहे हैं. जिले के ही करीब एक दर्जन गांव भारी भूस्खलन की चपेट में आ चुके हैं, जिनका सरकार विस्थापन भी नहीं कर पाई है. जिस तरह गांव के गांव आपदा से प्रभावित हो रहे हैं, उससे लगता है कि इन सभी क्षेत्रों के अलावा पूरे पहाड़ी क्षेत्र की गंभीरता से जांच करनी चाहिए, जिससे आने वाले दिनों में इन सब चीजों से अपने लोगों और अपने पहाड़ को हम बचा पाएं. ऐठानी कहा कि मकान ध्वस्त होने पर 1.30 लाख रुपये की धनराशि को बढ़ा कर 10 लाख रुपये करने तथा मानव हानि होने पर 25 लाख रुपये सरकार दे. आपदाओं से सरकार को भी सीखना होगा. विस्थापन के लिए गांव बांट जोह रहे हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. रामगंगा में 2017 में बहा पुल अभी तक नहीं बन सका है. कर्मी में पुशपालन का भवन एक करोड़ से अधिक में बना है. उसका एक दिन भी उपयोग नहीं हुआ. भवन धंसने लगा है, जिसकी भूगर्भीय जांच चल रही है.

पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ने उठाया सवाल: उन्होंने कहा कि हम जोन पांच में आने वाले लोग हैं. हमारे क्षेत्र में हर कोई आज आपदा की जद में आ रहा है. लगातार सड़कें टूट रही हैं. मकानों के मकान टूट रहे हैं, लेकिन आपदा सहायता के तौर पर जो मुआवजा दिया जा रहा है, वो काफी कम है, उससे व्यक्ति को कोई लाभ नहीं हो रहा है. उन्होंने आपदा सहायता के लिए दी जाने वाली 1 लाख 30 हजार की धनराशि को बढ़ाकर 10 लाख करने की मांग उठाई. उन्होंने कहा कि इससे गरीबों और असहाय लोगों को आर्थिक मदद के साथ-साथ मानसिक मदद भी होगी.

स्कूल भवनों की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग: हरीश ऐठानी ने कहा कि बागेश्वर जिले के तल्ला मल्ला और विचला दानपुर बारिश के समय आने वाली आपदाओं से बुरी तरह से ग्रसित है. इसलिए इस क्षेत्र के लिए एक बृहद सर्वेक्षण कर आपदा वाले स्थानों को चयनित कर वहां की बसासत को अन्य जगह विस्थापित किया जाए, जिससे जानमाल को हो रहे नुकसान से बचा जा सके. इसके साथ ही उन्होंने 2010 में हुए सुमगढ़ हादसे की आज तक जांच नहीं होने पर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि 18 बच्चों की जान जाने के बाद भी सरकार की आंखें अभी तक नहीं खुली हैं. आज भी जिले के कई स्कूल आपदा की जद में हैं, जिसके लिए अभी से विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार अगर गंभीरता से इन कार्यों को अंजाम नहीं देगी, तो वह उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे.
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