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प्रवासी पक्षियों के कोलाहल से गुलजार हुआ लातेहार, वन विभाग ने शुरू की पक्षी गणना

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 20, 2024, 8:51 AM IST

Updated : Jan 20, 2024, 3:55 PM IST

Migratory birds Latehar. लातेहार में प्रवासी पक्षियों की गणना की जा रही है. इसके साथ ही वन विभाग ग्रामीणों को इन पक्षियों के बारे में जागरूक भी कर रहा है, लोग भी विदेशी पक्षियों के बारे में जानकारी पाकर काफी खुश हैं और वे वन विभाग की मदद कर रहे हैं.

Migratory birds Latehar
Migratory birds Latehar
जानकारी देते संवाददाता राजीव कुमार

लातेहार: ठंड के आगमन के साथ ही प्रवासी पक्षियों के कोलाहल से लातेहार जिले के विभिन्न जलाशय गुलजार हो जाते हैं. इस वर्ष भी बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन लातेहार में हुआ है. वन मंत्रालय के निर्देश पर लातेहार में की जा रही पक्षी गणना में भी कई विदेशी पक्षियों को चिन्हित किया गया है. लातेहार डीएफओ रौशन कुमार के द्वारा पक्षियों के संरक्षण के प्रति भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

दरअसल, लातेहार जिले में ठंड का मौसम आने के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है. इस वर्ष भी बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन हो चुका है. जिले में चल रहे पक्षी गणना में अब तक कई विदेशी पक्षियों की पहचान भी हो चुकी है. पूर्व के वर्षों की बात करें तो कुछ स्थानों पर ग्रामीणों के द्वारा जागरूकता के अभाव में पक्षियों को नुकसान भी पहुंचाया जाता था. लेकिन इस बार वन विभाग के द्वारा पक्षी गणना के साथ-साथ ग्रामीणों के बीच पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता का भी कार्यक्रम चलाया जा रहा है. ताकि विदेश से आने वाले मेहमान पक्षियों की संख्या का पता चल सके और प्रवासी पक्षियों को एक भय मुक्त वातावरण उपलब्ध हो सके.

ग्रामीणों के सहयोग से हो रही पक्षियों की गणना: लातेहार जिले में इन दिनों वन विभाग के द्वारा प्रवासी पक्षियों के साथ-साथ जल स्रोतों के आसपास रहने वाले विभिन्न प्रकार के पक्षियों की पहचान और गणना की जा रही है. इस काम में स्थानीय ग्रामीणों के अलावे पक्षी प्रेमियों से भी मदद ली जा रही है. लातेहार वन प्रमंडल पदाधिकारी रौशन कुमार की पहल पर बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी और स्थानीय ग्रामीण पक्षी गणना और पहचान में सहयोग कर रहे हैं.

स्थानीय ग्रामीण और पक्षी प्रेमी रंजन कुमार ने बताया कि वन विभाग के साथ पक्षी गणना कार्य करने से ग्रामीणों को कई प्रकार के फायदे हो रहे हैं. कई विदेशी पक्षियों की पहचान और उनका अंग्रेजी नाम ग्रामीण अब जानने लगे हैं. रंजन ने बताया कि पक्षी गणना में ग्रामीण का सहयोग लिए जाने और ग्रामीणों को पक्षी संरक्षण के प्रति जागरूक किए जाने से ग्रामीणों को भी काफी लाभ मिल रहा है. वहीं पक्षी प्रेमी डॉ. विशाल शर्मा ने कहा कि वन विभाग का यह कार्य काफी सराहनीय है. विभाग के इस कार्य से ग्रामीणों के बीच प्रवासी पक्षियों के प्रति जागरूकता बढ़ी है. इससे प्रवासी पक्षियों को संरक्षण भी मिलेगा.

कई विदेशी पक्षियों की हुई पहचान: लातेहार जिले में चल रहे पक्षी गणना कार्यक्रम में कई प्रवासी पक्षियों की पहचान अब तक हो चुकी है. लातेहार जिले के विभिन्न जलाशयों में पक्षी गणना कार्यक्रम के दौरान युरेशियन कुट, रेड पोचार्ड, नॉर्मल पोचार्ड, वाटर हेन समेत कई अन्य पक्षियों की पहचान अब तक हो चुकी है. इस संबंध में जानकारी देते हुए वन प्रमंडल पदाधिकारी रौशन कुमार ने बताया कि प्रवासी पक्षियों की पहचान के लिए पक्षी गणना की जा रही है. उन्होंने कहा कि जिले में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है. वन विभाग के द्वारा जल स्रोतों के आसपास जाकर प्रवासी पक्षियों के साथ-साथ लोकल पक्षियों की भी गणना की जा रही है. वहीं स्थानीय लोगों को भी पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है.

नॉलेज का भी हो रहा ट्रांसफर: डीएफओ ने बताया कि पक्षी गणना में वॉलिंटियर के रूप में बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीणों के अलावे स्थानीय लोग भी सहयोग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इससे एक और फायदा हो रहा है कि ग्रामीणों के द्वारा उन्हें पक्षियों के स्थानीय नाम से विभाग को परिचय कराया जा रहा है. वहीं विभाग के द्वारा पक्षियों के अंग्रेजी नाम को स्थानीय ग्रामीणों को बताया जा रहा है. इससे नॉलेज का ट्रांसफर हो रहा है.

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दरअसल, लातेहार जिले में ठंड का मौसम आने के बाद बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है. इस वर्ष भी बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन हो चुका है. जिले में चल रहे पक्षी गणना में अब तक कई विदेशी पक्षियों की पहचान भी हो चुकी है. पूर्व के वर्षों की बात करें तो कुछ स्थानों पर ग्रामीणों के द्वारा जागरूकता के अभाव में पक्षियों को नुकसान भी पहुंचाया जाता था. लेकिन इस बार वन विभाग के द्वारा पक्षी गणना के साथ-साथ ग्रामीणों के बीच पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूकता का भी कार्यक्रम चलाया जा रहा है. ताकि विदेश से आने वाले मेहमान पक्षियों की संख्या का पता चल सके और प्रवासी पक्षियों को एक भय मुक्त वातावरण उपलब्ध हो सके.

ग्रामीणों के सहयोग से हो रही पक्षियों की गणना: लातेहार जिले में इन दिनों वन विभाग के द्वारा प्रवासी पक्षियों के साथ-साथ जल स्रोतों के आसपास रहने वाले विभिन्न प्रकार के पक्षियों की पहचान और गणना की जा रही है. इस काम में स्थानीय ग्रामीणों के अलावे पक्षी प्रेमियों से भी मदद ली जा रही है. लातेहार वन प्रमंडल पदाधिकारी रौशन कुमार की पहल पर बड़ी संख्या में पक्षी प्रेमी और स्थानीय ग्रामीण पक्षी गणना और पहचान में सहयोग कर रहे हैं.

स्थानीय ग्रामीण और पक्षी प्रेमी रंजन कुमार ने बताया कि वन विभाग के साथ पक्षी गणना कार्य करने से ग्रामीणों को कई प्रकार के फायदे हो रहे हैं. कई विदेशी पक्षियों की पहचान और उनका अंग्रेजी नाम ग्रामीण अब जानने लगे हैं. रंजन ने बताया कि पक्षी गणना में ग्रामीण का सहयोग लिए जाने और ग्रामीणों को पक्षी संरक्षण के प्रति जागरूक किए जाने से ग्रामीणों को भी काफी लाभ मिल रहा है. वहीं पक्षी प्रेमी डॉ. विशाल शर्मा ने कहा कि वन विभाग का यह कार्य काफी सराहनीय है. विभाग के इस कार्य से ग्रामीणों के बीच प्रवासी पक्षियों के प्रति जागरूकता बढ़ी है. इससे प्रवासी पक्षियों को संरक्षण भी मिलेगा.

कई विदेशी पक्षियों की हुई पहचान: लातेहार जिले में चल रहे पक्षी गणना कार्यक्रम में कई प्रवासी पक्षियों की पहचान अब तक हो चुकी है. लातेहार जिले के विभिन्न जलाशयों में पक्षी गणना कार्यक्रम के दौरान युरेशियन कुट, रेड पोचार्ड, नॉर्मल पोचार्ड, वाटर हेन समेत कई अन्य पक्षियों की पहचान अब तक हो चुकी है. इस संबंध में जानकारी देते हुए वन प्रमंडल पदाधिकारी रौशन कुमार ने बताया कि प्रवासी पक्षियों की पहचान के लिए पक्षी गणना की जा रही है. उन्होंने कहा कि जिले में बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षियों का आगमन होता है. वन विभाग के द्वारा जल स्रोतों के आसपास जाकर प्रवासी पक्षियों के साथ-साथ लोकल पक्षियों की भी गणना की जा रही है. वहीं स्थानीय लोगों को भी पक्षियों के संरक्षण के प्रति जागरूक किया जा रहा है.

नॉलेज का भी हो रहा ट्रांसफर: डीएफओ ने बताया कि पक्षी गणना में वॉलिंटियर के रूप में बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीणों के अलावे स्थानीय लोग भी सहयोग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इससे एक और फायदा हो रहा है कि ग्रामीणों के द्वारा उन्हें पक्षियों के स्थानीय नाम से विभाग को परिचय कराया जा रहा है. वहीं विभाग के द्वारा पक्षियों के अंग्रेजी नाम को स्थानीय ग्रामीणों को बताया जा रहा है. इससे नॉलेज का ट्रांसफर हो रहा है.

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Last Updated : Jan 20, 2024, 3:55 PM IST
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