बारां. जिले की छबड़ा नगर पालिका के सरकारी खाते से 43.80 लाख रुपए के फर्जी बिल भुगतान का मामला सामने आया है. इस संबंध में तत्कालीन अधिशासी अधिकारी ने दो संविदा कार्मियों सहित अन्य के खिलाफ छबड़ा थाने में मुकदमा दर्ज करवाया है. भारतीय जनता पार्टी के पार्षदों ने इस पूरे मामले में बड़े गड़बड़झाले की आशंका जताई है. साथ ही कांग्रेस सरकार के चार साल के कार्यकाल में पूरी जांच की मांग भी रखी है.
छबड़ा थानाधिकारी राजेश खटाना का कहना है कि अधिशासी अधिकारी महेंद्र सिंह चारण की शिकायत पर मुकदमा दर्ज किया गया है. इसमें कंप्यूटर ऑपरेटर हरिशंकर शर्मा और दीपक को आरोपी बनाया गया है. राशि जयपुर निवासी सुनील वर्मा के खाते में ट्रांसफर हुई है. इसलिए सुनील को भी आरोपी बनाया गया है. थानाधिकारी ने कहा कि पूरे मामले की जांच पड़ताल के बाद ही कहा जा सकेगा कि किस तरह से गड़बड़झाला हुआ है. महेंद्र सिंह चारण का कहना है कि उनके संज्ञान के बिना ही यह भुगतान किया गया है. उनके डिजिटल सिग्नेचर का भी दुरुपयोग इसमें हुआ है. इस संबंध में कार्मिकों के खिलाफ उन्होंने ही मुकदमा दर्ज करवाया है. इस संबंध में उन्होंने नगर पालिका छबड़ा के अध्यक्ष कैलाश सिंह जैन को भी अवगत कराया है.
जयपुर के खातों में हुआ ट्रांसफर : महेंद्र सिंह चारण छबड़ा नगर पालिका में जनवरी 2023 में ट्रांसफर होकर आए थे. फरवरी 2024 में उनका स्थानांतरण सीकर जिले में दांता नगर पालिका में हुआ है. अधिशासी अधिकारी महेंद्र सिंह चारण का कहना है कि दांता में जॉइनिंग के बाद छबड़ा नगर पालिका के कैशियर से जानकारी मिली कि सरकारी खाते में कुछ पैसा कम पड़ रहा है. इस संबंध में उन्होंने कुछ खातों में पैसा ट्रांसफर होने की बात भी बताई. खातों की जांच करने पर यह जयपुर के निकले.
डिजिटल सिग्नेचर से भुगतान : इस पूरे मामले में सामने आ रहा है कि कर्मचारियों की जीएफ ग्रेजुएट की फंड राशि ही बिलों के जरिए ट्रांसफर की गई है. यह पैसा भी जयपुर के खाते में ट्रांसफर होना सामने आ रहा है. भुगतान भी 9 महीने पहले हुआ था. महेंद्र सिंह चारण का कहना है कि फरवरी 2023 में इसके बिल बनाए गए थे. वहीं, भुगतान पांच अन्य बिलों के अनुसार जून 2023 में हो गया था. इस संबंध में उन्हीं के डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग किया गया है. नगर पालिका के पीडी खाते से यह राशि ट्रांसफर हुई है. ऐसे में डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग कार्मिकों ने कैसे किया और किस तरह से भुगतान किया, यह भी जांच का विषय है.
4 साल के कार्यकाल की भी जांच की मांग : भारतीय जनता पार्टी के पार्षद रितेश शर्मा ने आरोप लगाया है कि नगर पालिका के जनप्रतिनिधियों, अधिशासी अधिकारी और कर्मचारियों के मिलीभगत का यह पूरा खेल है. रितेश शर्मा का कहना है कि भुगतान हो जाने की पूरी जानकारी 8 महीने बाद सामने आना ही सिस्टम का पूरा दोष है. जिन कार्मिकों पर आरोप लगा है. वह नगर पालिका में लंबे समय से काम कर रहे थे. पहले भी उन्होंने इस तरह का काम किया होगा, इसलिए पूरे 4 साल के कार्यकाल की जांच होनी चाहिए.