मसौढ़ी: बिहार में किसानों की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. इस बार मसौढ़ी में कृषि प्रौधोगिकी प्रबंधन अभिकरण के तहत एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया. जहां पर सभी किसानों को कम पानी में बेहतर सिंचाई करने, तालाब का मॉडल बनाने और मोटे अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी और मक्का की फसल लगाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया. साथ ही उन्हें प्रोत्साहित किया गया.
अब होगी मोटे अनाज की खेती: देश में मोटे अनाज की खेती अब तेजी से बढ़ने लगी है. इसके लिए केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक हर स्तर पर किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. बिहार के कम बारिश वाले क्षेत्र के किसानों को भी अब मोटे अनाज की खेती के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में मसौढ़ी कृषि प्रखंड कार्यालय में किसानों को मोटे अनाज के प्रति खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है, जिसमें प्रखंड के सभी किसान शामिल हुए हैं. उन सभी को आत्मा परियोजना के तहत प्रशिक्षित किया गया है.
"मोटे अनाज की खेती करने के लिए किसानों को यहां प्रशिक्षण दिया गया है. इसके अलावा बंजर जमीन पर बीज उत्पादन के लिए पीपीपी मोड बनाने की भी जानकारी दी गई है." - रंजीत कुमार, तकनीक प्रबंधक, मसौढ़ी
पांच सेंटर आफ एक्सीलेंस को मिली मंजूरी: बता दें कि चौथे कृषि रोड मैप में राज्य में पांच सेंटर आफ एक्सीलेंस को भी मंजूरी दी गई है. इस एक दिवसीय किसानों के प्रशिक्षण समारोह में प्रखंड कृषि तकनीक पदाधिकारी रंजीत कुमार के साथ-साथ सभी किसान समन्वयक, किसान सलाहकार, एटीएम और किसान उपस्थित रहे.
"हम सभी ने यहां आकर मोटे अनाज से खेती करने का प्रशिक्षण लिया है. मोटे अजान के कई स्वास्थ्य लाभ भी है. इसका सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती है. पाचन प्रक्रिया मजबूत होती हैं. साथ ही मोटे लोगों को वजन कम करने में भी मदद मिलती है. यह डायबिटीज रोगियों के लिए काफी फायदेमंद है. ऐसे में मोटे अनाजों का उत्पादन और खेती करना बहुत लाभदायक होगा." - अरूण प्रसाद, किसान, हरवंशपुर, मसौढ़ी
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