विकासनगर: सहसपुर क्षेत्र के छरबा गांव निवासी उद्यमी सीता भट्ट उद्यमिता के क्षेत्र में कमाल कर रही हैं. सीता भट्ट खुद को आगे बढ़ रही हैं. साथ ही ग्रामीण महिलाओं को अपने साथ जोड़कर उन्हें भी आगे बढ़ा रही हैं. दरअसल सीता भट्ट ग्रामीण महिलाओं को घर पर ही रोजगार मुहैया करवा रही हैं. जिससे ग्रामीण महिलाएं प्रति महीने 12-से 15 हजार रुपये की आय अर्जित कर रही हैं और उपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना रही हैं. सीता भट्ट को कई राष्ट्रीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है.
जड़ी बूटियों से बनाया जाता है हेडवॉश और सैनिटाइजर: उद्यमी सीता भट्ट ने समूह का गठन कर तीस ग्रामीण महिलाओं को अपने साथ जोड़ा है और ग्रामीण क्षेत्र में जड़ी बूटियों से हेडवॉश, सैनिटाइजर, गाय के गोबर से दीपक, स्थानीय जड़ी-बूटियों से धूप, अगरबत्ती और हवन सामग्री बनाने के कार्य में नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं और एक उद्यमी के रूप में आगे बढ़ रही हैं..
कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं सीता भट्ट : बता दें कि उद्यमी सीता भट्ट को 2022 में पंतनगर विश्वविद्यालय में राज्य स्तरीय पुरस्कार से कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने सम्मानित किया था. 17 सिंतबर 2022 को उद्यमिता के क्षेत्र में नोएडा में आयोजित दीक्षांत समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा भी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इसके अलावा इसी साल दूरदर्शन के किसान चैनल द्वारा बेमिसाल बेटी पर एक फिल्म भी सीता भट्ट की कहानी पर बनाई गई थी. 11 दिसंबर 2023 को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और सीता भट्ट की मुलाकात 'नई कहानी नई सोच' कार्यक्रम में हुई थी.
30 महिलाओं को रोजगार दे रहीं उद्यमी सीता भट्ट: उद्यमी सीता भट्ट ने बताया कि वह उद्यमिता के क्षेत्र में कई वर्षों से काम कर रही हैं. उनके साथ 30 महिलाएंं जुड़कर अपनी आर्थिकी सुधार रही हैं. समूह से जुड़ी महिलाएं घर में सभी सामान तैयार करती हैं. उन्होंने कहा कि साल में जितने भी फेस्टिवल आते हैं, हम उनके अनुसार अलग-अलग तरीके से सामान बनाते हैं. गवर्नर हाउस में बसंत उत्सव कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें उनके द्वारा प्रदर्शनी भी लगाई जाती है.
होली पर हर्बल रंगों की ज्यादा मांग: उद्यमी सीता भट्ट ने बताया कि होली के त्यौहार पर हम हर्बल रंग बनाते हैं. ग्रीन कलर बनाने के लिए अखरोट और पालक के रस उपयोग करते हैं, गुलाबी रंग बनाने के लिए चुकंदर और गुलाब की पंखुड़ियों का उपयोग करते हैं, जबकि पीला रंग बनाने के लिए गेंदे के फूल का उपयोग करते हैं. उन्होंने कहा कि हर्बल रंगों की इतनी ज्यादा मांग होती है कि उन्हें पूरा करना मुश्किल हो जाता है. सीता भट्ट अपना आदर्श कृर्षि विज्ञान केंद्र के डॉक्टर किरण पंत और दोस्त श्यामा चौहान को बताया है.
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