देहरादूनः उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव 2024 के मतदान का काउंटडाउन शुरू होने में कुछ समय बाकी है. चुनाव आयोग की गाइडलाइन के तहत 17 अप्रैल की शाम 5 बजे के बाद चुनावी शोरगुल में प्रतिबंध लग जाएगा. ऐसे में अब मतदान तक प्रत्याशी केवल डोर-टू-डोर ही चुनाव प्रसार कर सकेंगे. उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर पहले चरण यानी 19 अप्रैल को ही मतदान होना है. जनता ने भी स्थानीय मुद्दों और विकास की योजनाओं के आधार पर किस प्रत्याशी को वोट देना है, ये भी प्रत्याशी तय कर ही लिया होगा. लेकिन, उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले बॉलीवुड सिंगर देवांश शर्मा ने किन मुद्दों के आधार पर अपने प्रत्याशी का चयन किया है, इस पर उन्होंने अपने खुलकर विचार रखे हैं.
सवालः प्रदेश का जो युवा संगीत के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहता है, क्या उसके लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध नहीं है?
जवाब: प्रदेश के जो कलाकार बॉलीवुड में इस समय अच्छे स्तर पर काम कर रहे हैं, उनके साथ मिलकर राज्य सरकार को कोई रणनीति बनानी चाहिए. ताकि प्रदेश के युवा जो संगीत के क्षेत्र में अपना भविष्य तलाश रहे हैं, उनको मंच मिल सके. साथ ही प्रदेश में सिंगिंग के क्षेत्र में मौजूद तमाम टैलेंट को आगे बढ़ाया जा सके. ताकि वो, न सिर्फ उत्तराखंड में बल्कि देश दुनिया में भी अपना नाम कमा सके. उत्तराखंड का नाम रोशन कर सके.
सवाल: प्रदेश की खूबसूरत वादियों में गाने और फिल्मों के शूटिंग की अपार संभावनाएं हैं, जिसे बढ़ावा देने के लिए क्या करने की जरूरत है?
जवाब: प्रदेश में फिल्म और गाने की शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए लंबे समय से सरकार काम कर रही है. जिसके तहत बॉलीवुड इंडस्ट्री के तमाम कलाकारों को भी सरकार ने जोड़ा है. लेकिन अभी भी इस क्षेत्र में काफी अधिक मेहनत करने की जरूरत है, क्योंकि लोग फिल्म और गाने की शूटिंग करने के लिए उत्तराखंड आना चाहते हैं. उत्तराखंड के तमाम क्षेत्रों में अधिक खूबसूरती है. प्रदेश में तमाम फिल्मों और वेब सीरीज की शूटिंग हुई है. लेकिन अभी भी प्रोडक्शन हाउस और सरकार के बीच गैप होने के कारण इसको बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है. इसके अलावा फिल्मों और गाने की शूटिंग के लिए जो कुछ सुविधा होनी चाहिए, वो पर्याप्त सुविधाएं न होने के कारण भी प्रोडक्शन हाउस पीछे हट जाते हैं. लिहाजा, प्रदेश में फिल्म शूटिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को एक बेहतर कमेटी बनाकर मुंबई में प्रोडक्शन हाउसों से मुलाकात कर सरकार के नीतियों की जानकारी शेयर करनी चाहिए.
सवाल: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों पर मौजूदा समय में क्या-क्या समस्याएं हैं, जिस पर काम करने की जरूरत है?
जवाब: उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य अभी भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है. हालांकि, हर सरकार इस बात पर जोर देती रही है कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर किया जाए. लेकिन धरातल पर नहीं उतर पाता. यही वजह है कि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों से लोग शहरी क्षेत्र में आना चाहते हैं, ताकि उनको स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर मिल सके और रोजगार उपलब्ध हो सके. प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों पर काफी सुकून और शांति का माहौल है. बावजूद, इसके स्वास्थ्य और रोजगार के चलते ग्रामीणों को शहरी क्षेत्र में आना पड़ता है. ऐसे में राज्य सरकार को इस दिशा में काम करने की जरूरत है. स्थानीय स्तर पर ही उनको स्वास्थ्य सुविधा और रोजगार उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि उन्हें शहरी क्षेत्र में आने की जरूरत ना पड़े.
सवाल: लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे हावी रहते हैं, लेकिन धरातल पर स्थानीय मुद्दे भी रोल अदा करते हैं. ऐसे में इस चुनाव में क्या-क्या स्थानीय मुद्दे होने चाहिए?
जवाब: 2024 का लोकसभा चुनाव एक तरह से 'लड़ाई' है. क्योंकि तमाम राजनीतिक पार्टियां एकजुट हो गई हैं और वे सभी 'एक' पार्टी से लड़ रही है. हालांकि, इस चुनाव में बीजेपी का भी ओवर कॉन्फिडेंस देखने को मिल रहा है. वर्तमान लोकसभा चुनाव भाजपा सिर्फ मोदी के नाम पर लड़ रही है. यही कारण है कि लोकसभा सीटों के प्रत्याशियों को उनकी जनता जानती ही नहीं है. ऐसे में चुनाव के बाद जो भी प्रत्याशी चुनकर संसद पहुंचे, वे स्थानीय जनता से मिलकर उनकी क्षेत्र की समस्याएं जानें और उसका समाधान निकालें.
सवाल: युवाओं के नजर में प्रदेश के विकास की अवधारणा और पलायन की मुख्य वजह क्या है?
जवाब: उत्तर प्रदेश से अलग उत्तराखंड राज्य बनाने की मुख्य वजह यही थी कि प्रदेश में विकास के साथ-साथ पर्वतीय क्षेत्रों को संजोया जा सके. लेकिन मौजूदा समय में पलायन एक गंभीर समस्या बनी हुई है, जिसकी मुख्य वजह यही है कि पर्वतीय क्षेत्रों में लोगों को रोजगार उपलब्ध नहीं हो पाते हैं. लेकिन बावजूद इसके बाहर से भी तमाम लोग पहाड़ों की तरफ आए हैं. जमीन खरीदी है और फार्म हाउस और रिसॉर्ट बनाए हैं. इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल रहा है. लेकिन जिस अवधारणा को लेकर अलग उत्तराखंड राज्य की मांग उठी थी, उसका हल नहीं निकल पाया है. दूसरी समस्या है कि जब बाहर के लोग उत्तराखंड में निवेश करते हैं तो उससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है. भू-कानून का मुद्दा बाहरी लोगों को जमीन खरीदने के लिए रोकता है. तो ऐसे में बाहरी लोग निवेश नहीं कर पाएंगे और स्थानीय लोगों को रोजगार भी नहीं मिल पाएगा. लिहाजा, इस विरोधाभास का भी सरकार को ही हल निकालने की जरूरत है.
सवाल: मौजूदा राज्य और केंद्र सरकार के कार्यकाल को किस तरह देखते हैं?
जवाब: केंद्र सरकार किस तरह से काम कर रही है और किन योजनाओं पर काम कर रही है, इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर मिल जाती है. लेकिन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का काम धरातल पर देखने को मिलता है. चुनाव से पहले तमाम मुद्दे और तमाम खामियां भी सरकारों की निकाली जाती हैं. लेकिन जनता समझदार है, ऐसे में जनता जो भी फैसला लेगी, बहुत सोच समझ कर लेगी. मौजूदा राज्य सरकार को और अधिक काम करने की जरूरत है. हालांकि, धामी सरकार को अभी 2 साल का ही वक्त बिता है. लिहाजा आने वाले 3 सालों में और अधिक मेहनत करने की जरूरत है.
सवाल: 19 अप्रैल को मतदान के दौरान मतदाताओं को किन मुद्दों को ध्यान में रखने की है जरूरत?
जवाब: उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान होना है. ऐसे में प्रदेश की जनता घरों से बाहर निकले और अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए मतदान करें. कौन सा ऐसा प्रत्याशी है जो आपके क्षेत्र के लिए बेहतर है और बेहतर काम करवा सकता है? उस प्रत्याशी को सबसे पहले आप दिमाग में रखिए. इसके अलावा स्थानीय मुद्दे जो भी हैं, वो भी हल होने बहुत जरूरी हैं. अगर हम अपने-अपने क्षेत्र के बारे में सोचेंगे तो इसे प्रदेश और देश में विकास की गति तेज हो पाएगी. इस बात पर भी ध्यान दें कि जिस भी प्रत्याशी को आप संसद भेजेंगे, वह प्रत्याशी सदन में आपकी आवाज उठाने वाला हो.
ये भी पढ़ेंः चुनावी चर्चा: पद्मश्री बसंती बिष्ट से खास बातचीत, कहा- बहुत बदल गया तब और अब का उत्तराखंड, इन पर देना होगा ध्यान
ये भी पढ़ेंः लोकसभा चुनाव 2024 में जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण के 'मन की बात', नेताओं की दी सलाह!