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बादलों में छाई वीरानी से लोहरदगा के किसान परेशान, कैसे करेंगे गुजारा? - Rain in Lohardaga

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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 18, 2024, 9:23 AM IST

Rain in Lohardaga. लोहरदगा में बादलों में वीरानी छायी हुई है. बारिश नहीं होने से किसान परेशान हैं. किसान धान की रोपनी नहीं कर पा रहे हैं.

Rain in Lohardaga
खेती की तैयारी करता किसान (ईटीवी भारत)

लोहरदगा: लोहरदगा जिला कृषि प्रधान जिला है. खरीफ मौसम में यहां सबसे ज्यादा धान की खेती होती है. इसके अलावा मक्का, अरहर, उड़द, मड़ुआ की भी खेती होती है. खरीफ मौसम में लोहरदगा में 80375 हेक्टेयर में खरीफ आच्छादन का लक्ष्य रखा गया है. स्थिति यह है कि बादल वीरान हैं. खेतों में पानी नहीं है. ऐसे में खेती कैसे होगी. किसानों के चेहरे पर पसीने की बूंदें दिख रही हैं.

आधा जुलाई बीत गया, लेकिन बारिश नहीं

जिले में जुलाई महीने में सामान्य तौर पर 305 मिमी बारिश दर्ज की जाती है. इस बार जिले में अब तक मात्र 70 मिमी बारिश दर्ज की गई है. कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन सालों के दौरान जुलाई महीने में बारिश की यही स्थिति रही है. वर्ष 2022 के जुलाई महीने में लोहरदगा में सामान्य तौर पर 305 मिमी बारिश के मुकाबले 172.2 मिमी औसत बारिश हुई. जबकि वर्ष 2023 में सामान्य वर्षापात 305 मिमी के मुकाबले मात्र 95.8 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई. इस वर्ष अब तक मात्र 70 मिमी बारिश दर्ज की गई है.

खेती हो रही है प्रभावित

कम बारिश के कारण लोहरदगा में खेती प्रभावित हो रही है. जिले में धान की बहुत कम रोपनी हुई है. लोहरदगा जिले में जुलाई माह में अब तक खरीफ का मात्र 16 प्रतिशत ही आच्छादन हो पाया है, जबकि धान आच्छादन की बात करें तो अब तक मात्र 12 प्रतिशत आच्छादन हो पाया है. कम बारिश के कारण खेतों में पानी नहीं है. जिसके कारण किसान इंतजार कर रहे हैं कि कब बारिश होगी और कब वे फसल लगाएंगे. बिचड़ा तैयार हो चुके हैं, जब भारी बारिश के बाद खेतों में पानी जमा हो जाएगा तो वे आसानी से धान की रोपनी कैसे कर पाएंगे. समय बीतने के कारण किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है. उनके सामने अपनी फसल बचाने की चुनौती है.

"अभी समय है. किसान चिंता न करें. जुलाई के अंत तक किसान आराम से धान की रोपनी कर सकते हैं. किसानों को धान की पौध को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास करने चाहिए." - शिवपूजन राम, जिला कृषि पदाधिकारी

धान की फसल और खरीफ की खेती से किसानों के सपने जुड़े होते हैं. लोहरदगा जैसे जिले में खेती ही सबकुछ है. बेटी की शादी, परिवार के सपने, घर की जरूरतें, माता-पिता की दवाई और बाकी सब कुछ खेती से होने वाली कमाई पर निर्भर करता है. बारिश हो जाए तो सपने पूरे हो जाते हैं. बारिश न हो तो सपने टूट जाते हैं. अभी तक की स्थिति चिंताजनक है. बादल रूठे हुए हैं. किसानों के चेहरे पर पसीना साफ दिख रहा है.

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लोहरदगा: लोहरदगा जिला कृषि प्रधान जिला है. खरीफ मौसम में यहां सबसे ज्यादा धान की खेती होती है. इसके अलावा मक्का, अरहर, उड़द, मड़ुआ की भी खेती होती है. खरीफ मौसम में लोहरदगा में 80375 हेक्टेयर में खरीफ आच्छादन का लक्ष्य रखा गया है. स्थिति यह है कि बादल वीरान हैं. खेतों में पानी नहीं है. ऐसे में खेती कैसे होगी. किसानों के चेहरे पर पसीने की बूंदें दिख रही हैं.

आधा जुलाई बीत गया, लेकिन बारिश नहीं

जिले में जुलाई महीने में सामान्य तौर पर 305 मिमी बारिश दर्ज की जाती है. इस बार जिले में अब तक मात्र 70 मिमी बारिश दर्ज की गई है. कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन सालों के दौरान जुलाई महीने में बारिश की यही स्थिति रही है. वर्ष 2022 के जुलाई महीने में लोहरदगा में सामान्य तौर पर 305 मिमी बारिश के मुकाबले 172.2 मिमी औसत बारिश हुई. जबकि वर्ष 2023 में सामान्य वर्षापात 305 मिमी के मुकाबले मात्र 95.8 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गई. इस वर्ष अब तक मात्र 70 मिमी बारिश दर्ज की गई है.

खेती हो रही है प्रभावित

कम बारिश के कारण लोहरदगा में खेती प्रभावित हो रही है. जिले में धान की बहुत कम रोपनी हुई है. लोहरदगा जिले में जुलाई माह में अब तक खरीफ का मात्र 16 प्रतिशत ही आच्छादन हो पाया है, जबकि धान आच्छादन की बात करें तो अब तक मात्र 12 प्रतिशत आच्छादन हो पाया है. कम बारिश के कारण खेतों में पानी नहीं है. जिसके कारण किसान इंतजार कर रहे हैं कि कब बारिश होगी और कब वे फसल लगाएंगे. बिचड़ा तैयार हो चुके हैं, जब भारी बारिश के बाद खेतों में पानी जमा हो जाएगा तो वे आसानी से धान की रोपनी कैसे कर पाएंगे. समय बीतने के कारण किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है. उनके सामने अपनी फसल बचाने की चुनौती है.

"अभी समय है. किसान चिंता न करें. जुलाई के अंत तक किसान आराम से धान की रोपनी कर सकते हैं. किसानों को धान की पौध को सुरक्षित रखने के लिए प्रयास करने चाहिए." - शिवपूजन राम, जिला कृषि पदाधिकारी

धान की फसल और खरीफ की खेती से किसानों के सपने जुड़े होते हैं. लोहरदगा जैसे जिले में खेती ही सबकुछ है. बेटी की शादी, परिवार के सपने, घर की जरूरतें, माता-पिता की दवाई और बाकी सब कुछ खेती से होने वाली कमाई पर निर्भर करता है. बारिश हो जाए तो सपने पूरे हो जाते हैं. बारिश न हो तो सपने टूट जाते हैं. अभी तक की स्थिति चिंताजनक है. बादल रूठे हुए हैं. किसानों के चेहरे पर पसीना साफ दिख रहा है.

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