जयपुर. शहर के तालकटोरा पर शुक्रवार को राजस्थानी संस्कृति की छटा बिखरी. यहां लोक कलाकारों ने राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत किया. घूमर, मांड गीत, अलगोजा वादन ने कार्यक्रम में समां बांधा. इस सांस्कृतिक कार्यक्रम का शहर वासियों ने भी जमकर लुत्फ उठाया. 18 नवंबर को जयपुर का स्थापना दिवस है, जिसका जश्न बीते 1 महीने से मनाया जा रहा है और आगामी 1 महीने तक जयपुर में कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे.
इसी कड़ी में शुक्रवार को हेरिटेज निगम की ओर से ताल कटोरा की पाल पर लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में राजस्थानी कलाकारों ने राजस्थानी गीत और भजन गाकर मौजूद लोगों का मन मोह लिया. कार्यक्रम की शुरुआत गणपति वंदना से हुई. इसके बाद मांड गीत केसरिया बालम आओ नी पधारो म्हारे देश गाकर सभी दर्शकों की तालियां बटोरी. वहीं, कलाकार फखरुद्दीन ने कॉमेडियन नृत्य कर दर्शकों को हंसने पर मजबूर कर दिया. रंगीला भाई ने इंजन की आवाज निकाल कर प्रस्तुति दी.
पढ़ें: शूटिंग लिए अलवर बन रहा पसंदीदा लोकेशन, वेब सीरीज और बॉलीवुड की कई फिल्में हो चुकी हैं शूट
इसके अलावा राजस्थानी लोक संगीत वाद्य यंत्र अलगोजा की प्रस्तुति भी दी गई. कार्यक्रम के अंत में घूमर नृत्य ने समा बांधा. इस दौरान महापौर कुसुम यादव ने बताया कि हेरिटेज निगम की ओर से जयपुर स्थापना के 297 वर्ष पूरे होने पर एक महीने से जयपुर वासियों के लिए विभिन्न आयोजन किए जा रहे है. आज हुए कार्यक्रम का उद्देश्य राजस्थानी लोक कलाकारों को आगे बढ़ाना और लोक सांस्कृतिक परंपरा को जीवंत करना है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में संगीत की दुनिया में नई प्रतिभा और पैटर्न आ रहे है, लेकिन राजस्थानी गीत और संगीत आज भी देश दुनिया में अपना परचम लहरा रहा है. नई पीढ़ी राजस्थानी लोक गीतों को न भूलें, इसके लिए समय-समय पर ऐसे आयोजन होने चाहिए.
उधर, हेरिटेज नगर निगम के कार्यक्रम पूरे होने के साथ ही ग्रेटर नगर निगम के कार्यक्रमों का आगाज होगा. 18 नवम्बर से गणेश पूजन, गज पूजन और महाआरती से कार्यक्रमों की शुरुआत की जाएगी. सबसे पहले मोती डूंगरी गणेश मंदिर में गणेश पूजन होगा. गंगापोल दरवाजे पर प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा अर्चना के बाद गोविंद देव जी मंदिर में पूजा अर्चना की जाएगी. प्रमुख चौराहों पर रंगोलिया, माडणें बनाए जाएंगे. स्वच्छता सप्ताह की भी शुरूआत की जाएगी. कार्यक्रमों की शृंखला में प्रेम रामायण, राम ही सुर, मयूरी जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.