लखनऊ : लोकसभा चुनाव 2024 का काउंट डाउन शुरू हो गया है. सभी राजनीतिक दल चुनावी मोड में चले गए हैं. गठबंधन में सीटों को लेकर बातचीत फाइनल दौर में है. देश में एनडीए और इंडिया गठबंधन में विभिन्न दल शामिल होकर अपने लिए सीटों की जुगाड़ में लगे हुए हैं. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के साथ कदमताल करते हुए लोकदल भी उत्तर प्रदेश में गठबंधन के साथ मैदान में उतरने को तैयार है. हालांकि अभी सीटों को लेकर बातचीत जारी है, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोक दल अगर इंडिया गठबंधन के साथ उतरता है तो निश्चित तौर पर चुनाव रोमांचक हो सकता है. लोकसभा चुनाव में लोकदल की तैयारी और गठबंधन को लेकर "ईटीवी भारत" ने लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सुनील सिंह से एक्सक्लूसिव बातचीत की.
सवाल : राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में आप शामिल हुए. इंडिया गठबंधन का हिस्सा होना चाहते हैं. कितनी सीटों पर आप उतरने को तैयार हैं. कितनी सीटों की डिमांड है?
जवाब : कहीं न कहीं आज लोकतंत्र खतरे में है. देश बचाने की जरूरत है. भारत जोड़ो न्याय यात्रा का कांग्रेस ने हमें आमंत्रण दिया. ऐसे समय में जब लोग कितने पलटू थे हम देश बचाने के लिए, लोकतंत्र बचाने के लिए जो इंडिया गठबंधन है उसमें शामिल हुए. बिहार में लोग पलटकर चले गए. उत्तर प्रदेश में एक नकली राष्ट्रीय लोक दल था वह भी चला गया. ऐसे समय में जहां चौधरी चरण सिंह की विचारधारा को मोदी जी के साथ जोड़ा जा रहा हो और यह कहा जा रहा हो कि मोदी जी में चौधरी चरण सिंह की विचारधारा दिख रही है, जो नहीं है. ये हकीकत है तो ऐसे समय में लोकतंत्र बचाने के लिए, देश का संविधान बचाने के लिए आज इंडिया गठबंधन के साथ हम गए हैं.
लोकदल जिसमें कर्पूरी ठाकुर नेता होते थे. जिसमें देवीलाल जी होते थे. जिसमें मुलायम सिंह होते थे. जो देश में उत्तर भारत का सबसे बड़ा दल था. वह लोकदल आज इंडिया गठबंधन के साथ खड़ा है. जो कहता है कि देश में लोकतंत्र बचेगा तभी देश बचेगा. आज सीट कोई बहुत बड़ी प्रायोरिटी नहीं है. आज जरूरत इस बात की है कि सारे दल मिलकर विपक्ष के वोट को एकजुट करके 1977 वाली क्रांति लाएं. जो व्यवस्था है इसके खिलाफ लड़ाई लड़ें. ताकि देश बचे ताकि संविधान बचे और देश की लोकतांत्रिक परंपरा बन सके.
सवाल : उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन हो चुका है. 17 सीटें समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को दी हैं. आपके डिमांड वाली सीटें
अगर कांग्रेस के पास नहीं हैं तो क्या सपा से भी आपकी कोई बातचीत चल रही है?
जवाब : समाजवादी पार्टी ही प्रमुख विपक्षी दल है और ऐसा दल है कि जिसके बिना उत्तर प्रदेश में हम कुछ कर ही नहीं सकते. निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी प्रमुख रूप से संघर्ष भी कर रही है. समाजवादी पार्टी के साथ भी बातचीत अभी चल रही है और आगे भी होगी, लेकिन सवाल आज आपने देश को बचाने के लिए है. जैसे ही चुनाव की घोषणा होगी तो हो सकता है बहुजन समाज पार्टी भी साथ आ जाए.
गठबंधन में 63 सीटें समाजवादी के पास हैं लेकिन यह 63 सीटें उसके पास नहीं रहेंगी. कांग्रेस के पास भी 17 सीटें नहीं रहेगी. जब चुनाव की घोषणा होगी तो अन्य पार्टियों में भी इन सीटों का बंटवारा होगा. बहुजन समाज पार्टी भी इंडिया गठबंधन के साथ आ जाएगी तो उसे भी सीटें दी जाएंगी. अन्य सहयोगी दलों को भी सीटें जरूर मिलेंगी.
सवाल : हाल ही में राज्यसभा सीट के लिए हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी में बिखराव हो गया. बीजेपी ऐसी रणनीति बना रही है कि जनता भी उसके साथ रहे और दूसरे दलों के भी नेता भी. बीजेपी की इस रणनीति से कैसे निपटेंगे?
जवाब : निपटना कुछ भी नहीं है. राज्यसभा का चुनाव धनबल का चुनाव होता है. एक-एक विधायक को पांच-पांच करोड़ रुपए का प्रलोभन दिया गया है. किसी को मंत्री बनाने का प्रलोभन दिया गया है. उसी के चलते लोगों ने अपनी आस्था बदली. भले वे लोग भगवान का नाम ले रहे हो लेकिन प्रलोभन के चलते ही उन्होंने पाला बदला है. सरकार के साथ गए हैं. राज्यसभा का वोट कोई लोकतंत्र का हिस्सा नहीं है जिससे हमें लोगों का रुझान पता चले. राज्यसभा का चुनाव उत्तर प्रदेश में जो समाजवादी पार्टी के साथ हुआ वही हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के साथ हुआ.
बिहार में राजद और कांग्रेस के गठबंधन के साथ हुआ. जहां पर एक तरह से पैसे वालों का दखल होता है वहां पर इस तरह का राज्यसभा चुनाव में खेल होता है. राज्यसभा के चुनाव में लोकतंत्र के रुझान का पता नहीं चलता. जैसा अखिलेश यादव ने कहा कि इसमें सही साथियों की पहचान हो गई. जो देश में खत्म हो गए थे उन्हें अखिलेश ने राज्यसभा भेजा. उनकी पार्टी को आठ विधायक जिताए.
उपचुनाव में भी 9वीं सीट जिताई. यह जरूर है कि ऐसे लोगों की पहचान जरूर उजागर हो गई. उनका चाल-चरित्र और चेहरा सामने आ गया. अभी विधान परिषद का चुनाव है उसमें भी वे तोड़फोड़ जरूर करेंगे. उसमें भी पैसा खूब चलेगा, लेकिन ऐसे लोग जो धन और सत्ता के प्रलोभन में जाना चाहते हैं वह चले जाएं, लेकिन जनता सब कुछ देख रही है और इसका बदला लोकसभा चुनाव में जरूर जनता लेगी.
सवाल : आप अगर इंडिया गठबंधन के हिस्सेदार नहीं होते हैं तो क्या तब भी आप चुनाव मैदान में उतरेंगे और कितनी सीटों पर प्रत्याशी उतारेंगे?
जवाब : अगर हम इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं होंगे तो भी देश बचाने को, लोकतंत्र बचाने को लोकदल इंडिया गठबंधन के साथ खड़ा रहेगा. इंडिया गठबंधन का साथ सिर्फ हमारा उत्तर प्रदेश का नहीं है. हरियाणा में देवीलाल जी हमारे नेता हैं, जहां दुष्यंत चौटाला भाजपा के साथ हैं. जिन कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया गया है वह लोकदल के नेता थे. हम बिहार में, हरियाणा में, राजस्थान में और उत्तर प्रदेश में पूरी तरह से इंडिया गठबंधन के साथ हैं. हम इंडिया गठबंधन का ही साथ देंगे. सीटों का कोई मतलब नहीं है. हमें देश बचाने को ही प्राथमिकता में रखना है.
सवाल : अलीगढ़ की सीट पर आप खुद उतरना चाहते हैं, क्या कहेंगे?
जवाब : जी बिल्कुल. अगर गठबंधन चाहेगा तो हम जरूर उतरेंगे. बहुत अच्छा माहौल है. ऐसा नहीं हुआ कि अलीगढ़ की सीट 2009 के बाद भाजपा के अलावा किसी और ने जीती हो. 2009 में बहुजन समाज पार्टी ने जीती थी. बहुत अच्छा माहौल है. अलीगढ़ की सीट गठबंधन की मजबूत सीट है. सही प्रत्याशी उतारा जाएगा तो अलीगढ़ सीट गठबंधन जीत कर आएगा. आसपास की भी अन्य सीटें जरूर जीतेगा. अगर मुझे सीट मिलती है तो जरूर जीतकर दिखाएंगे.
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