ETV Bharat / state

ठंड बढ़ते ही आलू में झुलसा का बढ़ा खतरा, किसान भाई अभी कर लें ये उपाय नहीं तो फसल हो जाएगी चौपट - BLIGHT DISEASE IN POTATO

तापमान में गिरावट एवं बूंदाबांदी की स्थिति में आलू की फसल में झुलसा रोग की आशंका बढ़ गई है.

ETV Bharat
आलू की फसल पर झुलसा रोग का खतरा (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 18, 2024, 7:01 PM IST

Updated : Dec 18, 2024, 7:10 PM IST

फर्रुखाबाद: यूपी में करीब 6 लाख हेक्टेयर में आलू की बुआई हुई है. जिसमें फर्रुखाबाद जिला भी शामिल है. यहां पर 5 लाख किसानों ने आलू की बुआई की है. जिला उद्यान अधिकारी राघवेंद्र सिंह ने बताया, कि मौसम विभाग की ओर से तापमान में गिरावट और कोहरे की संभावना जताई गई है. वातावरण में तापमान में गिरावट और बूंदाबांदी की स्थिति में आलू की फसल में पिछेती झुलसा रोग का प्रकोप बहुत तेजी से फैलता है. फसल को भारी क्षति पहुंचती है.

आलू की फसल में झुलसा रोग: किसान अजय मिश्रा ने बताया, कि अभी तक आलू की फसल में झुलसा रोग की शिकायत नहीं मिली है. अगर दिन में और रात में टेंपरेचर ज्यादा कम रहेगा तो आलू में झूलसे की रोग की आशंका अधिक रहती है. अभी दिन में धूप खिल रही है और रात में टेंपरेचर ज्यादा कम रहता है. मौसम को देखते हुए आलू की फसल में दवा का छिड़काव हम लोग करते रहते हैं. जिससे आलू की फसल में रोग ना लगे. अभी नए आलू का भाव 18 सौ रुपये कुंतल है. मंडी में करीब ढाई हजार पैकेट रोजाना नए आलू के आते हैं, जो कि कई राज्यों से इसकी मांग आ रही है. जिसमें झारखंड बिहार बंगाल आदि राज्य हैं. फुटकर में नया आलू 20 किलो बिक रहा है. अब मार्केट में नया आलू आना शुरू हो गया है.

इसे भी पढ़ें - फर्रुखाबाद में लगेगा आलू का कारखाना, 5 लाख किसानों को होगा फायदा - MP MUKESH RAJPUT

जिला उद्यान अधिकारी राघवेंद्र सिंह ने बताया, कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में करीब 6 लाख हेक्टेयर आलू की बुआई संभावित है. कुछ क्षेत्रों में आलू ज्यादा पैदा किया जाता है. जिसमें, फर्रुखाबाद,आगरा, कन्नौज, अलीगढ़ और शाहजहांपुर इन क्षेत्रों में आलू की खेती की ज्यादा पैदावार होती है. वातावरण में तापमान में गिरावट और बूंदाबांदी की स्थिति में आलू की फसल पिछेती झुलसा रोग के प्रति अत्यंत संवेदनशील है.

नम वातावरण में रोग का प्रकोप: प्रतिकूल मौसम विशेष कर बदली युक्त बूंदाबांदी और नम वातावरण में झुलसना रोग का प्रकोप बहुत तेजी से फैलता है. इसके साथ ही फसल को भारी क्षति पहुंचती है. पिछेती झुलसा रोग के प्रकोप से पत्तियां सिरे से झुलसना प्रारंभ होती हैं. जो तीव्र गति से फैलती है. पत्तियों पर भूरे काले रंग के जलीय धब्बे बनते हैं. पत्तियों के निचली सतह पर रुई की तरह फफूंद दिखाई देती है. बदली युक्त 80% से अधिक आर्द्र वातावरण और 10 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर इस रोग का प्रकोप बहुत तेजी से होता है.

2 से 4 दिनों के अंदर ही संपूर्ण फसल नष्ट हो जाती है. ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को सलाह दी जाती है, कि फसल को पहले से बचाए तथा आवश्यकता अनुसार फसलों में नमी बनाए रखने हेतु समय-समय पर सिंचाई की जाए. आवश्यकता अनुसार जानकारों से दवाइयां की जानकारी लेकर फसलों में छिड़काव करें.

यह भी पढ़ें - यूपी के किसानों की राह हुई आसान, फसल कटाई में ऐप और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल - USE APPS MODERN TECHNIQUES

फर्रुखाबाद: यूपी में करीब 6 लाख हेक्टेयर में आलू की बुआई हुई है. जिसमें फर्रुखाबाद जिला भी शामिल है. यहां पर 5 लाख किसानों ने आलू की बुआई की है. जिला उद्यान अधिकारी राघवेंद्र सिंह ने बताया, कि मौसम विभाग की ओर से तापमान में गिरावट और कोहरे की संभावना जताई गई है. वातावरण में तापमान में गिरावट और बूंदाबांदी की स्थिति में आलू की फसल में पिछेती झुलसा रोग का प्रकोप बहुत तेजी से फैलता है. फसल को भारी क्षति पहुंचती है.

आलू की फसल में झुलसा रोग: किसान अजय मिश्रा ने बताया, कि अभी तक आलू की फसल में झुलसा रोग की शिकायत नहीं मिली है. अगर दिन में और रात में टेंपरेचर ज्यादा कम रहेगा तो आलू में झूलसे की रोग की आशंका अधिक रहती है. अभी दिन में धूप खिल रही है और रात में टेंपरेचर ज्यादा कम रहता है. मौसम को देखते हुए आलू की फसल में दवा का छिड़काव हम लोग करते रहते हैं. जिससे आलू की फसल में रोग ना लगे. अभी नए आलू का भाव 18 सौ रुपये कुंतल है. मंडी में करीब ढाई हजार पैकेट रोजाना नए आलू के आते हैं, जो कि कई राज्यों से इसकी मांग आ रही है. जिसमें झारखंड बिहार बंगाल आदि राज्य हैं. फुटकर में नया आलू 20 किलो बिक रहा है. अब मार्केट में नया आलू आना शुरू हो गया है.

इसे भी पढ़ें - फर्रुखाबाद में लगेगा आलू का कारखाना, 5 लाख किसानों को होगा फायदा - MP MUKESH RAJPUT

जिला उद्यान अधिकारी राघवेंद्र सिंह ने बताया, कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में करीब 6 लाख हेक्टेयर आलू की बुआई संभावित है. कुछ क्षेत्रों में आलू ज्यादा पैदा किया जाता है. जिसमें, फर्रुखाबाद,आगरा, कन्नौज, अलीगढ़ और शाहजहांपुर इन क्षेत्रों में आलू की खेती की ज्यादा पैदावार होती है. वातावरण में तापमान में गिरावट और बूंदाबांदी की स्थिति में आलू की फसल पिछेती झुलसा रोग के प्रति अत्यंत संवेदनशील है.

नम वातावरण में रोग का प्रकोप: प्रतिकूल मौसम विशेष कर बदली युक्त बूंदाबांदी और नम वातावरण में झुलसना रोग का प्रकोप बहुत तेजी से फैलता है. इसके साथ ही फसल को भारी क्षति पहुंचती है. पिछेती झुलसा रोग के प्रकोप से पत्तियां सिरे से झुलसना प्रारंभ होती हैं. जो तीव्र गति से फैलती है. पत्तियों पर भूरे काले रंग के जलीय धब्बे बनते हैं. पत्तियों के निचली सतह पर रुई की तरह फफूंद दिखाई देती है. बदली युक्त 80% से अधिक आर्द्र वातावरण और 10 से 20 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर इस रोग का प्रकोप बहुत तेजी से होता है.

2 से 4 दिनों के अंदर ही संपूर्ण फसल नष्ट हो जाती है. ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को सलाह दी जाती है, कि फसल को पहले से बचाए तथा आवश्यकता अनुसार फसलों में नमी बनाए रखने हेतु समय-समय पर सिंचाई की जाए. आवश्यकता अनुसार जानकारों से दवाइयां की जानकारी लेकर फसलों में छिड़काव करें.

यह भी पढ़ें - यूपी के किसानों की राह हुई आसान, फसल कटाई में ऐप और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल - USE APPS MODERN TECHNIQUES

Last Updated : Dec 18, 2024, 7:10 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.