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फर्जी एलपीसी से हुई थी मोंगिया स्टील के निदेशक गुणवंत के नाम जमीन की रजिस्ट्री, अंचलाधिकारी की रिपोर्ट से खुलासा

Excise Department land dispute in Giridih. उत्पाद विभाग की जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद से गिरिडीह में हंगामा मचा है. एक तरफ उत्पाद विभाग इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने की बात कह रहे हैं. दूसरी तरफ अंचलाधिकारी की रिपोर्ट में यह साफ हुआ है कि फर्जी एलपीसी बनाकर रजिस्ट्री ली गई है.

Excise Department land dispute in Giridih
Excise Department land dispute in Giridih
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 15, 2024, 7:33 PM IST

Updated : Mar 15, 2024, 8:16 PM IST

गिरिडीह: सदर अंचल के शहरी क्षेत्र में मौजा बरमसिया में अवस्थित उत्पाद विभाग की जमीन की खरीद बिक्री में खूब गड़बड़ी की गई है. इस गड़बड़ी को लेकर सदर अंचल द्वारा जिलाधिकारी को जांच रिपोर्ट भी सौंपा गया है. लगभग 10 माह पूर्व तैयार की गई रिपोर्ट की प्रति ईटीवी भारत को भी मिली है. जो जांच रिपोर्ट मिली है उससे यह साफ होता है कि रजिस्ट्री के लिए जिस भू-स्वामित्व पत्र (एलपीसी) को लगाया गया वह फर्जी था.

दूसरे के एलपीसी को विक्रेता ने दिखाया खुद का

सीओ की रिपोर्ट के मुताबिक प्लॉट संख्या 256, 257, 258 एवं 260 कुल रकवा 1.12 एकड़ के मध्ये 1.08 एकड़ भूमि कोलकाता निवासी सुजीत मुखर्जी (पिता- हरनाथ मुखर्जी), गौरव कुमार मुखर्जी (पिता- परवीर मुखर्जी) द्वारा 10 नवम्बर 2020 को मोंगिया स्टील लिमिटेड के निदेशक गुणवंत सिंह को बिक्री किया गया. विक्रेता ने अपने पूर्वज किरण चंद्र मुखर्जी (पिता- नरेन्द्रनाथ मुखर्जी) के नाम से पूर्व में निर्गत एलपीसी क्रमांक 321/2018 दिखाया था. इस एलपीसी का मिलान कार्यालय में संघारित एलपीसी पंजी से किया गया तो यहां क्रमांक संख्या 321/2018 विक्रेता के पूर्वज के नाम से निर्गत नहीं मिला जबकि इस संख्या का एलपीसी अपराजिता बनर्जी (पिता/पति- निर्मल कुमार बनर्जी) के नाम से दर्ज है जो स्वीकृत कॉलम में स्वीकृति दर्ज नहीं है.

Excise Department land dispute in Giridih
सीओ द्वारा डीसी को लिखे गए पत्र की कॉपी
Excise Department land dispute in Giridih
सीओ द्वारा डीसी को लिखे गए पत्र की कॉपी
एलपीसी में फर्जी हस्ताक्षर

अंचल कार्यालय की जांच रिपोर्ट में उस वक्त के सीओ ने कहा है कि जिस किरण चंद्र मुखर्जी के नाम से एलपीसी निर्गत बताया गया है उस पर सम्बन्धित राजस्व उप निरीक्षक एवं अंचल निरीक्षक तथा अंचलाधिकारी का हस्ताक्षर भी सही नहीं है. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हल्का के प्रभार में रहे तत्कालीन राजस्व उप निरीक्षक तथा तत्कालीन प्रभारी अंचल निरीक्षक गोपीनाथ से भी इस विषय पर पूछताछ की गई तथा जांच पड़ताल की गई जिसमें इनलोगों द्वारा लिखित बताया गया कि एलपीसी में उनलोगों का हस्ताक्षर नहीं है.

1957 से भूमि पर अवस्थित है उत्पाद विभाग का भवन

जांच रिपोर्ट में उस वक्त के अंचलाधिकारी ने कहा है कि वे स्थल निरीक्षण भी किए जिसमें यह पाया गया कि भूमि रैयती है जिसपर 1957-58 से उत्पाद विभाग का भवन, मद्य भंडार एवं परिसर अवस्थित है जो काफी जर्जर अवस्था में है तथा चाहरदिवारी टूटा हुआ है.

बीससूत्री में उठ चुका है मामला

उत्पाद विभाग की जमीन की रजिस्ट्री का यह मामला पूर्व में जिला बीस सूत्री की बैठक में भी उठ चुका है. झामुमो नेता सह बीस सूत्री सदस्य अजीत कुमार ने बैठक में मौजूद मंत्री हफिजुल अंसारी के समक्ष इस मामले को उठाया था. अजीत कुमार का कहना है कि यह जमीन उत्पाद विभाग की रही है और इसकी रजिस्ट्री हो जाना कहीं न कहीं अपराध है. इस पूरे मामले की जांच जल्द से जल्द होनी चाहिए तथा निबंधन को रद्द करते हुए दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. इधर भाजपा से जुड़े सिंकू सिन्हा बताते हैं उनके द्वारा इस मामले की जानकारी भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष को दी गई थी और प्रशासन के समक्ष भी लिखित शिकायत की गई थी.

क्या है मामला

यहां बता दें कि कोविडकाल के दरमियान हुई जमीन की रजिस्ट्री का मामला लगातार उठता रहा. इस बार 21 फरवरी 2024 को झामुमो जिलाध्यक्ष संजय सिंह ने इसकी शिकायत डीसी से की. शिकायत को डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने गंभीरता से लिया और जांच कमिटी गठित की. कमिटी में अपर समाहर्ता, अनुमंडल पदाधिकारी, एलआरडीसी, जिला अवर निबंधक, उत्पाद अधीक्षक और गिरिडीह अंचलधिकारी को शामिल किया गया. जांच कमिटी में शामिल उत्पाद अधीक्षक ने पिछली दफा बताया कि जमीन उनकी है और इस मामले में प्राथमिकी भी दर्ज करवायी जायेगी.

खरीदार का पक्ष

इस विषय को लेकर पिछली दफा ही खरीदार गुणवंत सिंह से बात हुई थी. उन्होंने उस वक्त भी कहा था कि उन्होंने रैयती जमीन खरीदी है और एलपीसी से उनका कोई सरोकार नहीं है. गुणवंत सिंह का यह भी कहना है कि यह जमीन उत्पाद विभाग को लीज पर दी गई थी. बहरहाल बातें चाहे जो भी हो लेकिन इस जमीन ने कइयों की नींद उड़ा दी है.

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दूसरे के एलपीसी को विक्रेता ने दिखाया खुद का

सीओ की रिपोर्ट के मुताबिक प्लॉट संख्या 256, 257, 258 एवं 260 कुल रकवा 1.12 एकड़ के मध्ये 1.08 एकड़ भूमि कोलकाता निवासी सुजीत मुखर्जी (पिता- हरनाथ मुखर्जी), गौरव कुमार मुखर्जी (पिता- परवीर मुखर्जी) द्वारा 10 नवम्बर 2020 को मोंगिया स्टील लिमिटेड के निदेशक गुणवंत सिंह को बिक्री किया गया. विक्रेता ने अपने पूर्वज किरण चंद्र मुखर्जी (पिता- नरेन्द्रनाथ मुखर्जी) के नाम से पूर्व में निर्गत एलपीसी क्रमांक 321/2018 दिखाया था. इस एलपीसी का मिलान कार्यालय में संघारित एलपीसी पंजी से किया गया तो यहां क्रमांक संख्या 321/2018 विक्रेता के पूर्वज के नाम से निर्गत नहीं मिला जबकि इस संख्या का एलपीसी अपराजिता बनर्जी (पिता/पति- निर्मल कुमार बनर्जी) के नाम से दर्ज है जो स्वीकृत कॉलम में स्वीकृति दर्ज नहीं है.

Excise Department land dispute in Giridih
सीओ द्वारा डीसी को लिखे गए पत्र की कॉपी
Excise Department land dispute in Giridih
सीओ द्वारा डीसी को लिखे गए पत्र की कॉपी
एलपीसी में फर्जी हस्ताक्षर

अंचल कार्यालय की जांच रिपोर्ट में उस वक्त के सीओ ने कहा है कि जिस किरण चंद्र मुखर्जी के नाम से एलपीसी निर्गत बताया गया है उस पर सम्बन्धित राजस्व उप निरीक्षक एवं अंचल निरीक्षक तथा अंचलाधिकारी का हस्ताक्षर भी सही नहीं है. जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हल्का के प्रभार में रहे तत्कालीन राजस्व उप निरीक्षक तथा तत्कालीन प्रभारी अंचल निरीक्षक गोपीनाथ से भी इस विषय पर पूछताछ की गई तथा जांच पड़ताल की गई जिसमें इनलोगों द्वारा लिखित बताया गया कि एलपीसी में उनलोगों का हस्ताक्षर नहीं है.

1957 से भूमि पर अवस्थित है उत्पाद विभाग का भवन

जांच रिपोर्ट में उस वक्त के अंचलाधिकारी ने कहा है कि वे स्थल निरीक्षण भी किए जिसमें यह पाया गया कि भूमि रैयती है जिसपर 1957-58 से उत्पाद विभाग का भवन, मद्य भंडार एवं परिसर अवस्थित है जो काफी जर्जर अवस्था में है तथा चाहरदिवारी टूटा हुआ है.

बीससूत्री में उठ चुका है मामला

उत्पाद विभाग की जमीन की रजिस्ट्री का यह मामला पूर्व में जिला बीस सूत्री की बैठक में भी उठ चुका है. झामुमो नेता सह बीस सूत्री सदस्य अजीत कुमार ने बैठक में मौजूद मंत्री हफिजुल अंसारी के समक्ष इस मामले को उठाया था. अजीत कुमार का कहना है कि यह जमीन उत्पाद विभाग की रही है और इसकी रजिस्ट्री हो जाना कहीं न कहीं अपराध है. इस पूरे मामले की जांच जल्द से जल्द होनी चाहिए तथा निबंधन को रद्द करते हुए दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए. इधर भाजपा से जुड़े सिंकू सिन्हा बताते हैं उनके द्वारा इस मामले की जानकारी भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष को दी गई थी और प्रशासन के समक्ष भी लिखित शिकायत की गई थी.

क्या है मामला

यहां बता दें कि कोविडकाल के दरमियान हुई जमीन की रजिस्ट्री का मामला लगातार उठता रहा. इस बार 21 फरवरी 2024 को झामुमो जिलाध्यक्ष संजय सिंह ने इसकी शिकायत डीसी से की. शिकायत को डीसी नमन प्रियेश लकड़ा ने गंभीरता से लिया और जांच कमिटी गठित की. कमिटी में अपर समाहर्ता, अनुमंडल पदाधिकारी, एलआरडीसी, जिला अवर निबंधक, उत्पाद अधीक्षक और गिरिडीह अंचलधिकारी को शामिल किया गया. जांच कमिटी में शामिल उत्पाद अधीक्षक ने पिछली दफा बताया कि जमीन उनकी है और इस मामले में प्राथमिकी भी दर्ज करवायी जायेगी.

खरीदार का पक्ष

इस विषय को लेकर पिछली दफा ही खरीदार गुणवंत सिंह से बात हुई थी. उन्होंने उस वक्त भी कहा था कि उन्होंने रैयती जमीन खरीदी है और एलपीसी से उनका कोई सरोकार नहीं है. गुणवंत सिंह का यह भी कहना है कि यह जमीन उत्पाद विभाग को लीज पर दी गई थी. बहरहाल बातें चाहे जो भी हो लेकिन इस जमीन ने कइयों की नींद उड़ा दी है.

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Last Updated : Mar 15, 2024, 8:16 PM IST
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