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गजब स्कूल है: न टॉयलेट, न बिजली, न रसोई, दो कमरों में सारी कक्षाएं, देखिए Video - FARRUKHABAD SCHOOL INSIDE STORY

Farrukhabad School:फर्रुखाबाद का एक ऐसा स्कूल कई सालों से बिना टॉयलेट,बिजली व रसोईघर के चल रहा है.

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फर्रुखाबाद स्कूल बिना टॉयलेट और बिजली के (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 7, 2024, 1:41 PM IST

फर्रुखाबाद: जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर राजेपुर ब्लॉक क्षेत्र में तीसराम की मड़ैया ग्राम में एक प्राथमिक विद्यालय है. गांव के नाम पर ही यह स्कूल भी है. गांव से करीब एक किलोमीटर दूर गंगा हैं. बाढ़ से विद्यालय भवन क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके बाद से ही गांव की चौपाल में करीब चार साल से विद्यालय का संचालन होता रहा था. एक साल पहले विद्यालय की बिल्डिंग बनी. जिसमें दो कमरे, बरामदा और एक ऑफिस बनाया गया. जिसमें कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों को पढ़ाया जाता है. कई बार जन अधिकारियों से शिकायत की गई कि विद्यालय में एक भी शौचालय नहीं है.लेकिन, विद्यालय में शौचालय का निर्माण नहीं हो पाया है. जिसकी वजह से छात्रों, शिक्षकाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. विद्यालय में बिजली भी नहीं आती है.

स्कूल में पढ़ रही छात्रा प्रतिज्ञा और विवेक ने बताया, कि वह कक्षा 5 में पढ़ रहे हैं. पहले यह विद्यालय बाबा की चौपाल में चलता था.वहां करीब 4 साल बाबा की चौपाल में यह विद्यालय रहा था. एक साल हो गया. इस नई बिल्डिंग को बने हुए. तब से इसी विद्यालय में पढ़ रहे हैं. विद्यालय परिसर के बाहर एक हैंडपंप लगा है. उसे ही चलाकर हम लोग पानी पीते हैं. यहां विद्यालय में शौचालय की कोई भी व्यवस्था नहीं है. हम लोग खेतों में जाते हैं. विद्यालय में सभी लोग ऐसे ही जाते हैं.

विद्यालय में तैनात सहायक अध्यापक सुप्रिया सिंह ने बताया, कि बताया कि 2018 से जॉइनिंग हुई है. तब से यही पढ़ रही हूं.जब यहां जॉइनिंग की थी तब यह बिल्डिंग गंगा के किनारे बनी थी. बाढ़ के कारण विद्यालय की बिल्डिंग गिर गई.उसके बाद से 4 साल तक एक गांव में चौपाल थी. वहां पर चबूतरे पर विद्यालय संचालित होता था. अब विद्यालय की बिल्डिंग बने करीब 1 साल हो गया है. तब से यहीं पर विद्यालय संचालित हो रहा है. विद्यालय की बिल्डिंग में दो कमरे, एक ऑफिस है.

स्कूल के छात्रों और शिक्षिकाओं ने दी जानकारी (ETV BHARAT)

इसे भी पढ़े-स्कूल के पास लगे फ्रीजर में उतरा करंट, पानी पीने गए 8 साल के बच्चे की मौत


सहायक अध्यापक ने बताया, कि पंखे तो लगे हैं पर बिजली की व्यवस्था नहीं है ना ही शौचालय की व्यवस्था है, ना ही विद्यालय में रसोईघर है. विद्यालय में रसोईया तो तैनात है, पर बच्चों लिए खाना बनाने के लिए किचन की व्यवस्था नहीं है. बच्चों के लिए खाना खुले में बनवाया जाता है. विद्यालय में 33 बच्चे पंजीकृत हैं. जिसमें तीन दिव्यांग बच्चे हैं. विद्यालय में एक महिला सहायक शिक्षक. दो शिक्षामित्र तैनात हैं. एक प्रधानाध्यापक और एक रसोईया है. बताया हम लोगों ने अपने प्रधानाध्यापक को भी अवगत कराया है. प्रधानाध्यापक ने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है.


जो निरीक्षण करने आते हैं, उनसे भी कहते हैं. लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. बताया कि जब से जब चौपाल में विद्यालय संचालित हो रहा था तब भी यही समस्या थी. अब विद्यालय की बिल्डिंग बन गई है तब भी शौचालय विद्यालय का नहीं बनाएं हम लोग खुले में टॉयलेट करने जाते हैं. बच्चों में स्टाफ को आज तक शौचालय उपलब्ध नहीं हुआ है.

शिक्षा मित्र मंजू लता ने बताया, कि मैंने बताया कि प्रधान से भी बोला कि जिनकी झोपड़ी है उनको तो शौचालय बनवाए जा रहे हैं. विद्यालय की बिल्डिंग 15 लाख की है. वहां शौचालय नहीं है. ऐसा कैसे हैं? पर कोई सुनता ही नहीं है. यहां हर साल बाढ़ आ जाती है. विद्यालयों की बिल्डिंग में पानी नहीं आता है. आसपास भर जाता है, उसे टाइम हम लोगों को बहुत दिक्कत होती है.


यह भी पढ़े-यूपी का एक भी स्कूल A कैटेगरी में नहीं, सभी आश्रम पद्धति विद्यालय के प्रदर्शन में गिरावट - UP Board grading for schools

फर्रुखाबाद: जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर राजेपुर ब्लॉक क्षेत्र में तीसराम की मड़ैया ग्राम में एक प्राथमिक विद्यालय है. गांव के नाम पर ही यह स्कूल भी है. गांव से करीब एक किलोमीटर दूर गंगा हैं. बाढ़ से विद्यालय भवन क्षतिग्रस्त हो गया था. इसके बाद से ही गांव की चौपाल में करीब चार साल से विद्यालय का संचालन होता रहा था. एक साल पहले विद्यालय की बिल्डिंग बनी. जिसमें दो कमरे, बरामदा और एक ऑफिस बनाया गया. जिसमें कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों को पढ़ाया जाता है. कई बार जन अधिकारियों से शिकायत की गई कि विद्यालय में एक भी शौचालय नहीं है.लेकिन, विद्यालय में शौचालय का निर्माण नहीं हो पाया है. जिसकी वजह से छात्रों, शिक्षकाओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. विद्यालय में बिजली भी नहीं आती है.

स्कूल में पढ़ रही छात्रा प्रतिज्ञा और विवेक ने बताया, कि वह कक्षा 5 में पढ़ रहे हैं. पहले यह विद्यालय बाबा की चौपाल में चलता था.वहां करीब 4 साल बाबा की चौपाल में यह विद्यालय रहा था. एक साल हो गया. इस नई बिल्डिंग को बने हुए. तब से इसी विद्यालय में पढ़ रहे हैं. विद्यालय परिसर के बाहर एक हैंडपंप लगा है. उसे ही चलाकर हम लोग पानी पीते हैं. यहां विद्यालय में शौचालय की कोई भी व्यवस्था नहीं है. हम लोग खेतों में जाते हैं. विद्यालय में सभी लोग ऐसे ही जाते हैं.

विद्यालय में तैनात सहायक अध्यापक सुप्रिया सिंह ने बताया, कि बताया कि 2018 से जॉइनिंग हुई है. तब से यही पढ़ रही हूं.जब यहां जॉइनिंग की थी तब यह बिल्डिंग गंगा के किनारे बनी थी. बाढ़ के कारण विद्यालय की बिल्डिंग गिर गई.उसके बाद से 4 साल तक एक गांव में चौपाल थी. वहां पर चबूतरे पर विद्यालय संचालित होता था. अब विद्यालय की बिल्डिंग बने करीब 1 साल हो गया है. तब से यहीं पर विद्यालय संचालित हो रहा है. विद्यालय की बिल्डिंग में दो कमरे, एक ऑफिस है.

स्कूल के छात्रों और शिक्षिकाओं ने दी जानकारी (ETV BHARAT)

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सहायक अध्यापक ने बताया, कि पंखे तो लगे हैं पर बिजली की व्यवस्था नहीं है ना ही शौचालय की व्यवस्था है, ना ही विद्यालय में रसोईघर है. विद्यालय में रसोईया तो तैनात है, पर बच्चों लिए खाना बनाने के लिए किचन की व्यवस्था नहीं है. बच्चों के लिए खाना खुले में बनवाया जाता है. विद्यालय में 33 बच्चे पंजीकृत हैं. जिसमें तीन दिव्यांग बच्चे हैं. विद्यालय में एक महिला सहायक शिक्षक. दो शिक्षामित्र तैनात हैं. एक प्रधानाध्यापक और एक रसोईया है. बताया हम लोगों ने अपने प्रधानाध्यापक को भी अवगत कराया है. प्रधानाध्यापक ने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है.


जो निरीक्षण करने आते हैं, उनसे भी कहते हैं. लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. बताया कि जब से जब चौपाल में विद्यालय संचालित हो रहा था तब भी यही समस्या थी. अब विद्यालय की बिल्डिंग बन गई है तब भी शौचालय विद्यालय का नहीं बनाएं हम लोग खुले में टॉयलेट करने जाते हैं. बच्चों में स्टाफ को आज तक शौचालय उपलब्ध नहीं हुआ है.

शिक्षा मित्र मंजू लता ने बताया, कि मैंने बताया कि प्रधान से भी बोला कि जिनकी झोपड़ी है उनको तो शौचालय बनवाए जा रहे हैं. विद्यालय की बिल्डिंग 15 लाख की है. वहां शौचालय नहीं है. ऐसा कैसे हैं? पर कोई सुनता ही नहीं है. यहां हर साल बाढ़ आ जाती है. विद्यालयों की बिल्डिंग में पानी नहीं आता है. आसपास भर जाता है, उसे टाइम हम लोगों को बहुत दिक्कत होती है.


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