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दिल्ली में सबसे उम्रदराज उम्मीदवार हैं जेपी अग्रवाल, जानें उनके सेहत का राज और आजादी के बाद का चुनावी दौर - Jaiprakash Agrawal Interview

कांग्रेस ने चांदनी चौक लोकसभा सीट से कद्दावर नेता जयप्रकाश अग्रवाल को मैदान में उतारा है. जेपी अग्रवाल का चांदनी चौक सीट से 40 वर्ष पुराना नाता है. उन्होंने साल 1984 में लोकसभा चुनाव में पहली बार चांदनी चौक से ही जीत दर्ज की थी. उसके बाद वर्ष 1989 और 1996 का चुनाव भी चांदनी चौक से जीता था.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 27, 2024, 5:31 PM IST

दिल्ली में सबसे उम्रदराज उमीदवार हैं जेपी अग्रवाल

नई दिल्ली: दिल्ली की सभी सात सीटों पर छठे चरण में 25 मई को मतदान होना है. कांग्रेस ने इस बार चांदनी चौक लोकसभा सीट से दिल्ली में चार बार सांसद रहे जेपी अग्रवाल को मैदान में उतारा है. इससे पहले भी वह चांदनी चौक सीट से तीन बार सांसद रह चुके हैं. खास बात यह है जेपी अग्रवाल राजधानी में सबसे उम्रदराज उम्मीदवार हैं. उनका जन्म 11 नवंबर 1944 में दिल्ली के ऐतिहासिक बाजार चांदनी चौक में हुआ था. वह लंबे समय से राजनीति से जुड़े हुए हैं.

जेपी अग्रवाल ने राजनीति की शुरूआत साल 1983 में दिल्ली नगर निगम से की थी. उस समय वह पार्षद चुने गए थे. फिर दिल्ली नगर निगम के डिप्टी मेयर बने. इसके बाद कांग्रेस ने 1994 में हुए लोकसभा चुनाव में चांदनी चौक लोकसभा सीट से मैदान में उतारा. इस चुनाव में जीत कर वह पहली बार लोकसभा पहुंचे. फिर दूसरी बार 1989 के लोकसभा चुनाव भी जीते. हालांकि, 1991 में वह चुनाव हार गए, लेकिन 1996 के चुनाव में उन्होंने दोबारा से जीत दर्ज की.

जेपी अग्रवाल ने राजनीति की शुरूआत साल 1983 में दिल्ली नगर निगम से की थी. उस समय वह पार्षद चुने गए थे. फिर दिल्ली नगर निगम के डिप्टी मेयर बने. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 1994 में हुए लोकसभा चुनावों में चांदनी चौक लोकसभा सीट से उतारा. इस चुनाव में जीत कर वह पहली बार लोकसभा पहुंचे.
जेपी अग्रवाल ने राजनीति की शुरूआत साल 1983 में दिल्ली नगर निगम से की थी. उस समय वह पार्षद चुने गए थे. फिर दिल्ली नगर निगम के डिप्टी मेयर बने. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 1994 में हुए लोकसभा चुनावों में चांदनी चौक लोकसभा सीट से उतारा. इस चुनाव में जीत कर वह पहली बार लोकसभा पहुंचे.

जेपी अग्रवाल को कांग्रेस ने साल 2006 में राज्य सभा के लिए मनोनीत किया था. वह 2009 तक राज्य सभा सांसद रहे और फिर 2009 के लोकसभा चुनावों में उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से जीत कर संसद पहुंच गए. वर्त्तमान में जेपी अग्रवाल की उम्र 80 वर्ष है. इस बार भी वह अपने चुनाव प्रचार में उसी तरह सक्रिय हैं जैसे जवानी के दिनों में हुआ करते थे. इस बाबत 'ETV भारत' ने जेपी अग्रवाल से उनकी सेहत का राज और आजादी के बाद शुरू हुए चुनावी दौर के इतिहास को लेकर बातचीत की.

कम खाना और गम खाना जीवन का सबसे बड़ा उसूल: अपने स्वस्थ होने की जानकारी साझा करते हुए अग्रवाल ने बताया कि इसके लिए दिनचर्या का दुरस्त होना बेहद जरुरी है. सुबह की ताज़ी हवा में चलना भी जरूरी है. पहले वह 10-12 किलोमीटर रोज़ घूमते थे, लेकिन अब वह 5 किलोमीटर के करीब रोज मॉर्निंग वॉक पर जाते हैं. इसके अलावा स्वस्थ शरीर के लिए अच्छे भोजन का चयन भी जरुरी है. इसलिए वह बाजार का खाना बिलकुल नहीं खाते हैं. यदि वह किसी शादी विवाह या पार्टी में जाते हैं तो चाय या कॉफी ही पीते हैं. अपनी नानी को याद करते हुए उन्होंने बताया कि कम खाना और गम खाना जीवन का सब से बड़ा उसूल है.

जयप्रकाश अग्रवाल का चांदनी चौक सीट से 40 वर्ष पुराना नाता है. उन्होंने साल 1984 में लोकसभा चुनाव में पहली बार चांदनी चौक से ही जीत दर्ज की थी. उसके बाद वर्ष 1989 और 1996 का चुनाव भी चांदनी चौक से जीता.
जयप्रकाश अग्रवाल का चांदनी चौक सीट से 40 वर्ष पुराना नाता है. उन्होंने साल 1984 में लोकसभा चुनाव में पहली बार चांदनी चौक से ही जीत दर्ज की थी. उसके बाद वर्ष 1989 और 1996 का चुनाव भी चांदनी चौक से जीता.

आजादी के बाद कैसे होती थी चुनावी लहर: जेपी अग्रवाल का जन्म आज़ादी से पहले का है. तब से लेकर वर्तमान तक चुनाव की प्रक्रिया और प्रचार के तरीके में कई बड़े बदलाव हुए हैं. जेपी ने बताया कि जब देश आज़ाद हुआ तब वह बहुत छोटे थे. 1945 में उनके पिता ने सबसे पहला चुनाव लड़ा था. वह उनको याद नहीं है लेकिन उसके बाद जो भी इलेक्शन हुए उनकी सभी यादें ताज़ा है. आज़ादी के बाद हर पार्टी का एक बॉक्स हुआ करता था जिसमें पर्चे डाले जाते थे. उसके बाद पर्चियों पर कैंडिडेट के नाम लिख कर डाले जाने लगे. देखते-देखते समय और बदला पर्चों पर अंगूठे लगने की प्रक्रिया शुरू हुई. उसके बाद बैलेट बॉक्स की शुरुआत हुई जो आज भी कायम है.

वहीं, पहले के समय में जिस पोलिंग बूथ पर वोटिंग होती थी उसी पर काउंटिंग भी हो जाया करती थी. उसके बाद उनको एक जगह इकट्ठा किया जाता था. इसके अलावा पहले वोटर्स बेल गाड़ियों पर बैठ कर वोट डालने जाते थे. उस समय नाचगाना और ढोल नगाड़े भी बजते थे. उस समय जनता के लिए वोटिंग का दिन एक त्योहार की तरह होता था. वहीं, चुनाव प्रचार में भी बैलगाड़ियों का ही इस्तेमाल किया जाता था.

राजधानी में कहां लगती थी विजेताओं की सूची: जेपी अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी ने हर काम आसान कर दिया है. सोशल मीडिया और टेलीविज़न की मदद से सभी जानकारियां झटपट जनता तक पहुंच जाती है. लेकिन जब देश में सोशल मीडिया का नामोनिशान नहीं था. टीवी कुछ ही अच्छे और समृद्ध परिवारों में होता था. उस समय राजधानी में जीतने वाले उम्मीदवारों की सूची संसद में लगाया जाता था. इसके बाद सभी को सर्कुलेट कर दी जाती थी. लेकिन आज के समय में लोगों के अंदर इलेक्शन कमीशन का खौफ है. इसलिए लिस्ट तभी जारी होती है जब इलेक्शन कमीशन जारी करता है.

बता दें कि जेपी अग्रवाल को कांग्रेस पार्टी ने 2014 और 2019 के चुनावों में भी उतारा था, लेकिन मोदी लहर में जेपी अग्रवाल लगातार यह दोनों चुनाव हार गए. अब एक बार फिर कांग्रेस पार्टी ने उनकी सीट बदलकर चांदनी चौक कर दिया है. वहीं, बीजेपी में चांदनी चौक लोक सभा सीट से CAIT के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल को उतरा है. जेपी का दावा है कि वह इस बार चांदनी चौक लोकसभा सीट से जीत हासिल करेंगे.

दिल्ली में सबसे उम्रदराज उमीदवार हैं जेपी अग्रवाल

नई दिल्ली: दिल्ली की सभी सात सीटों पर छठे चरण में 25 मई को मतदान होना है. कांग्रेस ने इस बार चांदनी चौक लोकसभा सीट से दिल्ली में चार बार सांसद रहे जेपी अग्रवाल को मैदान में उतारा है. इससे पहले भी वह चांदनी चौक सीट से तीन बार सांसद रह चुके हैं. खास बात यह है जेपी अग्रवाल राजधानी में सबसे उम्रदराज उम्मीदवार हैं. उनका जन्म 11 नवंबर 1944 में दिल्ली के ऐतिहासिक बाजार चांदनी चौक में हुआ था. वह लंबे समय से राजनीति से जुड़े हुए हैं.

जेपी अग्रवाल ने राजनीति की शुरूआत साल 1983 में दिल्ली नगर निगम से की थी. उस समय वह पार्षद चुने गए थे. फिर दिल्ली नगर निगम के डिप्टी मेयर बने. इसके बाद कांग्रेस ने 1994 में हुए लोकसभा चुनाव में चांदनी चौक लोकसभा सीट से मैदान में उतारा. इस चुनाव में जीत कर वह पहली बार लोकसभा पहुंचे. फिर दूसरी बार 1989 के लोकसभा चुनाव भी जीते. हालांकि, 1991 में वह चुनाव हार गए, लेकिन 1996 के चुनाव में उन्होंने दोबारा से जीत दर्ज की.

जेपी अग्रवाल ने राजनीति की शुरूआत साल 1983 में दिल्ली नगर निगम से की थी. उस समय वह पार्षद चुने गए थे. फिर दिल्ली नगर निगम के डिप्टी मेयर बने. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 1994 में हुए लोकसभा चुनावों में चांदनी चौक लोकसभा सीट से उतारा. इस चुनाव में जीत कर वह पहली बार लोकसभा पहुंचे.
जेपी अग्रवाल ने राजनीति की शुरूआत साल 1983 में दिल्ली नगर निगम से की थी. उस समय वह पार्षद चुने गए थे. फिर दिल्ली नगर निगम के डिप्टी मेयर बने. इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने 1994 में हुए लोकसभा चुनावों में चांदनी चौक लोकसभा सीट से उतारा. इस चुनाव में जीत कर वह पहली बार लोकसभा पहुंचे.

जेपी अग्रवाल को कांग्रेस ने साल 2006 में राज्य सभा के लिए मनोनीत किया था. वह 2009 तक राज्य सभा सांसद रहे और फिर 2009 के लोकसभा चुनावों में उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट से जीत कर संसद पहुंच गए. वर्त्तमान में जेपी अग्रवाल की उम्र 80 वर्ष है. इस बार भी वह अपने चुनाव प्रचार में उसी तरह सक्रिय हैं जैसे जवानी के दिनों में हुआ करते थे. इस बाबत 'ETV भारत' ने जेपी अग्रवाल से उनकी सेहत का राज और आजादी के बाद शुरू हुए चुनावी दौर के इतिहास को लेकर बातचीत की.

कम खाना और गम खाना जीवन का सबसे बड़ा उसूल: अपने स्वस्थ होने की जानकारी साझा करते हुए अग्रवाल ने बताया कि इसके लिए दिनचर्या का दुरस्त होना बेहद जरुरी है. सुबह की ताज़ी हवा में चलना भी जरूरी है. पहले वह 10-12 किलोमीटर रोज़ घूमते थे, लेकिन अब वह 5 किलोमीटर के करीब रोज मॉर्निंग वॉक पर जाते हैं. इसके अलावा स्वस्थ शरीर के लिए अच्छे भोजन का चयन भी जरुरी है. इसलिए वह बाजार का खाना बिलकुल नहीं खाते हैं. यदि वह किसी शादी विवाह या पार्टी में जाते हैं तो चाय या कॉफी ही पीते हैं. अपनी नानी को याद करते हुए उन्होंने बताया कि कम खाना और गम खाना जीवन का सब से बड़ा उसूल है.

जयप्रकाश अग्रवाल का चांदनी चौक सीट से 40 वर्ष पुराना नाता है. उन्होंने साल 1984 में लोकसभा चुनाव में पहली बार चांदनी चौक से ही जीत दर्ज की थी. उसके बाद वर्ष 1989 और 1996 का चुनाव भी चांदनी चौक से जीता.
जयप्रकाश अग्रवाल का चांदनी चौक सीट से 40 वर्ष पुराना नाता है. उन्होंने साल 1984 में लोकसभा चुनाव में पहली बार चांदनी चौक से ही जीत दर्ज की थी. उसके बाद वर्ष 1989 और 1996 का चुनाव भी चांदनी चौक से जीता.

आजादी के बाद कैसे होती थी चुनावी लहर: जेपी अग्रवाल का जन्म आज़ादी से पहले का है. तब से लेकर वर्तमान तक चुनाव की प्रक्रिया और प्रचार के तरीके में कई बड़े बदलाव हुए हैं. जेपी ने बताया कि जब देश आज़ाद हुआ तब वह बहुत छोटे थे. 1945 में उनके पिता ने सबसे पहला चुनाव लड़ा था. वह उनको याद नहीं है लेकिन उसके बाद जो भी इलेक्शन हुए उनकी सभी यादें ताज़ा है. आज़ादी के बाद हर पार्टी का एक बॉक्स हुआ करता था जिसमें पर्चे डाले जाते थे. उसके बाद पर्चियों पर कैंडिडेट के नाम लिख कर डाले जाने लगे. देखते-देखते समय और बदला पर्चों पर अंगूठे लगने की प्रक्रिया शुरू हुई. उसके बाद बैलेट बॉक्स की शुरुआत हुई जो आज भी कायम है.

वहीं, पहले के समय में जिस पोलिंग बूथ पर वोटिंग होती थी उसी पर काउंटिंग भी हो जाया करती थी. उसके बाद उनको एक जगह इकट्ठा किया जाता था. इसके अलावा पहले वोटर्स बेल गाड़ियों पर बैठ कर वोट डालने जाते थे. उस समय नाचगाना और ढोल नगाड़े भी बजते थे. उस समय जनता के लिए वोटिंग का दिन एक त्योहार की तरह होता था. वहीं, चुनाव प्रचार में भी बैलगाड़ियों का ही इस्तेमाल किया जाता था.

राजधानी में कहां लगती थी विजेताओं की सूची: जेपी अग्रवाल ने बताया कि वर्तमान समय में टेक्नोलॉजी ने हर काम आसान कर दिया है. सोशल मीडिया और टेलीविज़न की मदद से सभी जानकारियां झटपट जनता तक पहुंच जाती है. लेकिन जब देश में सोशल मीडिया का नामोनिशान नहीं था. टीवी कुछ ही अच्छे और समृद्ध परिवारों में होता था. उस समय राजधानी में जीतने वाले उम्मीदवारों की सूची संसद में लगाया जाता था. इसके बाद सभी को सर्कुलेट कर दी जाती थी. लेकिन आज के समय में लोगों के अंदर इलेक्शन कमीशन का खौफ है. इसलिए लिस्ट तभी जारी होती है जब इलेक्शन कमीशन जारी करता है.

बता दें कि जेपी अग्रवाल को कांग्रेस पार्टी ने 2014 और 2019 के चुनावों में भी उतारा था, लेकिन मोदी लहर में जेपी अग्रवाल लगातार यह दोनों चुनाव हार गए. अब एक बार फिर कांग्रेस पार्टी ने उनकी सीट बदलकर चांदनी चौक कर दिया है. वहीं, बीजेपी में चांदनी चौक लोक सभा सीट से CAIT के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल को उतरा है. जेपी का दावा है कि वह इस बार चांदनी चौक लोकसभा सीट से जीत हासिल करेंगे.

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