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किंग ऑफ विटामिन सी है स्पीति का सीबकथॉर्न, कैंसर-शुगर के मरीजों के लिए भी रामबाण - Sea Buckthorn products

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jun 27, 2024, 3:33 PM IST

Sea buckthorn Farming in Himachal: हिमाचल का जिक्र आते ही लोगों के आंखों के सामने सेब और अन्य फलों के बगान आ जाते हैं, लेकिन इन दिनों हिमाचल के किसान सेब के अलावा कई गैर परंपरागत फलों और औषधियों की खेती कर रहे हैं. इनकी खेती से प्रदेश के किसान मालामाल हो रहे हैं. लाहौल स्पीति में किसान इन दिनों सीबकथोर्न की खेती में अपना हाथ आजमा रहे हैं. साथ ही इसकी खेती से मालामाल भी हो रहे हैं.

किंग ऑफ विटामिन सी है स्पीति का सीबकथॉर्न
किंग ऑफ विटामिन सी है स्पीति का सीबकथॉर्न (ईटीवी भारत)

लाहौल स्पीति: जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में तैयार होने वाले किंग ऑफ विटामिन सी यानी छरमा (सीबकथॉर्न) के उत्पाद देश-विदेश में पहली पसंद बन चुके हैं. वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति के तहत विभिन्न स्वयं सहायता समूह छरमा के कई उत्पाद तैयार कर रहे हैं, जिसे खरीदने के लिए 2012 से 2015 बैच के भारतीय वन सेवा के अफसरों ने भी दिलचस्पी दिखाई है. गत बुधवार को देश के भिन्न-भिन्न राज्यों की 31 सदस्यीय आईएफएस अफसरों की टीम एक्सपोजर विजिट पर वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति पहुंची.

काजा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इस टीम ने जाइका से जुड़े 9 स्वयं सहायता समूहों से संवाद किया. इस दौरान यहां उपलब्ध छरमा चाय, जूस, बैरी, सूखे सेब समेत अन्य उत्पादों की खूब बिक्री हुई. डीसीएफ स्पीति मंदार उमेश जेवरे ने बताया कि चंद घंटों में ही 12 हजार रुपये की सेल हुई. उन्होंने कहा कि आज देश-विदेश में छरमा के औषधीय उत्पादों की मांग बढ़ रही है. मंदार उमेश जेवरे ने कहा कि देश के भिन्न-भिन्न राज्यों से आए आईएफएस अधिकारी स्वयं सहायता समूहों की ओर से तैयार किए ऐसे उत्पादों पर शोध करेंगे.

वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति पहुंची आईएफएस अफसरों की टीम
वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति पहुंची आईएफएस अफसरों की टीम (ईटीवी भारत)

देश-दुनिया में पंसद किए जा रहे इसके उत्पाद

गौरतलब है कि स्पीति के सीबकथॉर्न यानी छरमा से बनने वाले उत्पाद देश व दुनिया में पसंद किए जाते हैं. छरमा हिमाचल में आसानी से नहीं मिल पाता. बताया जाता है कि कैंसर-शुगर मरीजों के लिए रामबाण छरमा से कई तरह की दवाएं भी तैयार की जाती हैं. दवाओं के निर्माण में इसकी डिमांड काफी ज्यादा है. इसकी पत्तियों में विटामिन सी समेत कई दूसरे पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में होते हैं. जाइका वानिकी परियोजना से जुड़े स्वयं सहायता समूह छरमा के उत्पाद तैयार कर अपनी आर्थिकी को और मजबूत कर रहे हैं.

वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति पहुंची आईएफएस अफसरों की टीम
वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति पहुंची आईएफएस अफसरों की टीम (ईटीवी भारत)

रूस से मंगवाए गए थे पौधे

दरअसल दो दशक पहले तक इस पौधे से जुड़ी ज्यादातर जानकारी लोगों को नहीं थी. लाहौल स्पीति के लोग जंगल में पहले से प्राकृतिक रूप से उगने वाले सीबकथोर्न (छरमा) पर आश्रित थे, लेकिन इसकी किस्म अच्छी ना होने के कारण उत्पादन बहुत कम होता था, लेकिन अब उन्हें हाइब्रिड पौधे उपलब्ध करवाए गए हैं. हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (IHBT) और चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने 2022 लाहौल-स्पीति के किसानों को रूस से मंगवाए हाइब्रिड सीबकथोर्न (छरमा) के पौधे उपलब्ध करवाए थे.

लद्दाख के सीबकथोर्न को मिल चुका है GI टैग

हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति और साथ लगते किन्नौर जिले के अलावा लद्दाख में भी सीबकथोर्न की खेती होती है. जहां डीआरडीओ ने सीबकथोर्न पर शोध के जरिये पाया कि ये सेहत के लिए काफी अच्छा होता है. गौरतलब है कि लद्दाख के सीबकथोर्न को जीआई टैग भी मिल चुका है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं मुरीद

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सीबकथोर्न की खासियतों का जिक्र एक कार्यक्रम के दौरान कर चुके हैं. पीएम मोदी ने बताया था कि ये पौधा माइनस 40 डिग्री तक फल फूल सकता है. पीएम मोदी के एक रिसर्च का हवाला देते हुए कहा कि दुनियाभर में उपलब्ध सीबकथोर्न में पूरी मानव जाति की विटामिन सी की कमी को पूरा करने की क्षमता है. इसका इस्तेमाल हर्बल टी, जैम, प्रोटेक्टिव क्रीम, प्रोटेक्टिव ऑयल, हेल्थ ड्रिंक्स समेत कई एंटीऑक्सीडेंट प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं. ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर तैनात सेना के जवानों के लिए ये बहुत ही फायदेमंद साबित हो रहे हैं.

लाहौल स्पीति: जनजातीय जिला लाहौल-स्पीति में तैयार होने वाले किंग ऑफ विटामिन सी यानी छरमा (सीबकथॉर्न) के उत्पाद देश-विदेश में पहली पसंद बन चुके हैं. वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति के तहत विभिन्न स्वयं सहायता समूह छरमा के कई उत्पाद तैयार कर रहे हैं, जिसे खरीदने के लिए 2012 से 2015 बैच के भारतीय वन सेवा के अफसरों ने भी दिलचस्पी दिखाई है. गत बुधवार को देश के भिन्न-भिन्न राज्यों की 31 सदस्यीय आईएफएस अफसरों की टीम एक्सपोजर विजिट पर वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति पहुंची.

काजा में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इस टीम ने जाइका से जुड़े 9 स्वयं सहायता समूहों से संवाद किया. इस दौरान यहां उपलब्ध छरमा चाय, जूस, बैरी, सूखे सेब समेत अन्य उत्पादों की खूब बिक्री हुई. डीसीएफ स्पीति मंदार उमेश जेवरे ने बताया कि चंद घंटों में ही 12 हजार रुपये की सेल हुई. उन्होंने कहा कि आज देश-विदेश में छरमा के औषधीय उत्पादों की मांग बढ़ रही है. मंदार उमेश जेवरे ने कहा कि देश के भिन्न-भिन्न राज्यों से आए आईएफएस अधिकारी स्वयं सहायता समूहों की ओर से तैयार किए ऐसे उत्पादों पर शोध करेंगे.

वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति पहुंची आईएफएस अफसरों की टीम
वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति पहुंची आईएफएस अफसरों की टीम (ईटीवी भारत)

देश-दुनिया में पंसद किए जा रहे इसके उत्पाद

गौरतलब है कि स्पीति के सीबकथॉर्न यानी छरमा से बनने वाले उत्पाद देश व दुनिया में पसंद किए जाते हैं. छरमा हिमाचल में आसानी से नहीं मिल पाता. बताया जाता है कि कैंसर-शुगर मरीजों के लिए रामबाण छरमा से कई तरह की दवाएं भी तैयार की जाती हैं. दवाओं के निर्माण में इसकी डिमांड काफी ज्यादा है. इसकी पत्तियों में विटामिन सी समेत कई दूसरे पोषक तत्व प्रचूर मात्रा में होते हैं. जाइका वानिकी परियोजना से जुड़े स्वयं सहायता समूह छरमा के उत्पाद तैयार कर अपनी आर्थिकी को और मजबूत कर रहे हैं.

वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति पहुंची आईएफएस अफसरों की टीम
वाइल्ड लाइफ डिविजन स्पीति पहुंची आईएफएस अफसरों की टीम (ईटीवी भारत)

रूस से मंगवाए गए थे पौधे

दरअसल दो दशक पहले तक इस पौधे से जुड़ी ज्यादातर जानकारी लोगों को नहीं थी. लाहौल स्पीति के लोग जंगल में पहले से प्राकृतिक रूप से उगने वाले सीबकथोर्न (छरमा) पर आश्रित थे, लेकिन इसकी किस्म अच्छी ना होने के कारण उत्पादन बहुत कम होता था, लेकिन अब उन्हें हाइब्रिड पौधे उपलब्ध करवाए गए हैं. हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (IHBT) और चौधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने 2022 लाहौल-स्पीति के किसानों को रूस से मंगवाए हाइब्रिड सीबकथोर्न (छरमा) के पौधे उपलब्ध करवाए थे.

लद्दाख के सीबकथोर्न को मिल चुका है GI टैग

हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति और साथ लगते किन्नौर जिले के अलावा लद्दाख में भी सीबकथोर्न की खेती होती है. जहां डीआरडीओ ने सीबकथोर्न पर शोध के जरिये पाया कि ये सेहत के लिए काफी अच्छा होता है. गौरतलब है कि लद्दाख के सीबकथोर्न को जीआई टैग भी मिल चुका है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं मुरीद

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सीबकथोर्न की खासियतों का जिक्र एक कार्यक्रम के दौरान कर चुके हैं. पीएम मोदी ने बताया था कि ये पौधा माइनस 40 डिग्री तक फल फूल सकता है. पीएम मोदी के एक रिसर्च का हवाला देते हुए कहा कि दुनियाभर में उपलब्ध सीबकथोर्न में पूरी मानव जाति की विटामिन सी की कमी को पूरा करने की क्षमता है. इसका इस्तेमाल हर्बल टी, जैम, प्रोटेक्टिव क्रीम, प्रोटेक्टिव ऑयल, हेल्थ ड्रिंक्स समेत कई एंटीऑक्सीडेंट प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं. ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर तैनात सेना के जवानों के लिए ये बहुत ही फायदेमंद साबित हो रहे हैं.

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