देहरादून: उत्तराखंड में मानसून का कहर लगातार जारी है. एक तरफ दैवीय आपदाओं से जान माल का नुकसान हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ कृषि क्षेत्र भी मानसून की मार से नहीं बच सका है. पूरे प्रदेश भर में सबसे ज्यादा अब तक उधमसिंह नगर में किसानों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है.
प्रदेश में अबतक कुल 2356.60 हेक्टर कृषि भूमि को नुकसान हुआ है. जिसमें से सबसे ज्यादा उधम सिंह नगर में 2345.5 हेक्टेयर भूमि पर नुकसान हुआ है. जिसमें खटीमा, सितारगंज, रुद्रपुर, गदरपुर, बाजपुर, काशीपुर और जसपुर की भूमि है. इन इलाकों में धान की खड़ी फसल को अतिवृष्टि और बाढ़ की वजह से खराब हो गई है. इसी तरह से कुछ नुकसान पौड़ी जिले के जहरी खाल ब्लॉक में भी हुआ है.
कुल मिलाकर बात की जाए तो पौड़ी, रुद्रप्रयाग, चंपावत टिहरी और उधम सिंह नगर के किसान अब तक मानसून सीजन से होने वाले नुकसान की चपेट में आए हैं. इन पांचों जिलों में अब तक कुल 2351.20 कृषि भूमि का नुकसान हुआ है. इन फसलों में मंडावा, झंगोरा, धान, सांवा, फल- सब्जियां इत्यादि शामिल हैं. सबसे ज्यादा नुकसान प्रदेश के मैदानी इलाकों में धान की तैयार फसल को हुआ है. रुद्रप्रयाग, चंपावत और टिहरी जैसे पहाड़ी जिलों में कृषि भूमि पर मलबा आने के कारण 5.40 हेक्टेयर कृषि भूमि बर्बाद हुई है.
बता दें मानसून सीजन में किसी क्षेत्र में तीन तरह के नुकसान होते हैं. जिसमें पहले तैयार फसल को नुकसान, दूसरा खेत में मलबा आ जाना, तीसरा भूमि कटान का नुकसान होता है. कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इन तीनों पैरामीटर पर किसानों को 33% से ज्यादा नुकसान होता है तो वह मुआवजे के हकदार होते हैं. कृषि निदेशक खजान चंद्रा पाठक ने बताया कृषि विभाग सर्वे का काम कर रहा है. अभी तक उधम सिंह नगर में नुकसान का सबसे ज्यादा आकलन किया गया है. उन्होंने बताया कृषि क्षेत्र में हुए नुकसान के मुआवजे को लेकर के भी हाथो-हाथ कार्रवाई की जा रही है.