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हिमाचल कांग्रेस में रूठे नेताओं का स्वागत, जगजीवन पाल और परस राम की पार्टी में वापसी - Himachal Congress

Jagjivan Pal and Paras Ram: लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव के बीच पूर्व विधायक जगजीवन पाल की कांग्रेस में वापसी हो गई है. इसके अलावा कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ चुके परस राम भी कांग्रेस में वापस लौट रहे हैं. 2022 में इन दोनों पर ही अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी.

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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Mar 29, 2024, 2:22 PM IST

Jagjivan Pal and Paras ram
Jagjivan Pal and Paras ram

शिमला: हिमाचल में लोकसभा चुनाव और विधानसभा की 6 सीटों पर उपचुनाव की तैयारियों के बीच कांग्रेस के लिए अच्छी ख़बर है. कांगड़ा जिले की सुलह सीट से पूर्व विधायक जगजीवन पाल और कुल्लू जिले के आनी में पार्टी का चेहरा रहे परस राम की कांग्रेस में वापसी हो गई है. हिमाचल प्रदेश में मौजूदा सियासी उठापटक और लोकसभा चुनाव के बीच इन दो नेताओं की वापसी कांग्रेस के लिए राहत की बात हो सकती है. गौरतलब है कि 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट ना मिलने पर ये दोनों नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोकी थी. जिसके बाद पार्टी ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए दोनों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था.

कौन है जगजीवन पाल ?

जगजीवन पाल कांगड़ा जिले में कांग्रेस का चेहरा रहे हैं. वो कांग्रेस की टिकट पर सुलह सीट से दो बार विधायक भी रहे हैं. उन्होंने साल 1998 में पहली बार चुनाव लड़ा था लेकिन सफलता 2003 के विधानसभा चुनाव में मिली थी. जब जगजीवन पाल ने बीजेपी उम्मीदवार विपिन परमार को हराया था. इसके बाद 2007 में उन्हें विपिन परमार से हार मिली जबकि 2012 में जगजीवन पाल ने अपनी हार का बदला लिया और दूसरी बार विधायक बने. इसके बाद जगजीवन पाल को 2017 और 2022 में भी हार का सामना करना पड़ा था. जगजीवन पाल वीरभद्र सरकार में सीपीएस भी रहे हैं.

दो नेताओं की कांग्रेस में वापसी
दो नेताओं की कांग्रेस में वापसी

क्यों छोड़ी थी कांग्रेस ?

दरअसल 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर विपिन परमार को अपना उम्मीदवार बनाया था. वहीं कांग्रेस ने इस बार उम्मीदवार बदला और जगदीश सिपहिया को मैदान में उतारा था. टिकट ना मिलने से नाराज जगजीवन पाल ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भर दिया. जिसके बाद पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था. जब नतीजे आए तो सुलह से बीजेपी उम्मीदवार विपिन परमार की जीत हुई लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी जगदीश सिपहरिया तीसरे नंबर पर रहे. निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में करीब 38 फीसदी वोट हासिल करके जगजीवन पाल दूसरे नंबर पर रहे और बीजेपी उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दी थी.

आनी से परसराम का निष्कासन भी रद्द

उधर कुल्लू जिले की आनी सीट पर प्रभावशाली कांग्रेस नेता परस राम का भी निष्कासन रद्द हो गया है. 2017 के विधानसभा चुनाव में परसराम कांग्रेस की टिकट पर आनी विधानसभा से चुनाव लड़े थे, हालांकि वो चुनाव हार गए थे. 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने बंसी लाल को आनी से उम्मीदवार बनाया तो परस राम ने भी बगावत का झंडा बुलंद करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा था. चुनाव बीजेपी ने जीता लेकिन परस राम दूसरे और कांग्रेस उम्मीदवार बंसी लाल तीसरे स्थान पर रहे थे. हालांकि 2017 विधानसभा चुनाव में आनी से कांग्रेस ने सिटिंग विधायक खूबराम का टिकट काटकर परस राम को दिया था, हालांकि वह तब भाजपा के किशोरीलाल से हार गया थे, लेकिन 2022 में आनी से कांग्रेस के बंसीलाल को टिकट दिया गया. इसके चलते परसराम ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. इस कारण उनको पार्टी से बाहर निकाल दिया गया था.

लोकसभा चुनाव के बीच नेताओं के दल बदल के बीच जगजीवन पाल और परस राम की वापसी कांग्रेस के लिए अच्छी ख़बर है. गौरतलब है कि हिमाचल में लोकसभा के साथ-साथ 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की वोटिंग 1 जून को होनी है.

ये भी पढ़ें: मैं बिकाऊ नहीं हूं...धर्मशाला पहुंच कर राज्य सरकार पर जमकर बरसे सुधीर शर्मा

शिमला: हिमाचल में लोकसभा चुनाव और विधानसभा की 6 सीटों पर उपचुनाव की तैयारियों के बीच कांग्रेस के लिए अच्छी ख़बर है. कांगड़ा जिले की सुलह सीट से पूर्व विधायक जगजीवन पाल और कुल्लू जिले के आनी में पार्टी का चेहरा रहे परस राम की कांग्रेस में वापसी हो गई है. हिमाचल प्रदेश में मौजूदा सियासी उठापटक और लोकसभा चुनाव के बीच इन दो नेताओं की वापसी कांग्रेस के लिए राहत की बात हो सकती है. गौरतलब है कि 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट ना मिलने पर ये दोनों नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोकी थी. जिसके बाद पार्टी ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए दोनों को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया था.

कौन है जगजीवन पाल ?

जगजीवन पाल कांगड़ा जिले में कांग्रेस का चेहरा रहे हैं. वो कांग्रेस की टिकट पर सुलह सीट से दो बार विधायक भी रहे हैं. उन्होंने साल 1998 में पहली बार चुनाव लड़ा था लेकिन सफलता 2003 के विधानसभा चुनाव में मिली थी. जब जगजीवन पाल ने बीजेपी उम्मीदवार विपिन परमार को हराया था. इसके बाद 2007 में उन्हें विपिन परमार से हार मिली जबकि 2012 में जगजीवन पाल ने अपनी हार का बदला लिया और दूसरी बार विधायक बने. इसके बाद जगजीवन पाल को 2017 और 2022 में भी हार का सामना करना पड़ा था. जगजीवन पाल वीरभद्र सरकार में सीपीएस भी रहे हैं.

दो नेताओं की कांग्रेस में वापसी
दो नेताओं की कांग्रेस में वापसी

क्यों छोड़ी थी कांग्रेस ?

दरअसल 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक बार फिर विपिन परमार को अपना उम्मीदवार बनाया था. वहीं कांग्रेस ने इस बार उम्मीदवार बदला और जगदीश सिपहिया को मैदान में उतारा था. टिकट ना मिलने से नाराज जगजीवन पाल ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भर दिया. जिसके बाद पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया था. जब नतीजे आए तो सुलह से बीजेपी उम्मीदवार विपिन परमार की जीत हुई लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी जगदीश सिपहरिया तीसरे नंबर पर रहे. निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में करीब 38 फीसदी वोट हासिल करके जगजीवन पाल दूसरे नंबर पर रहे और बीजेपी उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दी थी.

आनी से परसराम का निष्कासन भी रद्द

उधर कुल्लू जिले की आनी सीट पर प्रभावशाली कांग्रेस नेता परस राम का भी निष्कासन रद्द हो गया है. 2017 के विधानसभा चुनाव में परसराम कांग्रेस की टिकट पर आनी विधानसभा से चुनाव लड़े थे, हालांकि वो चुनाव हार गए थे. 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने बंसी लाल को आनी से उम्मीदवार बनाया तो परस राम ने भी बगावत का झंडा बुलंद करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा था. चुनाव बीजेपी ने जीता लेकिन परस राम दूसरे और कांग्रेस उम्मीदवार बंसी लाल तीसरे स्थान पर रहे थे. हालांकि 2017 विधानसभा चुनाव में आनी से कांग्रेस ने सिटिंग विधायक खूबराम का टिकट काटकर परस राम को दिया था, हालांकि वह तब भाजपा के किशोरीलाल से हार गया थे, लेकिन 2022 में आनी से कांग्रेस के बंसीलाल को टिकट दिया गया. इसके चलते परसराम ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था. इस कारण उनको पार्टी से बाहर निकाल दिया गया था.

लोकसभा चुनाव के बीच नेताओं के दल बदल के बीच जगजीवन पाल और परस राम की वापसी कांग्रेस के लिए अच्छी ख़बर है. गौरतलब है कि हिमाचल में लोकसभा के साथ-साथ 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की वोटिंग 1 जून को होनी है.

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