लखनऊ: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने की घोषणा की है. इसके बाद बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का दर्द छलक उठा. उन्होंने केंद्र सरकार से बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम को भारत रत्न देने की मांग की. कहा कि दलित और उपेक्षितों के मसीहा को भारत रत्न नहीं दिया जा रहा है. उनका संघर्ष किसी से कम नहीं है. बीएसपी सुप्रीमो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट की है.
बसपा मुखिया ने पोस्ट किया कि वर्तमान भाजपा सरकार जिन भी हस्तियों को भारत रत्न से सम्मानित कर रही है, उसका स्वागत है, लेकिन इस मामले में खासकर दलित हस्तियों का तिरस्कार और उपेक्षा करना बिल्कुल भी ठीक नहीं है. सरकार इस ओर भी जरूर ध्यान दे. उन्होंने कहा कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर को लंबे इंतजार के बाद वीपी सिंह की सरकार ने भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित किया. उसके बाद दलित और उपेक्षितों के मसीहा कांशीराम का उनके हित में किया गया संघर्ष कोई कम नहीं है. उन्हें भी भारत रत्न से सम्मानित किया जाए. गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी की तरफ से लगातार कांशीराम को भारत रत्न दिए जाने की मांग की जा रही हैं. हालांकि सरकार बहुजन समाज पार्टी की मांग पर कोई विचार नहीं कर रही है. उसकी वजह मायावती का लगातार राजनीति में कमजोर होना भी माना जा रहा है. बता दें कि किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन से पहले भारत सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक स्वर्गीय कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा की. भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भी भारत रत्न देने का एलान किया जा चुका है.
कांग्रेस और भाजपा कर रही स्वार्थ की राजनीति
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने भारतीय जनता पार्टी की तरफ से केंद्र में 10 साल रही कांग्रेस सरकार के कामकाज को लेकर संसद में श्वेत पत्र जारी करने और कांग्रेस की तरफ से भारतीय जनता पार्टी के 10 साल के कार्यकाल का ब्लैक पेपर जारी किए जाने को दोनों पार्टियों की स्वार्थ की राजनीति करार दिया है. मायावती ने कहा है कि दोनों ही पार्टियों ने जनहित में कोई काम नहीं किया है. अगर दोनों पार्टियां जनता के हित में कोई काम करतीं तो उन्हें श्वेत पत्र और ब्लैक पेपर जारी करने की जरूरत नहीं पड़ती. एक दूसरे को बदनाम करने की कोशिश में लगीं भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस चुनाव के समय राजनीति कर रही हैं.
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