सरगुजा: छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव एक बार फिर सियासत में एक्टिव हो गए हैं. बीते कुछ समय से सिंहदेव निजी कारणों से पिछले 1 साल से अधिक समय से परेशान चल रहे थे, जिस कारण उनका छत्तीसगढ़ में रहना नहीं हो पा रहा था. हालांकि अब सिंहदेव वापस सियासत में एक्टिव हो रहे हैं. उन्होंने खुद कहा है कि अब वो लगातार लोगों के बीच में रहेंगे. राजशाही ठाठ वाले राजपरिवार के सदस्य अब क्षेत्र में कार्यकर्ताओं के घर पर ही रात्रि विश्राम भी करेंगे. ETV भारत को दिए एक इंटरव्यू में सिंहदेव ने सियासत में फिर से एक्टिव होकर लोगों के बीच रहने की बात कही.
सिंहदेव हुए फिर से एक्टिव: ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव ने कहा, "यहां के लोगों ने ही मुझे अपनाकर राजनीति में भाग लेने का मौका दिया. मैं तो एक आम व्यक्ति था. निजी काम भी करता था. एक परिवार का सदस्य था, लेकिन काम करने का मौका तब मिलता है, जब लोग कहते है कि आप हमारे तरफ से पहल करते रहो. वो मौका लोगों ने दिया और विषम परिस्थितियों में दिया.
"जब साल 2001 में महाराज साहब का देहांत हुआ, महारानी साहिबा ने सक्रिय राजनीति से अपने आप को अलग कर लिया था. उस समय अमूमन लोगों का मानना था कि परिस्थितियों में बहुत बदलाव आएगा. उन परिस्थितियों में जब आदमी सत्ता से सीधा नहीं भी जुड़ा हुआ था. 15 साल तक भाजपा की सरकार रही. लोगों को ये भी लगा कि ये कुछ कर नहीं पाएगा फिर भी लोगों ने मुझे आगे किया और अपना प्यार दिया. अब फिर से मैं उस भूमिका में आ रहा हूं". टीएस सिंहदेव, पूर्व डिप्टी सीएम
लोगों के बीच जाएंगे सिंहदेव: टीएस सिंहदेव ने कहा कि, "चुनाव लड़ा था तो लोगों के पास काम करने का मौका मांगने गया था. उस जिम्मेदारी से आपने आप को बांधा, तो उस जिम्मेदारी को मुझे पूरा करना है. मुझे लगता है कि सरगुजा लोकसभा क्षेत्र में मैं लोगों के बीच जाउंगा. हर 6 महीने में कम से कम एक ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के लोगों के साथ बैठूंगा. अम्बिकापुर के 48 वार्डों में 110 मतदान केंद्र हैं. हर वार्ड में साल में एक बार या उससे ज्यादा भी उनके बीच में जाना, उनके साथ उठना बैठना है और कुछ नही."
पिछले विधानसभा चुनाव में हम लोगों के तालमेल टूटे थे. आपसी संबंध में कमी आई थी. मुझे ये कहने में संकोच नहीं है, क्योंकि ये सच्चाई है. मैंने जीवन में हमेशा ये माना है कि जो सच्चाई है, उसे स्वीकार करना ही उस दिशा में सबसे पहला कदम है. मैं सार्वजनिक कह रहा हूं कि वो सार्वजनिक रूप से दिख रहा था. बंद कमरे की बात नहीं थी. ये सबके सामने था. उस स्थिति को स्वीकार करना, सुधार करने की दिशा मे आगे बढ़ना है": टीएस सिंहदेव, पूर्व डिप्टी सीएम
लोगों से जुड़ने की तैयारी: ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान टीएस सिंहदेव ने कहा, "राजपुर, शंकरगढ़, कुसमी, चांदो, बलरामपुर, वाड्रफनगर का दौरा करना है. यहां से जाकर वापस आ सकता हूं, लेकिन शायद एक दिन में एक ही जगह का दौरा कर पाऊं. एक दिन में अगर 2 दौरा भी मैं करता हूं तो 3 दिन में मैं ये पूरा एरिया कवर कर सकता हूं. उस नाते रात रुकना बेहतर होगा. मिलना-जुलना भी हो जाता है और सामान्य व्यवहारिक स्थिति भी बनती है. वापस आने बजाय वहां रुक जाओ, डीजल पेट्रोल भी बचेगा और लोगों के बीच में रहने का भी अवसर रहता है कि हमारे यहां बाबा आए और रुके. रुक जाना सुविधा जनक भी है."
"कई लोगों ने मुख्यमंत्री वाली बात पूछी कि ढाई साल का क्या मामला था? वो बंद कमरे की बात थी. उसकी मर्यादा है और वो मैं नहीं कह सकता. कभी वक्त ऐसा आया तो वो भी कहूंगा. ये जो यहां हो रहा था, ये सबके सामने था. मेरा ऐसा स्वभाव है कि गलतियों को स्वीकार कर उसमें सुधार करना ही बेहतर होता है. ये नहीं कि हां सब कुछ ठीक चल रहा है. ऐसा बोला जा सकता है लेकिन मैं ये नहीं कर पाता." -टीएस सिंहदेव, पूर्व डिप्टी सीएम, छत्तीसगढ़
पीसीसी में बदलाव पर बोले सिंहदेव: पीसीसी में बदलाव के संकेत पर सिंहदेव ने कहा, "ओडिशा में जो हुआ, उसके बाद से ये एकदम फोकस में आ गया. लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद जो जांच समितियां बनाई गई थी, शायद 7 राज्यों के लिए ओडिशा उनमें नहीं था. बावजूद इसके वहां की पूरी पीसीसी, महिला कांग्रेस, सेवा दल, एनएसयूआई, युवक कांग्रेस की प्रदेश से लेकर जिला स्तर तक की सभी प्रकोष्ठों को भंग कर दिया गया. नए गठन के लिए कांग्रेस हाई कमान आगे बढ़ा. उससे ये बात आई कि फिर ये निर्णय सब जगह हो सकता है. क्योंकि समीक्षा हो रही है तो और भी वो बात आती है, लेकिन अभी कोई संकेत नहीं है कि चेंज हो रहा है. ना ही व्यक्तिगत तौर पर मैं चेंज के लिए कोई पहल कर रहा हूं. क्या होगा? ये तो रिपोर्ट क्या प्रस्तुत होती है और उस पर हाई कमान क्या निर्णय लेता है, इस पर निर्भर होगा."
ऐसे में ये साफ है कि भले ही पिछले कुछ दिनों से पूर्व डिप्टी सीएम सिंहदेव गायब थे, लेकिन अब वो फिर से सियासत में एक्टिव हो गए हैं. वो एक बार फिर नए सिरे से लोगों के बीच जाकर जनता को अपने पाले में लेने की कोशिश में हैं.