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बिहार का आर्थिक वृद्धि दर 10.64 प्रतिशत, राजकोषीय घाटा कुल सकल घरेलू उत्पाद का 5.97%

Bihar Fiscal deficit : बिहार सरकार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने आगामी वित्तीय वर्ष के लिए बजट की रूपरेखा पेश की. सम्राट चौधरी ने डबल इंजन की सरकार के लिए आगामी बजट को दूरगामी प्रभाव वाला करार दिया बेहतर विकास दर हासिल करने के बावजूद बिहार का राजकोषीय घाटा राष्ट्रीय स्तर से अधिक दर्ज की गई.

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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Feb 13, 2024, 8:40 PM IST

पटना : लोकसभा चुनाव से पहले बिहार सरकार का बजट पेश किया गया. वर्ष 2022-23 के दौरान आर्थिक विकास दर के मामले में बिहार अग्रणी रहा. बिहार की आर्थिक विकास दर जहां 10.64% दर्ज की गई, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह 7.24 प्रतिशत दर्ज की गई थी. बिहार राज्य के अर्थव्यवस्था का आकार वर्ष 2012-13 में 2.8 लाख करोड़ रुपए का था, जो 2022-23 में बढ़कर 7.5 लाख करोड़ रुपए का हो गया.

राजकोषीय घाटा सरकार के लिए चिंता का सबब है. वर्ष 2022-23 में राज्य का राजकोषीय घाटा, कुल सकल घरेलू उत्पाद का 5.97% रहा, जो कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अधिक सीमा 3.50% से ज्यादा है. आपको बता दें कि राजकोषीय घाटा को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में 3% की अवधि सीमा में रखना बेहतर वित्तीय प्रबंधन माना जाता है. एनडीए की सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023 -24 में राजकोषीय घाटा को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में 2.98 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य रखा गया है.

वित्तीय प्रबंधन सूचकांक में ब्याज भुगतान का राजस्व प्राप्ति के अनुपात में 10% के अंदर रखना बेहतर माना जाता है. जबकि बिहार का ब्याज भुगतान 2022-23 में राजस्व प्राप्ति का 8.79% था. यह अनुपात 2023-24 के लिए 8.64% अनुमानित है. वर्ष 2024- 25 के लिए 9.25 प्रतिशत अनुमानित है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य को केंद्र सरकार से सहायक अनुदान के रूप में 52160.62 करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान है.

2023-24 के बजट अनुमान में केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायक अनुदान राशि 53377.92 करोड़ रुपए थी. कुल मिलाकर पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में यह राशि 1217.30 करोड़ रुपए कम है. अर्थात केंद्र से पिछले वित्तीय वर्ष के तुलना में इस वित्तीय वर्ष में सहायक अनुदान राशि कम मिलने की संभावना है. राजस्व संग्रह के मामले में सरकार ने बेहतर प्रयास करने की कोशिश की है. साल 2022-23 में कुल 2 लाख 21 हजार 13 करोड़ रुपए की प्राप्ति हुई. जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 2625085 करोड़ पहुंच गया. 2024-25 में राज्य को कुल 16840 करोड़ रुपए अधिक प्राप्ति हुई.

2024-25 में केंद्रीय कर से बिहार को 40%, राज्य को अपने स्रोतों से राजस्व की प्राप्ति 19%, केंद्र सरकार की सहायता से अनुदान 19% तथा लोकऋण भी 19% अनुमानित है. समग्र रूप में देखा जाए तो कुल प्राप्ति में राज्य की अपनी राजस्व प्राप्तियां 22.09 प्रतिशत अनुमानित हैं. राज्य के अंदर विकासात्मक व्यय की बात कर ले तो साल 2022-23 में 160475 करोड़ रुपए विकास कार्यों पर व्यय किए गए. जबकि 2023-24 में आंकड़ा बढ़कर 167375 करोड़ हो गया. 2024-25 में यह आंकड़ा 176886 करोड़ रहने का अनुमान है. विकासात्मक कार्यों में बजटीय प्रावधान में इजाफा और बेहतर वित्तीय प्रबंधन की अपेक्षा है.

वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अलग-अलग स्कीमों में राज्य सरकार ने प्राथमिकता की है. समग्र शिक्षा और सर्व शिक्षा अभियान में 14596.46 करोड़, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अर्थात मनरेगा में 5092 करोड़, प्रधानमंत्री आवास योजना ₹4320 करोड़, स्वास्थ्य मिशन एवं राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत 3619.55 करोड़, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना 3374 करोड़, मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना 2955.41 करोड़, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन 2475.73 करोड़, स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा में मानव संसाधन 2240.33 करोड़ सबके लिए शहरी क्षेत्र में आवास 2103.07 करोड़, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना 2071.54 करोड़. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना 1444.45 करोड़, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क उन्नयन योजना 14 करोड़, शहरी पुनर्नवीकरण मिशन 1382 करोड़, मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना 1296 करोड़, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण 11203.78 करोड़, सिंचाई सिटीजन परियोजना 1125.30 करोड़. पुल निर्माण 1100 करोड़, तथा जल संसाधन के लिए 1007 करोड़ का प्रावधान किया गया है.

ये भी पढ़ें- सम्राट चौधरी ने पेश किया 2.78 लाख करोड़ का बजट, नौकरी, शिक्षा और रोजगार पर जोर


पटना : लोकसभा चुनाव से पहले बिहार सरकार का बजट पेश किया गया. वर्ष 2022-23 के दौरान आर्थिक विकास दर के मामले में बिहार अग्रणी रहा. बिहार की आर्थिक विकास दर जहां 10.64% दर्ज की गई, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह 7.24 प्रतिशत दर्ज की गई थी. बिहार राज्य के अर्थव्यवस्था का आकार वर्ष 2012-13 में 2.8 लाख करोड़ रुपए का था, जो 2022-23 में बढ़कर 7.5 लाख करोड़ रुपए का हो गया.

राजकोषीय घाटा सरकार के लिए चिंता का सबब है. वर्ष 2022-23 में राज्य का राजकोषीय घाटा, कुल सकल घरेलू उत्पाद का 5.97% रहा, जो कि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अधिक सीमा 3.50% से ज्यादा है. आपको बता दें कि राजकोषीय घाटा को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में 3% की अवधि सीमा में रखना बेहतर वित्तीय प्रबंधन माना जाता है. एनडीए की सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023 -24 में राजकोषीय घाटा को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात में 2.98 प्रतिशत तक रखने का लक्ष्य रखा गया है.

वित्तीय प्रबंधन सूचकांक में ब्याज भुगतान का राजस्व प्राप्ति के अनुपात में 10% के अंदर रखना बेहतर माना जाता है. जबकि बिहार का ब्याज भुगतान 2022-23 में राजस्व प्राप्ति का 8.79% था. यह अनुपात 2023-24 के लिए 8.64% अनुमानित है. वर्ष 2024- 25 के लिए 9.25 प्रतिशत अनुमानित है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य को केंद्र सरकार से सहायक अनुदान के रूप में 52160.62 करोड़ रुपए प्राप्त होने का अनुमान है.

2023-24 के बजट अनुमान में केंद्र सरकार से मिलने वाली सहायक अनुदान राशि 53377.92 करोड़ रुपए थी. कुल मिलाकर पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में यह राशि 1217.30 करोड़ रुपए कम है. अर्थात केंद्र से पिछले वित्तीय वर्ष के तुलना में इस वित्तीय वर्ष में सहायक अनुदान राशि कम मिलने की संभावना है. राजस्व संग्रह के मामले में सरकार ने बेहतर प्रयास करने की कोशिश की है. साल 2022-23 में कुल 2 लाख 21 हजार 13 करोड़ रुपए की प्राप्ति हुई. जबकि 2023-24 में यह आंकड़ा बढ़कर 2625085 करोड़ पहुंच गया. 2024-25 में राज्य को कुल 16840 करोड़ रुपए अधिक प्राप्ति हुई.

2024-25 में केंद्रीय कर से बिहार को 40%, राज्य को अपने स्रोतों से राजस्व की प्राप्ति 19%, केंद्र सरकार की सहायता से अनुदान 19% तथा लोकऋण भी 19% अनुमानित है. समग्र रूप में देखा जाए तो कुल प्राप्ति में राज्य की अपनी राजस्व प्राप्तियां 22.09 प्रतिशत अनुमानित हैं. राज्य के अंदर विकासात्मक व्यय की बात कर ले तो साल 2022-23 में 160475 करोड़ रुपए विकास कार्यों पर व्यय किए गए. जबकि 2023-24 में आंकड़ा बढ़कर 167375 करोड़ हो गया. 2024-25 में यह आंकड़ा 176886 करोड़ रहने का अनुमान है. विकासात्मक कार्यों में बजटीय प्रावधान में इजाफा और बेहतर वित्तीय प्रबंधन की अपेक्षा है.

वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अलग-अलग स्कीमों में राज्य सरकार ने प्राथमिकता की है. समग्र शिक्षा और सर्व शिक्षा अभियान में 14596.46 करोड़, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अर्थात मनरेगा में 5092 करोड़, प्रधानमंत्री आवास योजना ₹4320 करोड़, स्वास्थ्य मिशन एवं राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत 3619.55 करोड़, प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना 3374 करोड़, मुख्यमंत्री ग्राम संपर्क योजना 2955.41 करोड़, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन 2475.73 करोड़, स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा में मानव संसाधन 2240.33 करोड़ सबके लिए शहरी क्षेत्र में आवास 2103.07 करोड़, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना 2071.54 करोड़. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना 1444.45 करोड़, मुख्यमंत्री ग्रामीण सड़क उन्नयन योजना 14 करोड़, शहरी पुनर्नवीकरण मिशन 1382 करोड़, मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना 1296 करोड़, स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण 11203.78 करोड़, सिंचाई सिटीजन परियोजना 1125.30 करोड़. पुल निर्माण 1100 करोड़, तथा जल संसाधन के लिए 1007 करोड़ का प्रावधान किया गया है.

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