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1 अक्टूबर को नहीं थमेगी राजधानी की रफ्तार, सोयाबीन किसानों ने इस वजह से आंदोलन पर लगाया ब्रेक - Soybean Farmers Protest Postponed

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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

किसानों का सोयाबीन के मिनियम समर्थन मूल्य को लेकर भोपाल में होने वाला आंदोलन फिलहाल स्थागित कर दिया गया है. किसानों के फसल कटाई में व्यस्त होने के कारण यह निर्णय लिया गया है, लेकिन किसान संगठनों ने साफ कहा है कि, जब तक सोयाबीन की एमएसपी 6000 रुपये प्रति क्विंटल नहीं हो जाएगी. तब तक वह पीछे नहीं हटेंगे.

SOYBEAN FARMERS PROTEST POSTPONED
1 अक्टूबर को भोपाल में होने वाले किसान आंदोलन पर ब्रेक (ETV Bharat)

रतलाम: सोयाबीन की एमएसपी को लेकर प्रदेश के किसानों का राजधानी भोपाल में होने वाला आंदोलन स्थगित हो गया है. यह निर्णय किसान मोर्चा और अन्य किसान संगठनों ने लिया है. सोयाबीन उत्पादक किसानों के फसल कटाई में व्यस्त होने और लगातार हो रही बारिश से फसल हार्वेस्टिंग में हो रही देरी की वजह से यह फैसला लिया गया है. हालांकि आंदोलन से जुड़े किसान नेताओं ने स्पष्ट किया है कि जब तक किसानों का सोयाबीन 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी पर नहीं खरीदा जायेगा, तब तक आंदोलन लगातार जारी रहेगा.

किसानों की व्यस्तता की वजह से आंदोलन स्थगित

मध्य प्रदेश के कई किसान संगठन अक्टूबर के पहले सप्ताह में भोपाल में चक्काजाम करने और बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे थे. जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत और किसान आंदोलन के बड़े नेताओं के भी शामिल होने की चर्चा थी, लेकिन अब यह आंदोलन स्थगित कर दिया गया है. सोयाबीन किसानों के आंदोलन से जुड़े हुए डीपी धाकड़ ने बताया कि, 'वर्तमान में सोयाबीन उत्पादक किसान फसल काटने और हार्वेस्टिंग में व्यस्त है. मौसम की मार भी किसानों पर पड़ी है, जिसकी वजह से हार्वेस्टिंग में देरी हो रही है. यही वजह है कि इस क्रमबद्ध आंदोलन के कुछ कार्यक्रम निरस्त किए गए हैं, लेकिन आंदोलन खत्म नहीं हुआ है.

किसान संगठनों ने आंदोलन को फिलहाल के लिए किया स्थगित (ETV Bharat)

किसानों को सोयाबीन की एमएसपी 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल दिलवाए बिना हमारी लड़ाई खत्म नहीं होगी. डीपी धाकड़ ने बताया कि सोशल मीडिया पर हमारा विरोध लगातार जारी है. 2 अक्टूबर को सभी ग्राम पंचायतों में होने वाली सभा में सोयाबीन उत्पादक किसान पहुंचकर सोयाबीन 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल किए जाने का प्रस्ताव पारित करवाएंगे.'

राकेश टिकैत भी इस आंदोलन का कर चुके हैं समर्थन

बता दें कि, बीते दिनों रतलाम, धार, उज्जैन, मंदसौर और नीमच सहित कई जिलों के किसानों ने सोयाबीन पंचायत बुलाकर आंदोलन की शुरूआत की थी. किसान नेता राकेश टिकैत ने भी इस मुहिम का समर्थन किया था. राकेश टिकैत ने केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर सोयाबीन की एमएसपी 6 हजार रुपये से अधिक किए जाने की मांग भी की थी. टिकैत एमपी में सोयाबीन को लेकर हो रहे आंदोलन में शामिल भी हुए थे. अब आंदोलन की रफ्तार धीमी पड़ गई है, क्योंकि ज्यादातर किसान सोयाबीन की कटाई में व्यस्त है, जिसकी वजह से वह आंदोलन में शामिल नहीं हो पा रहे हैं.

यह भी पढ़ें:

धान MSP पर मोहन सरकार देगी सर्प्राइज, किसानों ने बताया कितना रेट, रजिस्ट्रेशन की फुल डिटेल

मध्य प्रदेश में सोयाबीन की इस तारीख से खरीद शुरु, मोहन कैबिनेट ने MSP पर रास्ता किया साफ

मंदसौर से मांग की हुई थी शुरूआत

प्रदेश में सोयाबीन किसानों के गुस्से की पहली तस्वीर मंदसौर से सामने आई थी. जहां पर कम दाम मिलने से निराश किसानों ने खेत में खड़ी अपनी फसल पर रोटावेटर चलाकर नष्ट कर दिया था. इसके बाद रतलाम के किसानों ने सोशल मीडिया पर मुहिम चलाकर सोयाबीन के न्यूनतम दाम 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल किए जाने की मांग मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से की थी. धीरे-धीरे यह मुहिम सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी और इसे लेकर रील और कई पोस्ट अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल होने लगे. मालवा के कई जिलों में किसानों ने रैली और जुलूस निकालकर प्रदर्शन भी किया. गांव-गांव जाकर सोयाबीन पंचायत भी लगाई.

रतलाम: सोयाबीन की एमएसपी को लेकर प्रदेश के किसानों का राजधानी भोपाल में होने वाला आंदोलन स्थगित हो गया है. यह निर्णय किसान मोर्चा और अन्य किसान संगठनों ने लिया है. सोयाबीन उत्पादक किसानों के फसल कटाई में व्यस्त होने और लगातार हो रही बारिश से फसल हार्वेस्टिंग में हो रही देरी की वजह से यह फैसला लिया गया है. हालांकि आंदोलन से जुड़े किसान नेताओं ने स्पष्ट किया है कि जब तक किसानों का सोयाबीन 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल की एमएसपी पर नहीं खरीदा जायेगा, तब तक आंदोलन लगातार जारी रहेगा.

किसानों की व्यस्तता की वजह से आंदोलन स्थगित

मध्य प्रदेश के कई किसान संगठन अक्टूबर के पहले सप्ताह में भोपाल में चक्काजाम करने और बड़े आंदोलन की तैयारी कर रहे थे. जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत और किसान आंदोलन के बड़े नेताओं के भी शामिल होने की चर्चा थी, लेकिन अब यह आंदोलन स्थगित कर दिया गया है. सोयाबीन किसानों के आंदोलन से जुड़े हुए डीपी धाकड़ ने बताया कि, 'वर्तमान में सोयाबीन उत्पादक किसान फसल काटने और हार्वेस्टिंग में व्यस्त है. मौसम की मार भी किसानों पर पड़ी है, जिसकी वजह से हार्वेस्टिंग में देरी हो रही है. यही वजह है कि इस क्रमबद्ध आंदोलन के कुछ कार्यक्रम निरस्त किए गए हैं, लेकिन आंदोलन खत्म नहीं हुआ है.

किसान संगठनों ने आंदोलन को फिलहाल के लिए किया स्थगित (ETV Bharat)

किसानों को सोयाबीन की एमएसपी 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल दिलवाए बिना हमारी लड़ाई खत्म नहीं होगी. डीपी धाकड़ ने बताया कि सोशल मीडिया पर हमारा विरोध लगातार जारी है. 2 अक्टूबर को सभी ग्राम पंचायतों में होने वाली सभा में सोयाबीन उत्पादक किसान पहुंचकर सोयाबीन 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल किए जाने का प्रस्ताव पारित करवाएंगे.'

राकेश टिकैत भी इस आंदोलन का कर चुके हैं समर्थन

बता दें कि, बीते दिनों रतलाम, धार, उज्जैन, मंदसौर और नीमच सहित कई जिलों के किसानों ने सोयाबीन पंचायत बुलाकर आंदोलन की शुरूआत की थी. किसान नेता राकेश टिकैत ने भी इस मुहिम का समर्थन किया था. राकेश टिकैत ने केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर सोयाबीन की एमएसपी 6 हजार रुपये से अधिक किए जाने की मांग भी की थी. टिकैत एमपी में सोयाबीन को लेकर हो रहे आंदोलन में शामिल भी हुए थे. अब आंदोलन की रफ्तार धीमी पड़ गई है, क्योंकि ज्यादातर किसान सोयाबीन की कटाई में व्यस्त है, जिसकी वजह से वह आंदोलन में शामिल नहीं हो पा रहे हैं.

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मंदसौर से मांग की हुई थी शुरूआत

प्रदेश में सोयाबीन किसानों के गुस्से की पहली तस्वीर मंदसौर से सामने आई थी. जहां पर कम दाम मिलने से निराश किसानों ने खेत में खड़ी अपनी फसल पर रोटावेटर चलाकर नष्ट कर दिया था. इसके बाद रतलाम के किसानों ने सोशल मीडिया पर मुहिम चलाकर सोयाबीन के न्यूनतम दाम 6 हजार रुपये प्रति क्विंटल किए जाने की मांग मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार से की थी. धीरे-धीरे यह मुहिम सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी और इसे लेकर रील और कई पोस्ट अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल होने लगे. मालवा के कई जिलों में किसानों ने रैली और जुलूस निकालकर प्रदर्शन भी किया. गांव-गांव जाकर सोयाबीन पंचायत भी लगाई.

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