रायपुर : छत्तीसगढ़ के किसानों को केले की खेती करते समय इससे संबंधित सावधानियों पर ध्यान रखना चाहिए. कौन सी तकनीक से केले की पैदावार अधिक होगी, केले की खेती के उन्नत तरीके कौन से हैं, केले की ऐसी कौन कौन सी किस्में हैं, जो किसानों को अच्छी उपज के साथ साथ ज्यादा मुनाफा दे सकती है. केले की फसल में किसानों को किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए. इस संबंध में ईटीवी भारत ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के फल विशेषज्ञ डॉ कुमोदनी साहू से खास बात की है.
केले की खेती की तकनीक : फल विशेषज्ञ डॉक्टर कुमोदनी साहू ने बताया कि प्रदेश के किसान केले की खेती कर अधिक उत्पादन लेना चाहते हैं तो टपक सिंचाई पद्धति को अपनाएं. टपक सिंचाई पद्धति से केले की खेती करने पर किसानों को अधिक उत्पादन और लाभ मिलेगा. केले का पौधा लगाते समय दो पौधों के बीच दूरियों का भी ध्यान रखना जरूरी है.
पौधे से पौधे की दूरी 1.8 मीटर होनी चाहिए. इसके साथ ही कतार से कतार की दूरी भी 1.8 मीटर रखनी चाहिए. : डॉ कुमोदनी साहू, फल विशेषज्ञ, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर
केले की सबसे उपयुक्त किस्म : फल विशेषज्ञ डॉ कुमोदनी साहू के मुताबिक, केले की इन 3 किस्मों में उद्यम किस्म के केले की खेती रैतून क्रॉप के जरिए भी कर सकते हैं. इस किस्म को एक बार लगाते हैं तो अगले 5 साल तक किसान केले का उत्पादन ले सकते हैं. इसकी उत्पादकता में कोई भी कमी नहीं आएगी. इससे प्रदेश के किसानों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा भी मिलेगा.
छत्तीसगढ़ की जलवायु और मिट्टी के हिसाब से केले की सभी किस्में उपयुक्त मानी गई है. केले की किस्म में उद्यम, जी-9, निंद्रन जैसी किस्म छत्तीसगढ़ के लिए उपयुक्त मानी गई है. : डॉ कुमोदनी साहू, फल विशेषज्ञ, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर
कीट से फसल का ऐसे करें बचाव : केले की खेती करते समय किसानों को कीट के प्रकोप से फसल को बचाना भी जरूरी है. किसानों को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना होगा कि हर 4 महीने में केले के पौधे में मिट्टी चढ़ाना भी जरूरी होता है. इसके साथ ही खरपतवार का नियंत्रण करना भी जरूरी है.