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सकुशल घर लौटा बांग्लादेश में फंसा इंजीनियर का परिवार, पड़ोसी मुल्क के हालात पर कही ये बात - Bangladesh crisis

Ranchi's engineer family returned home safely. बांग्लादेश में सियासी संकट और हिंसा के बीच रांची का एक इंजीनियर परिवार वहां फंसा था. केंद्र और राज्य सरकार के प्रयास के बाद पूरा परिवार रांची अपने घर सकुशल लौट आया है. अपने घर लौटकर पूरे परिवार ने राहत की सांस ली है.

engineers family trapped in Bangladesh returned home safely to Ranchi
मनीष चौधरी का परिवार (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 13, 2024, 9:12 PM IST

रांचीः झारखंड की राजधानी रांची के रहने वाले इंजीनियर मनीष चौधरी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ सकुशल बांग्लादेश से लौट आए हैं. रांची लौटने के बाद मनीष ने राहत की सांस ली है. मनीष चौधरी बांग्लादेश में एक निजी कंपनी के चल रहे प्रोजेक्ट में कार्यरत थे.

बांग्लादेश में फंसे रांची के इंजीनियर परिवार ने घर लौटने के बाद अपने अनुभव को साझा किया (ETV Bharat)

वाकई में खराब था माहौल

रांची के रहने वाले मनीष चौधरी अपनी पत्नी और दोनों बच्चों के साथ भारत लौट आए है. बांग्लादेश से कोलकाता और फिर कोलकाता से रांची स्थित आवास पहुंच कर मनीष ने राहत की सांस ली है. मनीष सोमवार की देर रात रांची लौटे और वे अब बांग्लादेश से मिले तनाव की स्थिति से उबरने की कोशिश कर रहे है. मनीष की पत्नी भी भारत लौटने के बाद काफी खुश नजर आईं, स्वाति ने कहा कि रांची पहुंच कर अब उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है.

'हमने आंखों से कोई हिंसा नहीं देखी'

मनीष चौधरी के अनुसार बांग्लादेश जब आंदोलन का दौर शुरू हुआ तब तक भी उनलोगों को कोई दिक्कत महसूस नहीं हुई. जब शेख हसीना देश छोड़ कर चली गईं और हर तरफ हिंसा शुरू हो गयी तब उन्हें चिंता सताने लगी. मनीष के अनुसार वे अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बांग्लादेश के रंगपुर में पाकर मठ में रह रहे थे. पाकर मठ में किसी भी तरह का तनाव नहीं था और न ही कहीं प्रदर्शन हो रहा था. लेकिन भारतीय दूतावास से उन्हें यह निर्देश मिला था कि वे घर से न निकलें. दूतावास के निर्देश के बाद वे लोग घर में ही कैद रहे. मनीष के अनुसार वे लोग भी बांग्लादेश के हालात की जानकारी सोशल मीडिया के द्वारा ही जान रहे थे. क्योकि रंगपुर में हालात एकदम सामान्य थे.

झारखंड से लगातार संपर्क में थे अधिकारी

मनीष चौधरी के अनुसार वे लोग लगातार भारतीय दूतावास के संपर्क में तो थे ही, साथ साथ झारखंड सरकार के भी संपर्क में थे. जब तक वे लोग रांची नहीं पहुंच गए तब उनकी पल-पल की जानकारी भारतीय दूतावास से और झारखंड सरकार के द्वारा ली जाती रही. पेशे से इंजीनियर मनीष चौधरी बांग्लादेश के रंगपुर में एक निजी कंपनी के प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे. रंगपुर के ही पाकर मठ में वे अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रहते थे.

इसे भी पढ़ें- बांग्लादेश में फंसा रांची का इंजीनियर, निजी कंपनी में है कार्यरत - engineer stranded in Bangladesh

इसे भी पढे़ं- बांग्लादेश में फंसे 190 ट्रक चालक भारत लौटे, ड्राइवर ने सुनाई दिल दहला देने वाली आपबीती - INDIAN TRUCK DRIVERS

रांचीः झारखंड की राजधानी रांची के रहने वाले इंजीनियर मनीष चौधरी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ सकुशल बांग्लादेश से लौट आए हैं. रांची लौटने के बाद मनीष ने राहत की सांस ली है. मनीष चौधरी बांग्लादेश में एक निजी कंपनी के चल रहे प्रोजेक्ट में कार्यरत थे.

बांग्लादेश में फंसे रांची के इंजीनियर परिवार ने घर लौटने के बाद अपने अनुभव को साझा किया (ETV Bharat)

वाकई में खराब था माहौल

रांची के रहने वाले मनीष चौधरी अपनी पत्नी और दोनों बच्चों के साथ भारत लौट आए है. बांग्लादेश से कोलकाता और फिर कोलकाता से रांची स्थित आवास पहुंच कर मनीष ने राहत की सांस ली है. मनीष सोमवार की देर रात रांची लौटे और वे अब बांग्लादेश से मिले तनाव की स्थिति से उबरने की कोशिश कर रहे है. मनीष की पत्नी भी भारत लौटने के बाद काफी खुश नजर आईं, स्वाति ने कहा कि रांची पहुंच कर अब उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है.

'हमने आंखों से कोई हिंसा नहीं देखी'

मनीष चौधरी के अनुसार बांग्लादेश जब आंदोलन का दौर शुरू हुआ तब तक भी उनलोगों को कोई दिक्कत महसूस नहीं हुई. जब शेख हसीना देश छोड़ कर चली गईं और हर तरफ हिंसा शुरू हो गयी तब उन्हें चिंता सताने लगी. मनीष के अनुसार वे अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बांग्लादेश के रंगपुर में पाकर मठ में रह रहे थे. पाकर मठ में किसी भी तरह का तनाव नहीं था और न ही कहीं प्रदर्शन हो रहा था. लेकिन भारतीय दूतावास से उन्हें यह निर्देश मिला था कि वे घर से न निकलें. दूतावास के निर्देश के बाद वे लोग घर में ही कैद रहे. मनीष के अनुसार वे लोग भी बांग्लादेश के हालात की जानकारी सोशल मीडिया के द्वारा ही जान रहे थे. क्योकि रंगपुर में हालात एकदम सामान्य थे.

झारखंड से लगातार संपर्क में थे अधिकारी

मनीष चौधरी के अनुसार वे लोग लगातार भारतीय दूतावास के संपर्क में तो थे ही, साथ साथ झारखंड सरकार के भी संपर्क में थे. जब तक वे लोग रांची नहीं पहुंच गए तब उनकी पल-पल की जानकारी भारतीय दूतावास से और झारखंड सरकार के द्वारा ली जाती रही. पेशे से इंजीनियर मनीष चौधरी बांग्लादेश के रंगपुर में एक निजी कंपनी के प्रोजेक्ट में काम कर रहे थे. रंगपुर के ही पाकर मठ में वे अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रहते थे.

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