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किसान इस उन्नत तकनीक से करें चने की खेती, हो जाएंगे मालामाल - Chana Crop Technology

छत्तीसगढ़ के किसान रबि फसल में चना की खेती कैसे और किस तकनीक से करें. चना की खेती करते समय किसान किस तरह की सावधानी बरतें. चने की कौन-कौन सी किस्मों से अधिक पैदावार होगा. इन सभी सवालों के जबाव जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय रायपुर के कुल सचिव आरएल खरे से खास बात की है.

CHANA CROP TECHNOLOGY
चने की खेती की उन्नत तकनीक (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 3, 2024, 2:29 PM IST

Updated : Oct 3, 2024, 2:37 PM IST

रायपुर : चना की खेती करते समय कुछ बातों का ध्यान यदि किसान रखें तो वे अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. छत्तीसगढ़ में चने की कुछ ऐसी किस्म हैं, जिसको लगाकर प्रदेश के किसान अच्छा उत्पादन लेने के साथ ही मालामाल हो सकते हैं. प्रदेश में चना की खेती काफी तादाद में की जाती है. पूरे प्रदेश में 4 लाख हेक्टेयर में किसान चने की खेती करते हैं.

इस मौसम में करें चने की खेती : महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुल सचिव आरएल खरे ने बताया, "रवि फसल में चना की खेती पूरे प्रदेश में 4 लाख हेक्टेयर में की जाती है. बात अगर जिलों की करें तो कवर्धा, दुर्ग, राजनांदगांव, बेमेतरा और मुंगेली जैसे जिलों में किसान चने की खेती अधिक मात्रा में करते हैं. चने की खेती के लिए उपयुक्त मौसम अक्टूबर से नवंबर तक 3 महीने को माना गया है.

इस उन्नत तकनीक से करें चने की खेती (ETV Bharat)

चने की खेती करने के लिए मिट्टी को भुरभुरा करना भी जरूरी होता है, जिसमें जमीन को ढेलानुमा बनाया जाना चाहिए. यह चने की खेती के लिए उपयुक्त मानी गई. बूट चना, काबुली चना, देसी चना, जेजी 11 या जेजी 376 किस्म को उपयुक्त किस्म माना गया है. : आरएल खरे, कुल सचिव, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय रायपुर

चने की खेती करते बरतें सावधानी : चने की खेती करते समय किसानों को चने के बीज को उपयुक्त गहराई में लगाना चाहिए. चने को ज्यादा गहराई में लगाते हैं तो बीज के खराब होने का डर बना रहता है. चने की खेती में पानी की जरूरत कम पड़ती है. इसलिए जरूरत के हिसाब से चने को पानी देना चाहिए. किसानों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि सिंचित अवस्था है या असिंचित अवस्था. उसके हिसाब से चने की किस्म का चयन किसानों को करना चाहिए.

चने की खेती करते समय किसानों को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना होगा कि पहले बीज उपचार करें, उसके बाद ही चने की बोना चाहिए. चना की खेती करते समय 30 दिन होने पर ऊपर से चने की तुड़ाई करनी चाहिए. ऐसा करने से चने में अच्छी शाखाएं निकलेंगी. जितनी ज्यादा शाखाएं निकलेगी, फूलों की मात्रा उतनी बढ़ेगी और इससे फल भी अधिक मिलेगा.

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रायपुर : चना की खेती करते समय कुछ बातों का ध्यान यदि किसान रखें तो वे अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. छत्तीसगढ़ में चने की कुछ ऐसी किस्म हैं, जिसको लगाकर प्रदेश के किसान अच्छा उत्पादन लेने के साथ ही मालामाल हो सकते हैं. प्रदेश में चना की खेती काफी तादाद में की जाती है. पूरे प्रदेश में 4 लाख हेक्टेयर में किसान चने की खेती करते हैं.

इस मौसम में करें चने की खेती : महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय के कुल सचिव आरएल खरे ने बताया, "रवि फसल में चना की खेती पूरे प्रदेश में 4 लाख हेक्टेयर में की जाती है. बात अगर जिलों की करें तो कवर्धा, दुर्ग, राजनांदगांव, बेमेतरा और मुंगेली जैसे जिलों में किसान चने की खेती अधिक मात्रा में करते हैं. चने की खेती के लिए उपयुक्त मौसम अक्टूबर से नवंबर तक 3 महीने को माना गया है.

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चने की खेती करने के लिए मिट्टी को भुरभुरा करना भी जरूरी होता है, जिसमें जमीन को ढेलानुमा बनाया जाना चाहिए. यह चने की खेती के लिए उपयुक्त मानी गई. बूट चना, काबुली चना, देसी चना, जेजी 11 या जेजी 376 किस्म को उपयुक्त किस्म माना गया है. : आरएल खरे, कुल सचिव, महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय रायपुर

चने की खेती करते बरतें सावधानी : चने की खेती करते समय किसानों को चने के बीज को उपयुक्त गहराई में लगाना चाहिए. चने को ज्यादा गहराई में लगाते हैं तो बीज के खराब होने का डर बना रहता है. चने की खेती में पानी की जरूरत कम पड़ती है. इसलिए जरूरत के हिसाब से चने को पानी देना चाहिए. किसानों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि सिंचित अवस्था है या असिंचित अवस्था. उसके हिसाब से चने की किस्म का चयन किसानों को करना चाहिए.

चने की खेती करते समय किसानों को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना होगा कि पहले बीज उपचार करें, उसके बाद ही चने की बोना चाहिए. चना की खेती करते समय 30 दिन होने पर ऊपर से चने की तुड़ाई करनी चाहिए. ऐसा करने से चने में अच्छी शाखाएं निकलेंगी. जितनी ज्यादा शाखाएं निकलेगी, फूलों की मात्रा उतनी बढ़ेगी और इससे फल भी अधिक मिलेगा.

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Last Updated : Oct 3, 2024, 2:37 PM IST
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