मसौढ़ी: पटना के मसौढ़ी में आज यानी 5 अप्रैल को मस्जिदों में रमजान के आखिरी जुमे जुमातुल विदा की नमाज अदा की जाएगी. जिसको लेकर हजारों की संख्या में रोजेदार नमाजी नमाज अदा करने के लिए मस्जिदों में पहुंच रहे हैं. बता दें कि यह मुसलमानों का एैसा त्यौहार है जिसमें अन्य धर्मो के अनुयायी भी मुसलमानों के साथ शरीक होकर खुशियां मनाते हैं.
अलविदा जुमे की नमाज का विशेष महत्व: वहीं, आज के दिन के महत्व को समझाते हुए मसौढ़ी के पुरानी बाजार स्थित मस्जिद के मौलाना मोहम्मद एजाज अली ने बताया कि इस्लामी धर्म में अलविदा जुमे की नमाज का विशेष महत्व है. अलविदा जुम्मा रमजान के पाक महीने के आखिरी जुमे यानी शुक्रवार को कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो लोग हज की यात्रा के लिए नहीं जा पाते अगर वह इस जुम्मे के दिन पूरी शिद्दत और एहतराम के साथ नमाज अदा करें तो उन्हें हज यात्रा करने के बराबर शबाब मिलता है. अलविदा जुम्मे को अरबी में जमात पल विदा के नाम से जाना जाता है.
गुनाहों की मिलती है माफी: अलविदा जुमे की नमाज को लेकर मसौढ़ी के मस्जिदों में अलग ही रौनक देखने को मिल रही. मस्जिदों में इसके लिए खास तैयारी की गई. सभी लोग नए वस्त्र पहनकर नमाज अदा करने के लिए जाते हैं. बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी लोग मस्जिदों में इबादत किया और ऐसा कहा जाता है कि अलविदा जुमे में नमाज अदा कर लोग जो जायज दुआ मांगते हैं वह पूरी होती है. साथ ही अल्लाह की रहमत और बरकत मिलती है. साथ ही व्यक्ति को अपने गुनाहों की माफी मिलती हैं. अलविदा जुमे के बाद ईद का पर्व मनाया जाएगा, जिसे ईद उल फितर या मीठी ईद के नाम से जाना जाता है.
मस्जिदों में खास रौनक: ईद का पर्व इस्लामिक कैलेंडर के दसवीं महीने सवाल की पहली तारीख को चांद देखने के बाद मनाया जाता है. इस महीने की पहले चांद वाली रात को ईद उल फितर मनाया जाएगा. बहरहाल मसौढ़ी के पुरानी बाजार मस्जिद, रहमतगंज के जामा मस्जिद और मालिकाना मोहल्ले की मस्जिद और तारेगना की मस्जिदों पर नमाजियों की खास रौनक देखी गई.
"रमजान के अंतिम शुक्रवार को आखिरी जुमे की नमाज पढ़ी जाती है. इसे अलविदा जुम्मा भी कहा जाता है, इस दिन लोग एक दूसरे को मुबारकबाद भी देते हैं. रोजेदारों के लिए यह काफी खास नमाज होता है, क्योंकि कुरान में इसके महत्व के बारे में कई बार लिखा गया है. अंतिम रोजा का नमाज रोजगारों के लिए काफी सबाब भरा होता है, अपने मुल्क की सलामती के लिए हम सब ने दुआ मांगी है." - एजाज अली, मौलाना, पुरानी बाजार मस्जिद मसौढ़ी
इसे भी पढ़े- 'मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना', 9 सालों से रमजान के महीने में रोजा रखता है हिंदू युवक - Ramadan In Gaya