लोहरदगा: जिले के जंगलों पर वन माफियाओं की बुरी नजर है. जंगलों की हरियाली को वन माफिया द्वारा लगातार नष्ट किया जा रहा है. लकड़ियों के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं. जंगल अंदर से खोखले होते जा रहे हैं. हरियाली बचाने को लेकर वन विभाग का सुस्त रवैया वन माफियाओं को बढ़ावा दे रहा है. हालांकि वन विभाग ने कार्रवाई भी की है. बावजूद इसके वन माफिया वन विभाग से दो कदम आगे हैं, जिसका खामियाजा प्रकृति को उठाना पड़ रहा है.
अंदर से खोखले होते जा रहे जंगल
लोहरदगा के पेशरार प्रखंड के ऊपर तुरियाडीह, चपाल, केकरांग, जवाखाड़ आदि क्षेत्र में जंगल अंदर से खोखले होते जा रहे हैं. जंगल माफिया थोड़े से पैसों के लिए हरे-हरे पेड़ों की बलि दे रहे हैं. स्थानीय ग्रामीण को लालच देकर वन माफिया अपना काम निकालते हैं. हालत ऐसी है कि जंगल बाहर से तो हरे-भरे नजर आते हैं, लेकिन जंगल में थोड़ा अंदर जाते ही, हर तरफ कटे हुए पेड़ नजर आते हैं. मौजूदा हालात ऐसी है कि जंगल वन माफियाओं के आसान निशाने पर हैं.
जिले के कुल क्षेत्रफल का लगभग 32-35 प्रतिशत वन क्षेत्र है. लोहरदगा जिले में कुल 44.36 वर्ग किलोमीटर में वनाच्छादित क्षेत्र है. लोहरदगा जिले के किस्को, पेशरार, सेन्हा में ज्यादातर क्षेत्र और कुडू ब्लॉक के कुछ क्षेत्र में घने जंगल हैं. इनमें से सबसे ज्यादा पेशरार और किस्को के जंगलों में लकड़ी और वन माफिया नजर डाले हुए हैं. मौजूदा समय में वन विभाग ने लकड़ियों की अवैध तस्करी के मामले में कई लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है. कई गाड़ियां भी जब्त की गई है. इसके बावजूद पेड़ों की कटाई थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. आए दिन जंगलों को काटा जा रहा है. हरियाली को नष्ट किया जा रहा है.
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