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झारखंड के कई वरिष्ठ अधिकारियों और एजेंसियों के खिलाफ एफआईआर, एसीबी छत्तीसगढ़ में दर्ज हुआ मामला - FIR against IAS officer

FIR on liquor scam. झारखंड के कई अधिकारियों के खिलाफ एसीबी छत्तीसगढ़ में मामला दर्ज किया गया है. इसके अलावा कई एजेंसियों के खिलाफ भी एफआईआर की गयी है.

FIR filed against Jharkhand IAS officer Vinay Chaubey in ACB Chhattisgarh
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 27, 2024, 11:54 AM IST

रांचीः झारखंड के सीनियर अधिकारियों के खिलाफ एसीबी छत्तीसगढ़ में एफआईआर दर्ज की गई है. ये पूरा मामला छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट से जुड़ा हुआ है. इसमें उत्पाद विभाग के अधिकारी समेत अन्य कई एजेंसियों पर भी शिकंजा कसा गया है.

क्या है पूरा मामला

छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के द्वारा शराब नीति में बदलाव कर झारखंड और छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार पर कब्जे को लेकर छत्तीसगढ़ एसीबी में एफआईआर दर्ज किया गया है. एफआईआर में कई वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा झारखंड में शराब की सप्लाई, मैन पावर और होलोग्राम बनाने वाली कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है. अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018, धारा 420, 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

क्या है एफआईआर में

छत्तीसगढ़ एसीबी में दर्ज एफआईआर में यह बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार के जरिए अवैध कमाई के लिए योजना बनाई. इसके तहत सिंडिकेट के सदस्य झारखंड के अधिकारियों और आबकारी विभाग के अफसरों के साथ मिलकर ठेकेदारी प्रथा के स्थान पर छत्तीसगढ़ स्टेट की शराब कंपनी के जरिए शराब बिक्री का नियम बनवाया.

इसके लिए दोनों राज्यों के आबकारी विभाग के अधिकारियों की रायपुर में मीटिंग की गई थी. इसके बाद विधानसभा में रिजॉल्यूशन लाया गया. इसके बाद छत्तीसगढ़ के एक अधिकारी को झारखंड में भी कंसल्टेंट बनाया गया. इसके लिए अधिकारी को 1.25 करोड़ का भुगतान भी किया गया.

इस एफआईआर में बताया गया है कि झारखंड के सीनियर अधिकारी और उसके सिंडिकेट के सदस्यों को लाभ दिलाने के लिए शराब सप्लाई एजेंसी और प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए निविदा शर्त में 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त डाली गई. ऐसे में जहां झारखंड में ठेकेदारी प्रथा शराब कारोबार में लागू थी, यहां की कोई कंपनी निविदा में शामिल नहीं हो पायी. इसी तरह मैनपावर सप्लाई करने वाली प्लेसमेंट एजेंसी के लिए 310 दुकानों के लिए ईएमडी राशि 49.67 लाख एवं बैंक गारंटी के रूप में 11.28 करोड़ की राशि निविदा शर्त के तौर पर रखी गई.

इस निविदा में भाग लेने के लिए कंपनियों के लिए शासकीय कार्य में दो साल में चार करोड़ रुपये के काम का अनुभव रखा गया. इस तरह झारखंड में छत्तीसगढ़ की कंपनियों सुमित फैसिलिटीज, ईगल हंटर साल्यूसंश, एटूजेड इंफ्रा को काम दिया गया. इसके बाद इन सभी कंपनियों के मालिकों के द्वारा सिद्धार्थ सिंघानिया को अपनी ओर से मैनपावर सप्लाई का काम दिया गया. सिंघानिया ने नए मैन पावर रखने के बजाय पुराने ठेकेदारों के अधीन शराब दुकानों में काम कर रहे लोगों को ही काम पर रखा.

राजस्व का हुआ नुकसान

इस एफआईआर में जिक्र है कि शराब सिंडिकेट की आपराधिक साजिश के कारण झारखंड में साल 2022-23 में राजस्व का भारी नुकसान हुआ. एसीबी छत्तीसगढ़ में शिकायत मिलने पर की गई आरंभिक जांच में पाया है कि नियम में फेरबदल कर शराब कंपनियों के मालिक से करोड़ों का कमीशन लिया गया.

इसे भी पढ़ें- झारखंड में शराब घोटाला मामले में ईडी ने तेज की जांच, सोमवार को होगी संयुक्त उत्पाद आयुक्त से पूछताछ

रांचीः झारखंड के सीनियर अधिकारियों के खिलाफ एसीबी छत्तीसगढ़ में एफआईआर दर्ज की गई है. ये पूरा मामला छत्तीसगढ़ शराब सिंडिकेट से जुड़ा हुआ है. इसमें उत्पाद विभाग के अधिकारी समेत अन्य कई एजेंसियों पर भी शिकंजा कसा गया है.

क्या है पूरा मामला

छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट के द्वारा शराब नीति में बदलाव कर झारखंड और छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार पर कब्जे को लेकर छत्तीसगढ़ एसीबी में एफआईआर दर्ज किया गया है. एफआईआर में कई वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा झारखंड में शराब की सप्लाई, मैन पावर और होलोग्राम बनाने वाली कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है. अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018, धारा 420, 120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है.

क्या है एफआईआर में

छत्तीसगढ़ एसीबी में दर्ज एफआईआर में यह बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार के जरिए अवैध कमाई के लिए योजना बनाई. इसके तहत सिंडिकेट के सदस्य झारखंड के अधिकारियों और आबकारी विभाग के अफसरों के साथ मिलकर ठेकेदारी प्रथा के स्थान पर छत्तीसगढ़ स्टेट की शराब कंपनी के जरिए शराब बिक्री का नियम बनवाया.

इसके लिए दोनों राज्यों के आबकारी विभाग के अधिकारियों की रायपुर में मीटिंग की गई थी. इसके बाद विधानसभा में रिजॉल्यूशन लाया गया. इसके बाद छत्तीसगढ़ के एक अधिकारी को झारखंड में भी कंसल्टेंट बनाया गया. इसके लिए अधिकारी को 1.25 करोड़ का भुगतान भी किया गया.

इस एफआईआर में बताया गया है कि झारखंड के सीनियर अधिकारी और उसके सिंडिकेट के सदस्यों को लाभ दिलाने के लिए शराब सप्लाई एजेंसी और प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए निविदा शर्त में 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त डाली गई. ऐसे में जहां झारखंड में ठेकेदारी प्रथा शराब कारोबार में लागू थी, यहां की कोई कंपनी निविदा में शामिल नहीं हो पायी. इसी तरह मैनपावर सप्लाई करने वाली प्लेसमेंट एजेंसी के लिए 310 दुकानों के लिए ईएमडी राशि 49.67 लाख एवं बैंक गारंटी के रूप में 11.28 करोड़ की राशि निविदा शर्त के तौर पर रखी गई.

इस निविदा में भाग लेने के लिए कंपनियों के लिए शासकीय कार्य में दो साल में चार करोड़ रुपये के काम का अनुभव रखा गया. इस तरह झारखंड में छत्तीसगढ़ की कंपनियों सुमित फैसिलिटीज, ईगल हंटर साल्यूसंश, एटूजेड इंफ्रा को काम दिया गया. इसके बाद इन सभी कंपनियों के मालिकों के द्वारा सिद्धार्थ सिंघानिया को अपनी ओर से मैनपावर सप्लाई का काम दिया गया. सिंघानिया ने नए मैन पावर रखने के बजाय पुराने ठेकेदारों के अधीन शराब दुकानों में काम कर रहे लोगों को ही काम पर रखा.

राजस्व का हुआ नुकसान

इस एफआईआर में जिक्र है कि शराब सिंडिकेट की आपराधिक साजिश के कारण झारखंड में साल 2022-23 में राजस्व का भारी नुकसान हुआ. एसीबी छत्तीसगढ़ में शिकायत मिलने पर की गई आरंभिक जांच में पाया है कि नियम में फेरबदल कर शराब कंपनियों के मालिक से करोड़ों का कमीशन लिया गया.

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