नई दिल्ली/नोएडा: नोएडा पुलिस ने फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है. यहां विदेशी नागरिकों से टेक सपोर्ट देने के नाम पर ठगी करते थे. पुलिस ने 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनमें कुछ लड़कियां भी शामिल हैं. पुलिस ने इनके कब्जे से 4 इंटरनेट राउटर, 18 लैपटॉप, 3 कार, 2 बाइक, 24 मोबाइल फोन और 98 हजार रुपये नकद बरामद किए हैं. आरोपी वीओआईपी कॉल, टीएफएन व सॉफ्टफोन के माध्यम से विदेशी नागरिकों के साथ ऑनलाइन धोखाधडी करते थे. इन्हीं के जरिए ये विदेशी कॉल को अपने सर्वर पर लेते थे.
एडीसीपी मनीष मिश्रा ने बताया कि सी-234, सेक्टर-100 में विदेशी नागरिकों के साथ ऑनलाइन धोखाधड़ी करने वाले 15 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस पूछताछ में पकड़े गए आरोपियों ने बताया कि वो विदेशी नागरिकों से धोखाधड़ी करने के लिए कॉलिंग करने का काम करते थे. आरोपियों की पहचान देवरिया निवासी विनीत, बरेली निवासी पीयूष कुमार मौर्य, फरीदाबाद निवासी अमित कुमार, मणिपुर निवासी वाडेपन, पश्चिम बंगाल निवासी संजू ग्वाला, प्रगित दास, रितेश मिश्रा, रितिक राय और विशाल प्रयाद, प्रयागराज निवासी राघव देवरा और रोहित कुमार, चंडीगढ़ निवासी हिमांशु, दिल्ली निवासी इब्राहम अहमद, सिद्दार्थ डींगरा और कुशाल के रूप में हुई है.
ऐसे करते थे ठगीः एडिशनल डीसीपी मनीष कुमार मिश्र ने बताया कि गिरफ्त में आए आरोपी डार्क वेब के जरिए विदेशी नागरिकों का डाटा लेते थे. इसके बाद विदेशी नागरिकों के कंप्यूटर पर फर्जी लिंक व ईमेल ब्लास्टिंग के ई मेल भेजते थे. इस मेल या लिंक में एमेजॉन व पे-पाल कंपनी की तरफ से एप्पल उत्पाद के ऑर्डर निरस्त होने पर रकम वापसी के लिए टेक सपोर्ट देने की बात कही जाती थी. साथ ही आरोपी एक फर्जी हेल्प लाइन नंबर भी प्रदर्शित कर देते थे.
ठगों द्वारा भेजा गया मेल विदेशी नागरिकों को बार-बार सिस्टम पर दिखाई देता था. इससे ग्राहक परेशान होकर एक बार कॉल कर ही लेता था. विदेशी नागरिकों की कॉल को आरोपी वीओआईपी कॉल और टीएफएन के जरिए अपने सर्वर पर लेते थे. इसके बाद विदेशी नागरिकों के सिस्टम से रिफंड प्रोसेस या उसे ठीक करने के नाम पर सिस्टम का कंट्रोल, ऐनीडेस्क आदि एप्लीकेशन में ले लेते थे. जिससे उन्हें विदेशी नागरिक की कई निजी जानकारी के साथ बैंक खातों का विवरण प्राप्त हो जाता था.
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बैंक बैलेंस देखकर वसूल करते हैं चार्ज: विदेशी नागरिकों के बैंक बैलेंस को देखते हुए रकम वापसी की प्रक्रिया करने के नाम पर चार्ज लिया जाता था. इसमें अलग-अलग धनराशि हजारों डॉलरों के गिफ्ट कूपन/क्रिप्टो करेंसी के रूप में प्राप्त की जाती है. बाद में उसे भारतीय रुपये में परिवर्तित करा लिया जाता था. ठगी की रकम को आरोपी आपस में बांट लेते थे. जितने भी आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है, ज्यादातर यहां बतौर कर्मचारी काम कर रहे थे. हालांकि, सभी को ठगी की पूरी जानकारी थी. कमीशन भी सभी लेते थे. गिरफ्त में आए आरोपियों के कई अन्य साथियों के बारे में भी पुलिस को जानकारी मिली है.
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