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बिहार के बाढ़ से तबाही, मुख्य सचिव ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के सचिव के साथ दिल्ली में की बैठक

बिहार में नदियों का जलस्तर बढ़ने से बाढ़ आ गयी थी. इस समस्या से निदान के लिए केंद्र के साथ बैठक की गयी.

flood in bihar
बिहार के बाढ़ पर चर्चा. (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 10, 2024, 7:23 PM IST

पटना: बिहार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा की अध्यक्षता में सचिव, जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग सुश्री देबाश्री मुखर्जी के साथ नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक की गई. इस बैठक में बिहार के जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल एवं विभाग के वरीय पदाधिकारीगण उपस्थित थे. बैठक में बिहार की नदी जोड़ योजना, गाद की समस्या सहित बाढ़ प्रबंधन को लेकर विस्तृत चर्चा हुई.

"बैठक में बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने और बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने के उपायों पर चर्चा की गई. यह बैठक निश्चित ही बिहार में जल संसाधन प्रबंधन को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है."- संतोष कुमार मल्ल, जल संसाधन के प्रधान सचिव

नदी जोड़ योजना पर चर्चा: बैठक में सबसे पहले कोसी-मेची लिंक परियोजना पर विस्तार से चर्चा की गई. यह परियोजना न केवल बाढ़ नियंत्रण बल्कि सिंचाई और जल आपूर्ति के लिए भी महत्वपूर्ण है. परियोजना के क्रियान्वयन की प्रगति और इसमें आ रही चुनौतियों पर विचार करते हुए इसे शीघ्र पूरा करने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की गई. इंद्रपुरी जलाशय योजना और तिलैया ढ़ाढर अपसरण योजना पर चर्चा हुई.

गंगा के प्रवाह को बनाए रखने पर जोरः इन योजनाओं के तहत जल संचयन, वितरण और जलाशयों के समुचित प्रबंधन पर विचार किया गया, ताकि इससे जुड़े सभी लाभार्थियों को बेहतर सेवाएं मिल सकें. साथ ही गंगा नदी में पर्यावरणीय प्रवाह का निर्धारण भी बैठक का एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा. गंगा के सतत प्रवाह को बनाए रखने और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से इसका संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरणीय प्रवाह के मानकों को सख्ती से लागू करने पर जोर दिया गया.

नदियों से गाद हटाने पर विचारः गंगा नदी में पर्यावरणीय प्रवाह के निर्धारण पर विशेष ध्यान दिया गया, जिससे गंगा नदी की सतत प्रवाह सुनिश्चित हो सके. बैठक में व्यापक गाद प्रबंधन नीति पर भी चर्चा हुई. बिहार की नदियों में गाद की समस्या को नियंत्रित करने और इसके प्रभावी प्रबंधन के लिए एक व्यापक और वैज्ञानिक नीति की आवश्यकता पर बल दिया गया. इसके लिए नदियों में गाद हटाने और उनके पुनः भराव को नियंत्रित करने के ठोस उपायों पर विचार किया गया.

जल संसाधन प्रबंधन की तैयारीः जल संसाधन विभाग, बिहार सरकार के अधिकारियों को ज्वाइंट प्रोजेक्ट ऑफिस में शामिल करने का मुद्दा उठाया गया, ताकि बिहार के जल संसाधन प्रबंधन परियोजनाओं में राज्य सरकार की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित हो सके. इसके अलावा, नेपाल में प्रस्तावित वाटर ट्रांसफर/डायवर्सन परियोजनाओं पर भी चर्चा की गई, जो क्षेत्रीय जल संसाधन प्रबंधन के लिए अहम हैं. बता दें कि इस साल कोसी वीरपुर बराज और गंडक बाल्मीकि नगर बराज में नेपाल से जिस प्रकार पानी आया बहाव स्थिति उत्पन्न हो गई थी.

इसे भी पढ़ेंः बिहार में बाढ़ पीड़ितों के अकाउंट में खटाखट जा रहे ₹7000, चेक करें अपना बैलेंस

पटना: बिहार के मुख्य सचिव अमृत लाल मीणा की अध्यक्षता में सचिव, जल शक्ति मंत्रालय, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग सुश्री देबाश्री मुखर्जी के साथ नई दिल्ली में एक महत्वपूर्ण बैठक की गई. इस बैठक में बिहार के जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल एवं विभाग के वरीय पदाधिकारीगण उपस्थित थे. बैठक में बिहार की नदी जोड़ योजना, गाद की समस्या सहित बाढ़ प्रबंधन को लेकर विस्तृत चर्चा हुई.

"बैठक में बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने और बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करने के उपायों पर चर्चा की गई. यह बैठक निश्चित ही बिहार में जल संसाधन प्रबंधन को मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है."- संतोष कुमार मल्ल, जल संसाधन के प्रधान सचिव

नदी जोड़ योजना पर चर्चा: बैठक में सबसे पहले कोसी-मेची लिंक परियोजना पर विस्तार से चर्चा की गई. यह परियोजना न केवल बाढ़ नियंत्रण बल्कि सिंचाई और जल आपूर्ति के लिए भी महत्वपूर्ण है. परियोजना के क्रियान्वयन की प्रगति और इसमें आ रही चुनौतियों पर विचार करते हुए इसे शीघ्र पूरा करने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की गई. इंद्रपुरी जलाशय योजना और तिलैया ढ़ाढर अपसरण योजना पर चर्चा हुई.

गंगा के प्रवाह को बनाए रखने पर जोरः इन योजनाओं के तहत जल संचयन, वितरण और जलाशयों के समुचित प्रबंधन पर विचार किया गया, ताकि इससे जुड़े सभी लाभार्थियों को बेहतर सेवाएं मिल सकें. साथ ही गंगा नदी में पर्यावरणीय प्रवाह का निर्धारण भी बैठक का एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा. गंगा के सतत प्रवाह को बनाए रखने और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से इसका संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरणीय प्रवाह के मानकों को सख्ती से लागू करने पर जोर दिया गया.

नदियों से गाद हटाने पर विचारः गंगा नदी में पर्यावरणीय प्रवाह के निर्धारण पर विशेष ध्यान दिया गया, जिससे गंगा नदी की सतत प्रवाह सुनिश्चित हो सके. बैठक में व्यापक गाद प्रबंधन नीति पर भी चर्चा हुई. बिहार की नदियों में गाद की समस्या को नियंत्रित करने और इसके प्रभावी प्रबंधन के लिए एक व्यापक और वैज्ञानिक नीति की आवश्यकता पर बल दिया गया. इसके लिए नदियों में गाद हटाने और उनके पुनः भराव को नियंत्रित करने के ठोस उपायों पर विचार किया गया.

जल संसाधन प्रबंधन की तैयारीः जल संसाधन विभाग, बिहार सरकार के अधिकारियों को ज्वाइंट प्रोजेक्ट ऑफिस में शामिल करने का मुद्दा उठाया गया, ताकि बिहार के जल संसाधन प्रबंधन परियोजनाओं में राज्य सरकार की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित हो सके. इसके अलावा, नेपाल में प्रस्तावित वाटर ट्रांसफर/डायवर्सन परियोजनाओं पर भी चर्चा की गई, जो क्षेत्रीय जल संसाधन प्रबंधन के लिए अहम हैं. बता दें कि इस साल कोसी वीरपुर बराज और गंडक बाल्मीकि नगर बराज में नेपाल से जिस प्रकार पानी आया बहाव स्थिति उत्पन्न हो गई थी.

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