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मंत्री गोपाल राय ने अवैध रूप से पेड़ों को काटने के मामले में अब तक की गई कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट मांगी - Felling of trees in Delhi

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jun 26, 2024, 10:39 PM IST

Updated : Jun 26, 2024, 11:01 PM IST

felling of trees in Delhi Ridge area Case: दिल्ली रिज एरिया में पेड़ों की कटाई का मामला जोर पकड़ता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद दिल्ली सरकार ने भी अब तक हुई कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है.

पर्यावरण एवं वन मंत्री गोपाल राय
दिल्ली के पर्यावरण एवं वन मंत्री गोपाल राय (ETV Bharat)

नई दिल्ली: साउथ दिल्ली के रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में सुप्रीम कोर्ट से बिना अनुमति लिए 1100 पेड़ों को काटने के मामले में केजरीवाल सरकार ने सख्त रूख अपनाया है. चोरी-छिपे काटे गए इन सैकड़ों पेड़ों की वजह से दिल्ली के पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया गया है. लिहाजा, पर्यावरण एवं वन मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को वन विभाग के अफसरों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की और उनसे इस संबंध में सारा रिकॉर्ड तलब किया है.

उन्होंने अवैध रूप से पेड़ों को काटने के मामले में अब तक की गई कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है. वन विभाग के अफसरों को यह सभी जानकारी गुरुवार सुबह 11 बजे तक देने का निर्देश दिया है. रिज एरिया में गैर कानूनी तरीके से पेड़ों के काटने के मामले में एक एनजीओ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.

कुछ दिन पहले एक एनजीओ ने साउथ दिल्ली स्थित रिज एरिया में बिना किसी परमिशन के 1100 पेड़ काटने का मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखा था. एनजी ने कोर्ट को बताया कि साउथ दिल्ली के रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में 1100 पेड़ गैरकानूनी तरीके से काट दिए गए हैं. जबकि, रिज एरिया में पेड़ों को काटने से पहले सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेना आवश्यक है. इन पेड़ों को काटने की सूचना मिलने के बाद भी वन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की.

एनजीओ ने कोर्ट को बताया कि पेड़ काटने के बाद डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट में इनको काटने की इजाजत लेने आया. डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट को यह बात नहीं बताई कि उसने पहले ही ये पेड़ काट दिए हैं. डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है और अपने एफिडेविट पर भी झूठ बोला है. दिल्ली के फॉरेस्ट एरिया में केवल सुप्रीम कोर्ट पेड़ काटने की अनुमति दे सकता है. जब डीडीए की चोरी पकड़ी गई, तब सुप्रीम कोर्ट ने उससे पूछा कि किसके कहने पर ये पेड़ काटे गए हैं? इधर, दिल्ली सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद इस मामले को गंभीरता से लिया है.

यह भी पढ़ेंः दिल्ली रिज क्षेत्र में पेड़ों की कटाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए को फटकार लगाई, बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण का दिया प्रस्ताव

यह भी पढ़ेंः फॉरेस्ट डिपार्टमेंट व डीडीए को पता था कि उन्हें पेड़ काटने की परमिशन नहीं है फिर भी पेड़ काटे गए - सौरभ भारद्वाज

यह भी पढ़ेंः दिल्ली: मंत्री सौरभ भारद्वाज ने उपराज्यपाल पर लगाए 1100 पेड़ कटवाने के आरोप, मांगा इस्तीफा

नई दिल्ली: साउथ दिल्ली के रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में सुप्रीम कोर्ट से बिना अनुमति लिए 1100 पेड़ों को काटने के मामले में केजरीवाल सरकार ने सख्त रूख अपनाया है. चोरी-छिपे काटे गए इन सैकड़ों पेड़ों की वजह से दिल्ली के पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया गया है. लिहाजा, पर्यावरण एवं वन मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को वन विभाग के अफसरों के साथ महत्वपूर्ण बैठक की और उनसे इस संबंध में सारा रिकॉर्ड तलब किया है.

उन्होंने अवैध रूप से पेड़ों को काटने के मामले में अब तक की गई कार्रवाई की स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है. वन विभाग के अफसरों को यह सभी जानकारी गुरुवार सुबह 11 बजे तक देने का निर्देश दिया है. रिज एरिया में गैर कानूनी तरीके से पेड़ों के काटने के मामले में एक एनजीओ की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.

कुछ दिन पहले एक एनजीओ ने साउथ दिल्ली स्थित रिज एरिया में बिना किसी परमिशन के 1100 पेड़ काटने का मामला सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखा था. एनजी ने कोर्ट को बताया कि साउथ दिल्ली के रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में 1100 पेड़ गैरकानूनी तरीके से काट दिए गए हैं. जबकि, रिज एरिया में पेड़ों को काटने से पहले सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेना आवश्यक है. इन पेड़ों को काटने की सूचना मिलने के बाद भी वन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की.

एनजीओ ने कोर्ट को बताया कि पेड़ काटने के बाद डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट में इनको काटने की इजाजत लेने आया. डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट को यह बात नहीं बताई कि उसने पहले ही ये पेड़ काट दिए हैं. डीडीए ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की है और अपने एफिडेविट पर भी झूठ बोला है. दिल्ली के फॉरेस्ट एरिया में केवल सुप्रीम कोर्ट पेड़ काटने की अनुमति दे सकता है. जब डीडीए की चोरी पकड़ी गई, तब सुप्रीम कोर्ट ने उससे पूछा कि किसके कहने पर ये पेड़ काटे गए हैं? इधर, दिल्ली सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद इस मामले को गंभीरता से लिया है.

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Last Updated : Jun 26, 2024, 11:01 PM IST
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