जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में जोधपुर के मेहरानगढ़ क़िले में घटित दुखांतिका की जांच हेतु जस्टिस जसराज चोपड़ा की अध्यक्षता में गठित जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखने तथा उसे सार्वजनिक करने के लिए दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव एवं न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बहस कर रहे राज्य के महाधिवक्ता का रवैया नकारात्मक ही रहा तथा उन्होंने सरकार द्वारा जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से साफ मना कर दिया.
याचिकाकर्ता ईश्वर प्रसाद खण्डेलवाल तथा दुखांतिका के बाद गठित संगठन के सचिव मानाराम के वरिष्ठ वकील मनोज भंडारी ने बहस के दौरान जांच आयोग अधिनियम की धारा 3 उपधारा 4 का हवाला देते हुए न्यायलय से निवेदन किया कि सरकार के पास रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रख कर उसे सार्वजनिक करने व जांच आयोग की सिफारिश पर कार्यवाही करने के अलावा कोई अन्य विकल्प शेष नही है . खण्डेलवाल ने न्यायालय से निवेदन किया कि सरकार के द्वारा रिपोर्ट को जांच आयोग द्वारा पेश किए जाने के बाद 6 महीने के अंदर विधानसभा के पटल पर रख कर उस पर एक्शन टेकन रिपोर्ट सार्वजनिक करना अनिवार्य है. परन्तु सरकार ने रिपोर्ट को दबा रखा है और वर्ष 2017 से मानाराम द्वारा दायर याचिका पर टाल मटोल कर रहे है. सभी पक्षों को सुनने के बाद महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद के अनुरोध पर दोनों याचिकाओं को अंतिम सुनवाई के लिए 27 अगस्त को मुकर्रर कर दिया.
216 की हुई थी मौत: आज से करीब 16 साल पहले जोधपुर के मेहरानगढ़ में भी चैत्र नवरात्र के दौरान भगदड़ हुई थी, जिसमें 216 लोगों की जान चली गई थी. उस हादसे की जांच करने के लिए गठित जस्टिस जसराज चोपड़ा आयोग की रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं हुई. 30 सितंबर 2008 को चैत्र नवरात्र के दौरान जोधपुर के मेहरानगढ़ में चामुंडा मंदिर के दर्शन करने के लिए सुबह करीब 5:00 बजे लोगों के भीड़ जमा हुई थी. मंदिर पहुंचने के लिए एक रैंप पार्ट से गुजरना होता है, जहां पर आगे बैरिकेड लगा हुआ था. भीड़ भागती हुई जा रही थी. बैरिकेड के कारण लोग आगे नहीं जा पाए और रैंप पार्ट की ढलान में ही 216 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में अधिकांश युवा थे.