मथुरा: अयोध्या में भगवान राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मस्जिद मुक्त बनाने के लिए हिंदूवादी संगठन द्वारा न्यायालय में लड़ाई तेज कर दी गई है. इलाहाबाद हाई कोर्ट और दिल्ली सुप्रीम कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ईदगाह मस्जिद को लेकर सुनवाई का दौर जारी है. मथुरा संग्रहालय में जिले के कई स्थानों पर हुई. खुदाई के दौरान निकली मूर्तियां श्रीकृष्ण के होने के प्रमाण दिए गए हैं. मथुरा संग्रहालय में कृष्ण भगवान के साक्ष्य मौजूद हैं.
संग्रहालय में मौजूद श्रीकृष्ण भगवान के साक्ष्य: मथुरा कलाकृतियों का केंद्र प्राचीन काल से माना जाता है जनपद में चारों तरफ मिट्टी के टिले पर बसा हुआ एक शहर था. प्राचीन काल से ही मथुरा जैन धर्म बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म का प्राचीन शहर माना जाता है. गुप्त काल, कुषाण काल मैं राजाओं ने मथुरा, जोकि मधुपुर के नाम से विख्यात था. जैन धर्म बौद्ध धर्म के अनेक स्तूप खुदाई के दौरान यहां बरामद हुए हैं. वहीं भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति खुदाई के दौरान बरामद हुई, जो की चक्रधारी कृष्ण के नाम से मथुरा म्यूजियम में रखी हुई है.
क्या है मूर्ति में खास: मथुरा संग्रहालय में भगवान श्रीकृष्ण की चक्रधारी मूर्ति रखी हुई है. खुदाई के दौरान बरामद हुई मूर्ति में भगवान श्री कृष्णा बाएं हाथ से गोवर्धन पर्वत को उठाए हुए हैं और दूसरा दाया हाथ पैर पर रखा हुआ है. भगवान श्री कृष्णा के इधर-उधर ग्वाल-वाल खड़े हुए हैं. मूर्ति से अंकित है कि द्वापर युग में कृष्ण भगवान का जन्म हुआ कंस के अत्याचारों से बृजवासियों की रक्षा की गिर्राज पर्वत को कृष्ण भगवान ने हाथ से उठाया था.
इस भूमि पर क्या था पहले: कंस मथुरा का राजा हुआ करता था. श्री कृष्ण जन्मस्थान का प्राचीन केशव देव मंदिर, जो पूर्व में मलपुरा के नाम से जाना जाता था चार किलोमीटर का एरिया केशव देव की संपत्ति मानी जाती है. प्राचीन केशव देव मंदिर के पास कंस का कारागार हुआ करता था. 5247 वर्ष पूर्व भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ. भगवान श्री कृष्ण के प्रपौत्र ब्रजनाभ ने उसी स्थान पर केशव देव मंदिर की प्रथम स्थापना की. मुगल साम्राज्य के दौरान औरंगजेब ने 1669 में मंदिर को ध्वस्त कर दिया और शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई गई जो कि वर्तमान में मौजूद है. कटरा केशव देव को ही श्री कृष्ण जन्म स्थान माना जाता है.
सबसे पहले मंदिर तोड़ा गया था: सम्राट चंद्रगुप्त विक्रमादित्य द्वारा बनवाए गए मंदिरों को मोहम्मद गजनवी ने 1017 ईसवी में आक्रमण करने के बाद मंदिर तोड़े गए थे. विक्रमादित्य ने दोबारा मंदिर का निर्माण कराया संस्कृति और कला के बड़े केंद्र के रूप में स्थापित किया गया. मथुरा को हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म और जैन धर्म का भी मथुरा में विकास हुआ. मथुरा में तीसरी बार मंदिर सिकंदर लोदी के शासनकाल में तोड़े गए थे. शासक जहांगीर के शासनकाल में चौथी बार मंदिर का निर्माण कराया गया, लेकिन मुगल शासक औरंगजेब ने 1669 में मथुरा के मंदिरों को तोड़कर उस पर मस्जिद बनवाई.
उपनिदेशक योगेश कुमार ने बताया भगवान कृष्ण से संबंधित हमारे पास दो कलाकृतियां हैं .भगवान श्री कृष्ण ने बाएं हाथ से गोवर्धन पर्वत उठाया हुआ है. कृष्ण भगवान का दूसरा हाथ पैर के पास है. इस मूर्ति में कृष्ण भगवान के आसपास ग्वाल-वाल खड़े हुए हैं. मथुरा एक प्राचीन कलाकृतियों का केंद्र रहा है. कुषाण काल, गुप्त काल की भी कई मूर्तियों यहां खुदाई के दौरान बरामद हुई हैं. जैन धर्म और बौद्ध धर्म की भी मूर्तियां मिली हैं. मथुरा गांधार कला का केंद्र भी रहा है.