अलवर. जिले के किसान अब पारंपरिक खेती को छोड़ आधुनिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं. इससे किसानों को दोगुना मुनाफा हो रहा है. अलवर में इन दिनों किसान काले गेहूं की खेती से निहाल हो रहे हैं. कारण है कि काले गेहूं की डिमांड बड़े शहरों में ज्यादा है, जिसके चलते किसानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं. वहीं, काली गेहूं को औषधि गुणों की खान भी कहा जाता है. वजह है कि काले गेहूं के सेवन से लोगों को कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है. वहीं, एंथ्रोसाइएनिन पिगमेंट के कारण इसका रंग काला होता है.
उद्यान विभाग के सहायक निदेशक मुकेश कुमार चौधरी ने बताया कि साल 2017 में पहली बार इसकी खेती मोहाली की एक यूनिवर्सिटी द्वारा शुरू की गई थी. उसके बाद ये प्रचलित हुआ. काले गेहूं की खेती मुख्य रूप से पंजाब, मध्यप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के कुछ जिलों में भी की जाती है. उन्होंने बताया कि प्रदेश के अलवर के राजगढ़, बानसुर, मालाखेड़ा व खैरथल सहित अन्य क्षेत्र में इसकी खेती की जाती है.
इस गेहूं में मौजूद है कई पोषक तत्व : सहायक निदेशक मुकेश कुमार चौधरी ने बताया कि काले गेहूं में कई पोषक तत्व मिलते हैं, जिसके चलते यह शरीर के लिए फायदेमंद साबित होता है. काले गेहूं में प्रोटीन, आयरन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, जिंक, कॉपर, फाइबर, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट विटामिन B1, B2, B3, B5 और B9 पाए जाते हैं. काले गेहूं मे मैग्नीशियम व आयरन की मात्रा सामान्य गेहूं से 60 प्रतिशत से ज्यादा होती है.
इसे भी पढ़ें - पौष्टिक नहीं निकला बैंगनी, हरा और काला गेहूं, विशेषज्ञों ने किया अस्वीकार
उन्होंने बताया कि काले गेहूं का रंग एंथोसाइएनिन पिगमेंट ज्यादा होने के कारण काला होता है. सामान्य गेहूं में 5 पीपीएम से 15 पीपीएम तक एंथोसाइएनिन पिगमेंट होता है. जबकि काले गेहूं में 100 से 200 पीपीएम एंथ्रोसिनिन पिगमेंट होने के कारण इसका रंग भूरे गेहूं से अलग होता है. एंथ्रोसाइएनिन पिगमेंट शरीर के लिए फायदेमंद रहता है. एंथ्रेसिन में पिगमेंट का कार्य फल व सब्जियों में कलर फर्टाइल का काम है.
पैदावार कम होने के बाद भी मुनाफा ज्यादा : चौधरी ने बताया काले गेहूं की पैदावार में 10 से 20 प्रतिशत तक की कमी सामान्य गेहूं की तुलना में रहती है. इसके बाद भी किसानों को काले गेहूं का दाम तीन से चार गुना तक मिलता है. काले गेहूं की खेती करने वाले किसान प्रकाश ने बताया कि वर्तमान में बाजार में काले गेहूं की कीमत 7 हजार से 8 हजार प्रति क्विंटल मिल रहा है. जिससे कि किसानों को काफी फायदा हो रहा है. जबकि सामान्य गेहूं की कीमत 2400 रुपए से 2500 रुपए प्रति क्विंटल किसानों को मिलती है. अलवर में अभी तक कम किसान इसकी खेती कर लाभ ले रहे है. हालांकि, अब किसान इसकी ओर रुझान ले रहे है आने वाले समय में इसकी फसल ज्यादातर क्षेत्रों में होने लगेंगी.
इसे भी पढ़ें - कई बीमारियों के लिए रामबाण का काम करता है 'काला गेहूं'...अलवर में किसान ने किया 27 मन का उत्पादन
एंटीऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक गुण के चलते मिलता है बीमारियों में फायदा : पूर्व आयुर्वेदिक चिकित्सा रामदेव शर्मा ने बताया कि काले गेहूं की फसल में एंटीऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं. इसके चलते शुगर, हार्ट, बीपी, पेट, कैंसर, मानसिक तनाव, घुटने का दर्द व कब्ज के मरीजों को इसे सेवन की सलाह दी जाती है. इन सभी बीमारियों में काला गेहूं कारगर साबित होता है.