रांची: अधिवक्ता रवि शंकर पर हमले की साजिश उसके ही करीबी दोस्त विक्रम अग्रवाल ने रची थी. साजिश के तहत 11 फरवरी को विक्रम अग्रवाल ने रवि शंकर को अपने घर बुलाया और फिर जब रविशंकर विक्रम अग्रवाल के घर से वापस लौटने लगे इस दौरान भाड़े के अपराधियों से उन पर फायरिंग करवा दी. जिस समय रविशंकर को गोली मारी गई उस समय भी विक्रम वहीं मौजूद था. उसी ने भाड़े की अपराधियों को रवि की पहचान बताई जिसके बाद अपराधियो ने रवि को गोली मारी. हालांकि रवि की किस्मत अच्छी थी और वह गोली लगने के बावजूद बच गए.
पैसे वापस न देने पड़े इसलिए रची साजिश
दरअसल, पूरा मामला सूद के पैसे के लेनदेन से जुड़ा हुआ है. रांची के सीनियर एसपी चन्दन सिन्हा ने बताया कि अधिवक्ता रवि शंकर ने 10 लाख रुपए विक्रम अग्रवाल को सूद पर दिए थे. 10 लाख के बदले रवि को 30 लाख रुपए मिलने वाले थे, जिसमें से विक्रम ने 20 लाख रुपए रवि को दे भी दिए थे. इसी बीच रवि को यह जानकारी मिली कि विक्रम का कोलकाता में 63 कट्ठा जमीन है जिसे वह मॉर्गेज रख 30 करोड़ रुपए लोन लेना वाला है. यह जानकारी मिलते हैं रवि के मन में लालच आ गया और वह विक्रम अग्रवाल से 30 लाख की जगह एक करोड़ रुपए मांगने लगा. बाकायदा रवि के द्वारा 1 करोड़ रुपए के लिए विक्रम अग्रवाल को हर दिन परेशान भी किया जाने लगा. रवि से परेशान विक्रम अग्रवाल ने अपने एक दोस्त संजय अग्रवाल से अपनी परेशानी बताई इसके बाद यह तय हुआ कि भाड़े के हत्यारों से रवि को सदा के लिए ही रास्ते से हटा दिया जाय.
पांच लाख में शूटर खोजे गए
विक्रम के दोस्त संजय अग्रवाल ने कबाड़ी का काम करने वाले अपने मित्र अरविंद महतो से शूटर खोजने को कहा जिसके बाद भाड़े के अपराधियों से रवि को जान से मारने का सौदा पांच लाख में तय हुआ. अपराधियों को एडवांश के तौर पर 55 हजार रुपए दिए गए. जिसके बाद साजिश के तहत 11 फरवरी की रात विक्रम ने अधिवक्ता रवि को पैसे देने के लिए अपने घर बुलाया और फिर दूसरे दिन पैसा देने की बात कह रात में ही उन्हें वापस जाने को कहा. जैसे ही रवि विक्रम के घर से बाहर निकले विक्रम ने अपराधियों को रवि की पहचान करवा दी जिसके बाद अपराधियों ने रवि पर फायरिंग की और मौके से फरार हो गए. घायल रवि को अस्पताल समय पर पहुंचा दिया गया जिसकी वजह से उनकी जान बच गई. फिलहाल अभी भी रवि इलाजरत है. इस मामले में पुलिस में विक्रम अग्रवाल संजय अग्रवाल और एक अपराधी रामू कुमार को गिरफ्तार कर लिया है. तीनों ने घटना में अपनी संलिप्तता भी स्वीकार की है.
विक्रम ही ले गया अस्पताल, एफआईआर भी दर्ज करवाया
पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि गोली लगने की वजह से घायल अधिवक्ता रवि को विक्रम अग्रवाल ने ही अस्पताल भी पहुंचा साथ ही साथ थाने में रिपोर्ट भी दर्ज करवाई.
रवि से भी होगी पूछताछ
इस प्रकरण में रांची पुलिस घायल रवि के स्वस्थ होने के बाद उनसे भी पूछताछ करेगी. पुलिस यह जानना चाहती है कि विक्रम और रवि ऐसा कौन सा कारोबार कर रहे थे जिसमें 10 लाख रुपए का सूद 30 लाख और 30 लाख से बढ़कर 1 करोड़ हो गया.
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