नई दिल्ली : कर्नाटक के बेलगावी में 26 दिसंबर को होने वाली कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक इस पुरानी पार्टी को नई दिशा देगी. ठीक उसी तरह जैसे 2022 के उदयपुर घोषणापत्र में 2024 के राष्ट्रीय चुनावों से पहले पार्टी को पुनर्जीवित करने के तरीके बताए गए थे.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, 26 दिसंबर की कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक ऐसे महत्वपूर्ण समय में हो रही है, जब संसद में कांग्रेस की आवाज दबाई जा रही है और उसके शीर्ष नेताओं को भाजपा निशाना बना रही है. पार्टी सूत्रों ने आगे कहा कि संगठनात्मक पुनर्गठन और एनडीए सरकार का मुकाबला करने के तरीकों जैसे प्रमुख मुद्दों को सीडब्ल्यूसी की बैठक के दौरान अंतिम रूप दिया जाएगा. उदयपुर घोषणापत्र के बाद भाजपा की विभाजनकारी राजनीति का मुकाबला करने के लिए राहुल गांधी द्वारा 2022 में निकाली गई भारत जोड़ो यात्रा की तरह, ईवीएम के खिलाफ एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन को भी सीडब्ल्यूसी की बैठक के दौरान अंतिम रूप दिया जाएगा.
इसके अलावा, देश की सबसे पुरानी पार्टी का मानना है कि उसे नई पीढ़ी के साथ बेहतर ढंग से जुड़ने की जरूरत है और पार्टी की इस महत्वपूर्ण बैठक में युवाओं को कांग्रेस की ऐतिहासिक भूमिका के बारे में शिक्षित करने के लिए एक कार्यक्रम भी तैयार किया जाएगा.
इस बारे में सीडब्ल्यूसी सदस्य गिरीश चोडानकर ने कहा, " बेलगावी में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक बहुत महत्वपूर्ण है. इसमें पार्टी की नई दिशा तय होगी." उन्होंने कहा, " हम महात्मा गांधी से प्रेरणा लेंगे जो 26 दिसंबर 1924 को पार्टी प्रमुख बने और देश को ब्रिटिश शासन से आजाद कराने के लिए आंदोलन शुरू किया. एनडीए सरकार भी ब्रिटिश शासन जैसी ही है. वे क्रोनी कैपिटलिज्म को बढ़ावा दे रहे हैं, विपक्ष की आवाज दबा रहे हैं और चुनावों में हेराफेरी कर रहे हैं. कांग्रेस नेता ने कहा, "100 साल बाद हम अपने पूर्वजों के दिखाए रास्ते पर चलेंगे और देश को बचाने के लिए मौजूदा शासन को बाहर निकाल देंगे."
सीडब्ल्यूसी सदस्य ने कहा कि 1924 में भी यही स्थिति थी, जब ब्रिटिश शासन को हटाना असंभव लग रहा था. चोडानकर ने कहा, "हमने तब भी उन्हीं सवालों का सामना किया था, जिनका सामना हम आज भी कर रहे हैं. लेकिन हम अंततः तब सफल हुए और अब भी सफल होंगे." उन्होंने कहा, "हमें युवाओं को उस पार्टी द्वारा किए गए बलिदानों के बारे में शिक्षित करना चाहिए जो हमेशा जनता के लिए राजनीति करती है. आज जनता को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है."
वहीं छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के अनुसार, उदयपुर घोषणा के बाद से पार्टी संगठन में कुछ बदलाव किए गए हैं, लेकिन और अधिक किए जाने की आवश्यकता है, जैसा कि 29 नवंबर को सीडब्ल्यूसी की बैठक के दौरान कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने संकेत दिया था.
सिंह देव ने ईटीवी भारत से कहा, "संगठनात्मक मुद्दों और पार्टी अपनी आवाज कैसे बुलंद करेगी, इस पर 26 दिसंबर को होने वाली सीडब्ल्यूसी की बैठक में चर्चा होने की संभावना है. हमें निश्चित रूप से जनता के साथ अपने संवाद और हमारे खिलाफ भाजपा के झूठे आख्यान का मुकाबला करने की अपनी क्षमता में सुधार करने की आवश्यकता है."
बता दें कि हाल ही में संपन्न संसद सत्र में भाजपा और कांग्रेस के बीच टकराव अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच गया था, जिसके कारण दोनों पक्षों की ओर से एफआईआर दर्ज की गईं. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि विपक्ष लोगों को प्रभावित करने वाले कुछ प्रमुख मुद्दों पर चर्चा करना चाहता था और सरकार से जवाब मांगना चाहता था, लेकिन सत्ता पक्ष द्वारा बार-बार व्यवधान के कारण उसे कभी मौका नहीं मिला.
राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने ईटीवी भारत से कहा, "पहला पूरा सप्ताह बेकार चला गया, क्योंकि सरकार ने सदन नहीं चलाने का फैसला किया. वे हमारे नेता राहुल गांधी पर एफआईआर दर्ज कर उन्हें निशाना बना रहे हैं, लेकिन उन्हें इस तरह चुप नहीं कराया जा सकता."
ये भी पढ़ें- अंबेडकर के अपमान को लेकर कांग्रेस जल्द शुरू करेगी देशव्यापी आंदोलन