लखनऊ: अब वीआईपी ट्रेनों में सफर करने वाले ऐसे यात्रियों को दिक्कत हो सकती है, जो स्मोक करते हैं. वीआईपी ट्रेनों में अब वह स्मोक नहीं कर पाएंगे. ट्रेनों के टॉयलेट में रेलवे की तरफ से फायर एंड स्मोक डिटेक्शन सप्रेशन सिस्टम लगाए जा रहे हैं. टॉयलेटस में किसी प्रकार का धुआं उठने पर रेल इंजन में लगा फायर अलार्म बजे उठेगा. इसके बाद लोको पायलट तत्काल ट्रेन में ब्रेक लगा देगा. सिगरेट पीने वाले शख्स से रेलवे एक्ट के मुताबिक जुर्माना वसूल किया जाएगा. यह सिस्टम लगाने के पीछे रेलवे का मकसद यही है कि ट्रेनों में आग लगने जैसी घटनाएं न होने पाएं. वीआईपी ट्रेनों में यह सिस्टम लगाए जा रहे हैं. उत्तर रेलवे और पूर्वोत्तर रेलवे की ट्रेनों में भी ये सिस्टम लगाया जा रहा है.
![Fire and Smoke Detection Separation System in VIP Trains](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/08-03-2024/up-luc-06-railway-train-7203805_08032024162229_0803f_1709895149_520.jpg)
फायर एंड स्मोक डिटेक्शन सप्रेशन सिस्टम के तहत रेस्पिरेशन टाइप फायर एंड स्मोक डिटेक्शन सेंसर, सप्रेशन आउटलेट, पैसेंजर अलार्म (पीएलसी) जैसे उपकरण लगाए जा रहे हैं. यह यात्रियों को अलर्ट करने के साथ ही फायर पर भी काबू पाने का काम करते हैं. तेजस, राजधानी, प्रयागराज, जयपुर, ग्वालियर- बरौनी जैसी ट्रेनों में सिस्टम लगाया गया है. लगातार अन्य ट्रेनों में भी इस तरह के सिस्टम लगाने की रेलवे तैयारी भी कर रहा है. धुआं, चिंगारी या आग का संकेत मिलते ही सिस्टम में लगे सेंसर सक्रिय हो जाते हैं. अलार्म बजते ही दोनों सिलेंडर एक्टिव होकर प्रेशर बनाने लगते हैं. कुछ ही देर में नाइट्रोजन और वाटर का मिक्सचर पाइप में प्रवाहित होने लगता है.
![Fire and Smoke Detection Separation System in VIP Trains](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/08-03-2024/up-luc-06-railway-train-7203805_08032024162229_0803f_1709895149_449.jpg)
दबाव बढ़ते ही वॉल्व खुल जाते हैं और नाइट्रोजन से पानी की बौछार शुरू हो जाती है. विकल्प के रूप में ट्रेनों में एक पावर कार लगाई जाती है. पावर कार में जनरेटर होता है जो विशेष परिस्थितियों में कोच को बिजली सप्लाई करता है. ट्रेन में यात्रियों के स्मोकिंग करने की वजह से जहां एक तरफ आग लगने की घटना होने की संभावना बनती है, वहीं टॉयलेट चोक होने की समस्या भी हो जाती है. स्मोकिंग करने के बाद लोग सिगरेट के नीचे का हिस्सा टॉयलेट में फेंककर फ्लैश कर देते हैं जो टॉयलेट के वाटर टैंक में जाकर फंस जाता है और इससे टॉयलेट भी चोक हो जाते हैं. यही सब सोचकर रेलवे प्रशासन ने ट्रेनों को इस सिस्टम से लैस करने की व्यवस्था की है.
पूर्वोत्तर रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक आदित्य कुमार का कहना है कि ट्रेनों को आग से बचाने के लिए ही इस सिस्टम की व्यवस्था की गई है. सभी ट्रेनों में यह सिस्टम लगाया जा रहा है जिससे आग लगने की घटनाएं न होने पाएं. स्मोक को पहले ही ये सिस्टम डिटेक्ट कर लेता है जिससे इस तरह की अनहोनी से बचा जा सकता है. यात्रियों की सुरक्षा के लिहाज से यह बहुत जरूरी है.
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