रोहित कुमार सोनी, देहरादून: अब अपराधी किसी भी अपराध को अंजाम देने के बाद बच नहीं पाएंगे. प्रदेश में अब किसी भी आपराधिक घटनाओं से संबंधित साक्ष्यों का परीक्षण करना काफी आसान हो जाएगा. दरअसल, उत्तराखंड विधि विज्ञान प्रयोगशाला को भारत सरकार से 6 फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन वैन (Forensic Investigation Van) मिल गई है. यह सभी वैन अत्याधुनिक तकनीक से लैस हैं. जिससे आपराधिक घटनास्थल पर ही साक्ष्यों का परीक्षण कर प्राथमिक रिपोर्ट दे देगी. हालांकि, पहले चरण में उत्तराखंड को 6 वैन प्राप्त हुए हैं. ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि भविष्य में सात और वैन मिल सकती है. इसके बाद इनकी जिलों में तैनाती कर दी जाएगी.
आपराधिक घटना का मौके पर होगा परीक्षण: गुजरात से देहरादून पहुंची 6 फॉरेंसिक लैब वाहनों के लिए केन्द्र सरकार से उत्तराखंड सरकार को 3.92 करोड़ की धनराशि मिली थी. फॉरेंसिक लैब वाहन में ड्रग डिडक्शन किट, एक्सप्लोजिव किट, फिंगर प्रिंट किट, फुट प्रिंट किट, डीएनए किट, फ्रिज, जनरेटर, साइबर सुरक्षा से संबंधित सॉफ्टवेयर, वीडियो कैमरा और अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं. देहरादून पहुंची फोरेंसिक लैब वाहनों को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते दिन हरी झंडी दिखाकर जिलों के लिए रवाना किया. ये फॉरेंसिक लैब वाहन देहरादून, हरिद्वार, उधमसिंहनगर, नैनीताल, अल्मोड़ा और श्रीनगर भेजे जायेंगे. इस फॉरेंसिक लैब वाहन के जरिए किसी भी आपराधिक घटना का मौके पर ही प्राथमिक परीक्षण किया जा सकेगा.
आधुनिक तकनीक से लैस वाहन: वहीं, विधि विज्ञान प्रयोगशाला उत्तराखंड के संयुक्त निदेशक एसके शर्मा ने बताया कि भारत सरकार की निर्भया योजना है, जिसके तहत देश के सभी जिलों को मोबाइल फॉरेंसिंग वैन दी जा रही है. इसी क्रम में पहले चरण के तहत उत्तराखंड को छह फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन वैन प्राप्त हुई हैं. यह वैन भारत सरकार की नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, गांधीनगर की ओर से दी गई है. इस वैन के लिए सारा फंड भारत सरकार ने उपलब्ध कराया था. साथ ही ये वैन नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी, गांधीनगर में ही बनाकर उत्तराखंड भेजी गई है.
सभी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर वैन में मौजूद: मोबाइल फॉरेंसिंग वैन को करीब ढाई साल के रिसर्च के बाद बनाया गया है. सभी वैन आधुनिक तकनीक से लैस है. किसी भी साइबर क्राइम के घटनास्थल से जो भी सबूत मिल सकते हैं, उनको एकत्र करने के लिए जिस भी सॉफ्टवेयर की जरूरत होती है. वहीं सभी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर वैन में मौजूद है. विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जो बेसिक चीज होती हैं, उसकी भी सुविधा इस वैन में दी गई है.आपराधी घटना में जो साक्ष्य (जैसे ब्लड) मिलते हैं, उसका मौके पर ही सैंपल एकत्र कर रिपोर्ट तैयार की जाएगा. देरी होने के बाद सैंपल खराब हो जाता है, क्योंकि इन सैंपल को प्रिजर्व करने की सुविधा पुलिस के पास नहीं है. लेकिन इस फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन वैन सैंपल को सुरक्षित रखने के लिए फ्रिज की भी व्यवस्था की गई है.
इन सुविधाओं से लैस है वाहन: इसके अलावा वैन में पावर सप्लाई हमेशा बनी रहे, जिसके लिए हैंडसेट जनरेटर भी लगाया गया है. साथ ही बताया कि विधि विज्ञान प्रयोगशाला में जितनी भी डिवीजन और क्षेत्र है वो सभी इस वैन से कवर हो जाएंगी. इस वैन में नारकोटिक्स जांच की व्यवस्था, विस्फोटक पदार्थ संबंधित जांच की व्यवस्था, फायर शॉट के दौरान निकलने वाले केमिकल के जांच की व्यवस्था, सीमेन, ब्लड, ह्यूमन सलाइवा के जांच की सुविधा भी उपलब्ध है. इसके अलावा डिफरेंट वेवलेंथ लाइट सोर्स की भी सुविधा वैन में दी गई है. ऐसे में किसी भी पदार्थ की जांच मौके पर ही की जा सकेगी.
नए कानून में वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी अनिवार्य: इसके अलावा इस वैन में आगे और पीछे दोनों तरफ कैमरे लगाए गए हैं. क्योंकि, नए कानून में घटनास्थल की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी करना अनिवार्य है. ऐसे में वैन जब घटनास्थल पर पहुंचेगी तो कैमरे से रिकॉर्डिंग अपने आप शुरू हो जाएगी. जिसको रिकॉर्ड करने के लिए वैन में सिस्टम लगाए गए हैं. वैन में माइक्रोस्कोप, फ्रिज, स्क्रीन, फिंगरप्रिंट किट, फुटप्रिंट किट समेत वो तमाम चीजें मौजूद हैं, जिनकी जरूरत घटनास्थल पर फॉरेंसिक टीम को होती है. साथ ही कहा कि मौजूदा समय में 6 वैन उत्तराखंड को प्राप्त हुई हैं. भविष्य में 7 और वैन उत्तराखंड को प्राप्त होगी, जिसको बाकी जिलों में भेजा जाएगी.
फॉरेंसिक टीम को एक्सपर्ट देंगे ट्रेनिंग: साथ ही कहा कि इस आधुनिक फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेशन वैन मिलने के बाद उत्तराखंड विधि विज्ञान प्रयोगशाला देश के अग्रणी प्रयोगशाला में शामिल हो गई है. नए कानून का उद्देश्य यही है कि त्वरित गति से न्याय दिया जा सके, यह तभी संभव है जब एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी) की रिपोर्ट तुरंत मिल जाए. लिहाजा ये वैन घटनास्थल पर मौजूद रहेगी तो तत्काल सैंपल लेकर प्राथमिक जांच रिपोर्ट दी जा सकेगी. संयुक्त निदेशक एसके शर्मा ने बताया कि वैन प्राप्त होने के बाद अब गांधीनगर से ही एक्सपर्ट आएंगे जो फॉरेंसिक टीम को करीब एक हफ्ते की ट्रेनिंग देंगे.
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