बालोद : बालोद जिले में वनोपज की अच्छा संग्रहण होता है.यही वजह है कि यहां के वनोपज की डिमांड सिर्फ देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी है. यहां वनोपज जैसे धान, इमली, महुआ को विदेश में एक्सपोर्ट किया जाता है.लिहाजा यहां के वनोपज को बड़ा मार्केट उपलब्ध कराने के लिए ट्रेनिंग का आयोजन हुआ. जिसमें भारत सरकार वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने फॉर्मर प्रोड्यूसर्स राइस मिलर्स, आईसी होल्डर्स, स्थानीय उद्यमियों और एफपीओ को ट्रेनिंग दिया.आपको बता दें कि फॉरेन ट्रेड में केंद्र सरकार निर्यात बंधु स्कीम के तहत उद्यमियों को सब्सिडी और छूट दे रही है.
निर्यात को लेकर दिया गया ट्रेनिंग : प्रशिक्षण दे रही डीजीएफटी टीम के मुताबिक विदेश में बालोद जिले का सामान जाये, निर्यात पर फोकस ज्यादा करें. इस बात को लेकर यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इमली महुआ यहां सामान्य चीज हैं. इसका विदेशों में उम्दा कीमतों के साथ व्यापार कर सकते हैं. डीजीएफटी नागपुर ने कस्टम की प्रक्रिया-बिल ऑफ एंट्री, शिपिंग बिल, इंटरनेशनल कॉमर्शियल टर्म, रोल ऑफ कस्टम हाउस की जानकारी दी.
स्थानीय बाजार का बढ़ेगा मुनाफा : डीजीएफटी टीम मेंबर सोनाली मोराई ने बताया कि भारत सरकार ने विदेश में निर्यात को प्रोत्साहन देने के लिए फॉरेन ट्रेड पॉलिसी बनाई है. इसके जरिए अलग-अलग सेक्टर के उद्योगों को वैश्विक स्तर पर अवसर दिया जा रहा है. बालोद में सुदृढ़ औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर है.जल और खनिज संसाधन के साथ यहां कृषि और उद्यानिकी हैंडीक्राफ्ट हैंडलूम, कोसा वस्त्र शिल्प के क्षेत्र में निर्यात की अच्छी संभावनाएं हैं. निर्यात के लिए अनुकूल मार्केट तलाश कर निर्यात शुरू किया जा सकता है. इससे मुनाफा बढ़ेगा और मार्केट डायवर्सिफिकेशन के कारण सिर्फ एक तरह के बाजार पर निर्भरता का रिस्क कम होगा.