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केदारनाथ उपचुनाव BJP के लिए खास तो कांग्रेस के लिए संजीवनी! एक्सपर्ट से समझें दोनों पार्टियों की स्ट्रेटेजी

रुद्रप्रयाग जिले की केदारनाथ विधानसभा सीट पर 20 नवंबर को होगा उपचुनाव. जीत की रणनीति बनाने में जुटीं कांग्रेस-बीजेपी.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : 2 hours ago

Updated : 1 hours ago

KEDARNATH BY ELECTION 2024
केदारनाथ उपचुनाव की तैयारी (PHOTO- ETV Bharat)

देहरादून: उत्तराखंड में केदारनाथ उपचुनाव का बिगुल बज चुका है. 20 नवंबर को केदारनाथ उपचुनाव के लिए मतदान होना है. बीते दो उपचुनाव में हार का सामना कर चुकी बीजेपी के लिए ये उपचुनाव साख का सवाल बना हुआ है, तो वहीं केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस की जीत पार्टी के लिए संजीवनी का काम करेगी. केदारनाथ उपचुनाव की तारीख की घोषणा होने के साथ ही, बीजेपी और कांग्रेस के पास टिकट के दावेदारों की लिस्ट भी पहुंचनी शुरू हो गई है.

दावेदारों की लंबी लिस्ट: केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी की बात करें तो सबसे मजबूत दावेदारी भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष आशा नौटियाल के रूप में देखी जा रही है. इसके बाद दूसरे नंबर पर दिवंगत विधायक शैला रानी रावत की बेटी ऐश्वर्या रावत लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं. वहीं केदारनाथ विधानसभा सीट से दो बार चुनाव लड़ चुके और दूसरे नंबर पर रहे कुलदीप रावत ने बीजेपी प्रदेश हाईकमान के सामने अपनी दावेदारी पेश की है.

केदारनाथ उपचुनाव BJP के लिए खास तो कांग्रेस के लिए संजीवनी! (ETV Bharat)

अजय कोठियाल ने भी की दावेदारी पेश: वहीं बीजेपी नेता रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल भी खुद को दावेदार बता रहे हैं. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में अजय कोठियाल को आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव में उतारा था, लेकिन वो अपनी ही सीट नहीं निकाल पाए थे. बाद में अजय कोठियाल बीजेपी में शामिल हो गए थे.

बीजेपी का चुनावी मुद्दा विकास: वहीं बीते दो उपचुनाव में मात खा चुकी बीजेपी के लिए केदारनाथ उपचुनाव काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि इस सीट से न सिर्फ पीएम मोदी का सीधा नाता जुड़ा है, बल्कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खुद को फिर से साबित भी करना होगा. वहीं बीजेपी नेताओं का कहना है कि वो केदरानाथ उपचुनाव में केदारनाथ बदरीनाथ धाम के पुनर्निर्माण और क्षेत्र के विकास के लिए राज्य व केंद्र सरकार की योजनाओं को जनता के बीच लेकर जाएंगे. इन विकास कार्यों को बीजेपी अपना चुनावी मुद्दा बनाएगी. बता दें कि केदारनाथ उपचुनाव की तारीख की घोषणा से एक दिन पहले ही सीएम धामी ने क्षेत्र के विकास के लिए अच्छा खासा बजट दिया था.

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केदारनाथ विधानसभा सीट पर एक नजर. (ETV Bharat)

दो चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस कॉन्फिडेंड: बता दें कि हाल ही में उत्तराखंड की दो विधानसभा सीटों हरिद्वार जिले की मंगलौर और चमोली जिले की बदरीनाथ विधानसभा सीट पर चुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस ने अपनी जीत दर्ज कराई थी. इस दोनों उपचुनाव को जीतने के बाद कांग्रेस का कॉन्फिडेंस लेवल काफी हाई है. कांग्रेस ने दावा किया है कि बदरीनाथ और मंगलौर उपचुनाव के बाद उनकी पार्टी केदारनाथ उपचुनाव में भी अपना परचम लहराएगी.

बीजेपी को घेरने के लिए चुनाव में कांग्रेस के मुद्दे: केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस के तरकश में कई तीर हैं. कांग्रेस इस उपचुनाव में केदारनाथ धाम मंदिर सोना विवाद का मुद्दा पूरे जोरशोर से उठाएगी. इसके अलावा दिल्ली में केदारनाथ धाम के निर्माण का मसला भी कांग्रेस जनता के सामने रखेगी. हालांकि सीएम धामी के एक फैसले से कांग्रेस के हाथ से ये मुद्दा निकल गया, लेकिन फिर भी कांग्रेस इस मुद्दे को भी हथियार की तरह इस्तेमाल करेंगी. वहीं केदार घाटी में बीती 31 जुलाई को आई आपदा के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन और विकास कार्यों पर कांग्रेस, बीजेपी सरकार को जरूर घेरेगी.

वरिष्ठ पत्रकार का नजरिया: वहीं उत्तराखंड की राजनीति को बारिकी को समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार अरुण शर्मा की मानें तो केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी बड़ी रणनीति के साथ अपना एक-एक कदम बढ़ा रही है. चुनाव से ठीक पहले सीएम धामी ने केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के लिए 200 करोड़ की योजनाओं की घोषणा की. इसके अलावा संगठन और सरकार ने केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में आने वाले पांच मंडलों को जिम्मेदारी एक-एक कैबिनेट मंत्री को दी. इससे साफ पता चलता है कि बीजेपी किस स्ट्रैटेजी के साथ केदारनाथ उपचुनाव में काम कर रही है.

वहीं वरिष्ठ पत्रकार अरुण शर्मा ने नजरिए से विपक्ष की बात की जाए तो उन्हें प्रदेश स्तर पर कांग्रेस का संगठन काफी कमजोर नजर आता है. दो साल पहले गणेश गोदियाल के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए जो कार्यकर्ता पार्टी के लिए काम रहा था, दो साल भी वही कार्यकर्ता नजर आ रहा है. यानी कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बाद भी जमीन पर कोई खास बदलाव नहीं हुआ.

अरुण शर्मा के मुताबिक रणनीतिक तौर पर भाजपा थोड़ा मजबूत नजर आ रही है. हालांकि अभीतक किसी भी पार्टी ने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है. प्रत्याशी के ऊपर में जीत हार का बड़ा दारोमदार होता है. केदारनाथ उपचुनाव में पैराशूट प्रत्याशी से दोनों ही पार्टियों को नुकसान हो सकता है.

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देहरादून: उत्तराखंड में केदारनाथ उपचुनाव का बिगुल बज चुका है. 20 नवंबर को केदारनाथ उपचुनाव के लिए मतदान होना है. बीते दो उपचुनाव में हार का सामना कर चुकी बीजेपी के लिए ये उपचुनाव साख का सवाल बना हुआ है, तो वहीं केदारनाथ उपचुनाव में कांग्रेस की जीत पार्टी के लिए संजीवनी का काम करेगी. केदारनाथ उपचुनाव की तारीख की घोषणा होने के साथ ही, बीजेपी और कांग्रेस के पास टिकट के दावेदारों की लिस्ट भी पहुंचनी शुरू हो गई है.

दावेदारों की लंबी लिस्ट: केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी की बात करें तो सबसे मजबूत दावेदारी भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष आशा नौटियाल के रूप में देखी जा रही है. इसके बाद दूसरे नंबर पर दिवंगत विधायक शैला रानी रावत की बेटी ऐश्वर्या रावत लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं. वहीं केदारनाथ विधानसभा सीट से दो बार चुनाव लड़ चुके और दूसरे नंबर पर रहे कुलदीप रावत ने बीजेपी प्रदेश हाईकमान के सामने अपनी दावेदारी पेश की है.

केदारनाथ उपचुनाव BJP के लिए खास तो कांग्रेस के लिए संजीवनी! (ETV Bharat)

अजय कोठियाल ने भी की दावेदारी पेश: वहीं बीजेपी नेता रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल भी खुद को दावेदार बता रहे हैं. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में अजय कोठियाल को आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर चुनाव में उतारा था, लेकिन वो अपनी ही सीट नहीं निकाल पाए थे. बाद में अजय कोठियाल बीजेपी में शामिल हो गए थे.

बीजेपी का चुनावी मुद्दा विकास: वहीं बीते दो उपचुनाव में मात खा चुकी बीजेपी के लिए केदारनाथ उपचुनाव काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि इस सीट से न सिर्फ पीएम मोदी का सीधा नाता जुड़ा है, बल्कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को खुद को फिर से साबित भी करना होगा. वहीं बीजेपी नेताओं का कहना है कि वो केदरानाथ उपचुनाव में केदारनाथ बदरीनाथ धाम के पुनर्निर्माण और क्षेत्र के विकास के लिए राज्य व केंद्र सरकार की योजनाओं को जनता के बीच लेकर जाएंगे. इन विकास कार्यों को बीजेपी अपना चुनावी मुद्दा बनाएगी. बता दें कि केदारनाथ उपचुनाव की तारीख की घोषणा से एक दिन पहले ही सीएम धामी ने क्षेत्र के विकास के लिए अच्छा खासा बजट दिया था.

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केदारनाथ विधानसभा सीट पर एक नजर. (ETV Bharat)

दो चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस कॉन्फिडेंड: बता दें कि हाल ही में उत्तराखंड की दो विधानसभा सीटों हरिद्वार जिले की मंगलौर और चमोली जिले की बदरीनाथ विधानसभा सीट पर चुनाव हुआ था, जिसमें कांग्रेस ने अपनी जीत दर्ज कराई थी. इस दोनों उपचुनाव को जीतने के बाद कांग्रेस का कॉन्फिडेंस लेवल काफी हाई है. कांग्रेस ने दावा किया है कि बदरीनाथ और मंगलौर उपचुनाव के बाद उनकी पार्टी केदारनाथ उपचुनाव में भी अपना परचम लहराएगी.

बीजेपी को घेरने के लिए चुनाव में कांग्रेस के मुद्दे: केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी सरकार को घेरने के लिए कांग्रेस के तरकश में कई तीर हैं. कांग्रेस इस उपचुनाव में केदारनाथ धाम मंदिर सोना विवाद का मुद्दा पूरे जोरशोर से उठाएगी. इसके अलावा दिल्ली में केदारनाथ धाम के निर्माण का मसला भी कांग्रेस जनता के सामने रखेगी. हालांकि सीएम धामी के एक फैसले से कांग्रेस के हाथ से ये मुद्दा निकल गया, लेकिन फिर भी कांग्रेस इस मुद्दे को भी हथियार की तरह इस्तेमाल करेंगी. वहीं केदार घाटी में बीती 31 जुलाई को आई आपदा के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन और विकास कार्यों पर कांग्रेस, बीजेपी सरकार को जरूर घेरेगी.

वरिष्ठ पत्रकार का नजरिया: वहीं उत्तराखंड की राजनीति को बारिकी को समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार अरुण शर्मा की मानें तो केदारनाथ उपचुनाव में बीजेपी बड़ी रणनीति के साथ अपना एक-एक कदम बढ़ा रही है. चुनाव से ठीक पहले सीएम धामी ने केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र के लिए 200 करोड़ की योजनाओं की घोषणा की. इसके अलावा संगठन और सरकार ने केदारनाथ विधानसभा क्षेत्र में आने वाले पांच मंडलों को जिम्मेदारी एक-एक कैबिनेट मंत्री को दी. इससे साफ पता चलता है कि बीजेपी किस स्ट्रैटेजी के साथ केदारनाथ उपचुनाव में काम कर रही है.

वहीं वरिष्ठ पत्रकार अरुण शर्मा ने नजरिए से विपक्ष की बात की जाए तो उन्हें प्रदेश स्तर पर कांग्रेस का संगठन काफी कमजोर नजर आता है. दो साल पहले गणेश गोदियाल के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए जो कार्यकर्ता पार्टी के लिए काम रहा था, दो साल भी वही कार्यकर्ता नजर आ रहा है. यानी कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष बदलने के बाद भी जमीन पर कोई खास बदलाव नहीं हुआ.

अरुण शर्मा के मुताबिक रणनीतिक तौर पर भाजपा थोड़ा मजबूत नजर आ रही है. हालांकि अभीतक किसी भी पार्टी ने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है. प्रत्याशी के ऊपर में जीत हार का बड़ा दारोमदार होता है. केदारनाथ उपचुनाव में पैराशूट प्रत्याशी से दोनों ही पार्टियों को नुकसान हो सकता है.

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