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जलदाय विभाग के निजीकरण के विरोध में अधिकारी और कर्मचारी संगठन लामबंद, सरकार को 7 दिन का अल्टीमेटम - employees protest

राजस्थान में पानी और सीवरेज संबंधी कार्यों के लिए प्रस्तावित राजस्थान वॉटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन (आरडब्ल्यूएसएससी)के गठन पर जलदाय विभाग के कर्मचारियों ने विरोध जताया है. इस मुद्दे पर सोमवार को कर्मचारी संगठनों ने जलभवन के सामने प्रदर्शन​ किया.

employees protest
अधिकारी और कर्मचारी संगठन लामबंद (PHOTO ETV BHARAT Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jul 22, 2024, 4:31 PM IST

जलदाय विभाग के निजीकरण के विरोध में अधिकारी और कर्मचारी संगठन लामबंद (Video ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. राजस्थान वॉटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन (आरडब्ल्यूएसएससी) के नए सिरे से गठन के मामले का विरोध बढ़ता जा रहा है. जल भवन में सोमवार को अभियंताओं और कर्मचारी संगठनों की ओर से प्रदर्शन किया गया. जल भवन में हुए इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में अभियंताओं और कर्मचारियों ने हिस्सा लिया और एक स्वर में मांग की कि सरकार राजस्थान वाटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन के निर्णय को वापस लें. इस मुद्दे को लेकर सरकार को 7 दिन का अल्टिमेटम दिया गया है.

आरडब्ल्यूएसएससी आंदोलन के मामले में अभियंताओं, अधिकारियों और कर्मचारियों ने संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया गया है. इसमें 13 संगठन शामिल है. संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले सैंकड़ों अभियंता और कर्मचारी जल भवन में एकत्र हुए आरडब्ल्यूएसएससी को वापस लेने की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदर्शन के बाद चीफ इंजीनियर (प्रशासन) को मुख्यमंत्री और विभाग के शासन सचिव के नाम ज्ञापन भी सौंपा.

पढ़ें: चिकित्सा विभाग के लिए ट्रांसफर पॉलिसी बना गले की फांस, विरोध में उतरे चिकित्सा संगठन

संयुक्त संघर्ष समिति ने मांग की कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्यों एवं कार्मिकों को आरडब्ल्यूएसएससी को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए. अभियंताओं और कर्मचारियों की 2023-24 एवं 2024-25 की डीपीसी जुलाई में ही संपन्न करवाई जाए. तकनीकी कर्मचारियों की भर्ती तुरंत की जाए. विभागीय अभियंताओं के खिलाफ एक तरफा कार्रवाई तुरंत रोकी जाए. संयुक्त संघर्ष समिति ने 7 दिन का सरकार को अल्टीमेटम दिया है और कहा है कि 7 दिन में यदि उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो 29 जुलाई से राज्यव्यापी आंदोलन और धरना प्रदर्शन किया जाएगा. राजस्थान पीएचईडी तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष संतोष विजय ने बताया कि बजट में सरकार ने पेयजल परियोजनाओं को राजस्थान वॉटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन को देने की घोषणा की है. यह 1979 में बना एक्ट है. हम इस काले कानून का पुरजोर विरोध करते हैं. हमारी सरकार से मांग है कि इसे तुरंत निरस्त किया जाए और अभियंताओं और कर्मचारियों को राहत दी जाए.

यह भी पढ़ें:राज्य कर्मचारियों के खुशखबरी, भजनलाल सरकार ने DA बढ़ाया

अभियंताओं के संगठन आरएसईएसए के अध्यक्ष भवनेश कुलदीप ने बताया कि हम राज्य सरकार के कर्मचारी हैं. हम किसी निगम और बोर्ड में नहीं जाना चाहते. यहीं रहकर काम करना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि पीएचईडी को आरडब्ल्यूएसएससी के अधीन करने से उपभोक्ताओं और कर्मचारियों को भारी पड़ेगा. पानी के बिल भी कई गुना बढ़ जाएंगे और यह बिल वसूल करने के लिए बोर्ड पूरी तरह से स्वतंत्र होगा. पीएचईडी राज्य सरकार का विभाग है और यह वेलफेयर का मुद्दा है. हम विभाग के कर्मचारी रहकर ही सेवा करना चाहते हैं, हमें निगम और बोर्ड की कोई जरूरत नहीं है. प्रांतीय नल मजदूर यूनियन इंटक के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह शेखावत ने कहा कि बोर्ड बनने से कर्मचारियों और उपभोक्ताओं को नुकसान ही नुकसान है. यह बोर्ड बनाकर सरकार पीएचईडी का निजीकरण कर रही है. बोर्ड बनने के बाद कर्मचारियों को सेवा में रहते हुए और सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले आर्थिक लाभ भी नहीं मिल पाएंगे कर्मचारियों की भर्ती भी समय पर नहीं हो पाएगी.

सरकार को दी चेतावनी: उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार यदि इसे निरस्त नहीं करती है तो आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन होगा और अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन भी किया जाएगा. तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री राजकुमार कायथ ने बताया कि अभी तो कर्मचारी और अधिकारियों की सैलरी व अन्य लाभ समय पर मिल रहे हैं, यदि इस बोर्ड का गठन हो जाता है तो कर्मचारियों और अधिकारियों को समय पर तनख्वाह भी समय पर नहीं मिलेगी और इससे ठेकेदारों का हस्तक्षेप भी बढ़ जाएगा.

प्रदर्शन में बारिश ने डाला खलल: आरडब्ल्यूएसएससी के विरोध में चल रहे धरना प्रदर्शन में बारिश ने भी खलल डाला. धरना प्रदर्शन शुरू होने के कुछ देर बाद ही बारिश शुरू हो गई और काफी देर तक चलती रही. प्रदर्शन में शामिल लोग इधर-उधर हो गए. बारिश रुकने के बाद संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री और विभाग के शासन सचिव के नाम मुख्य अभियंता प्रशासन को ज्ञापन दिया.

जलदाय विभाग के निजीकरण के विरोध में अधिकारी और कर्मचारी संगठन लामबंद (Video ETV Bharat Jaipur)

जयपुर. राजस्थान वॉटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन (आरडब्ल्यूएसएससी) के नए सिरे से गठन के मामले का विरोध बढ़ता जा रहा है. जल भवन में सोमवार को अभियंताओं और कर्मचारी संगठनों की ओर से प्रदर्शन किया गया. जल भवन में हुए इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में अभियंताओं और कर्मचारियों ने हिस्सा लिया और एक स्वर में मांग की कि सरकार राजस्थान वाटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन के निर्णय को वापस लें. इस मुद्दे को लेकर सरकार को 7 दिन का अल्टिमेटम दिया गया है.

आरडब्ल्यूएसएससी आंदोलन के मामले में अभियंताओं, अधिकारियों और कर्मचारियों ने संयुक्त संघर्ष समिति का गठन किया गया है. इसमें 13 संगठन शामिल है. संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले सैंकड़ों अभियंता और कर्मचारी जल भवन में एकत्र हुए आरडब्ल्यूएसएससी को वापस लेने की मांग को लेकर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रदर्शन के बाद चीफ इंजीनियर (प्रशासन) को मुख्यमंत्री और विभाग के शासन सचिव के नाम ज्ञापन भी सौंपा.

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संयुक्त संघर्ष समिति ने मांग की कि जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के कार्यों एवं कार्मिकों को आरडब्ल्यूएसएससी को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए. अभियंताओं और कर्मचारियों की 2023-24 एवं 2024-25 की डीपीसी जुलाई में ही संपन्न करवाई जाए. तकनीकी कर्मचारियों की भर्ती तुरंत की जाए. विभागीय अभियंताओं के खिलाफ एक तरफा कार्रवाई तुरंत रोकी जाए. संयुक्त संघर्ष समिति ने 7 दिन का सरकार को अल्टीमेटम दिया है और कहा है कि 7 दिन में यदि उनकी मांग पूरी नहीं होती है तो 29 जुलाई से राज्यव्यापी आंदोलन और धरना प्रदर्शन किया जाएगा. राजस्थान पीएचईडी तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष संतोष विजय ने बताया कि बजट में सरकार ने पेयजल परियोजनाओं को राजस्थान वॉटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन को देने की घोषणा की है. यह 1979 में बना एक्ट है. हम इस काले कानून का पुरजोर विरोध करते हैं. हमारी सरकार से मांग है कि इसे तुरंत निरस्त किया जाए और अभियंताओं और कर्मचारियों को राहत दी जाए.

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अभियंताओं के संगठन आरएसईएसए के अध्यक्ष भवनेश कुलदीप ने बताया कि हम राज्य सरकार के कर्मचारी हैं. हम किसी निगम और बोर्ड में नहीं जाना चाहते. यहीं रहकर काम करना चाहते हैं. उन्होंने बताया कि पीएचईडी को आरडब्ल्यूएसएससी के अधीन करने से उपभोक्ताओं और कर्मचारियों को भारी पड़ेगा. पानी के बिल भी कई गुना बढ़ जाएंगे और यह बिल वसूल करने के लिए बोर्ड पूरी तरह से स्वतंत्र होगा. पीएचईडी राज्य सरकार का विभाग है और यह वेलफेयर का मुद्दा है. हम विभाग के कर्मचारी रहकर ही सेवा करना चाहते हैं, हमें निगम और बोर्ड की कोई जरूरत नहीं है. प्रांतीय नल मजदूर यूनियन इंटक के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह शेखावत ने कहा कि बोर्ड बनने से कर्मचारियों और उपभोक्ताओं को नुकसान ही नुकसान है. यह बोर्ड बनाकर सरकार पीएचईडी का निजीकरण कर रही है. बोर्ड बनने के बाद कर्मचारियों को सेवा में रहते हुए और सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले आर्थिक लाभ भी नहीं मिल पाएंगे कर्मचारियों की भर्ती भी समय पर नहीं हो पाएगी.

सरकार को दी चेतावनी: उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार यदि इसे निरस्त नहीं करती है तो आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन होगा और अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन भी किया जाएगा. तकनीकी कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री राजकुमार कायथ ने बताया कि अभी तो कर्मचारी और अधिकारियों की सैलरी व अन्य लाभ समय पर मिल रहे हैं, यदि इस बोर्ड का गठन हो जाता है तो कर्मचारियों और अधिकारियों को समय पर तनख्वाह भी समय पर नहीं मिलेगी और इससे ठेकेदारों का हस्तक्षेप भी बढ़ जाएगा.

प्रदर्शन में बारिश ने डाला खलल: आरडब्ल्यूएसएससी के विरोध में चल रहे धरना प्रदर्शन में बारिश ने भी खलल डाला. धरना प्रदर्शन शुरू होने के कुछ देर बाद ही बारिश शुरू हो गई और काफी देर तक चलती रही. प्रदर्शन में शामिल लोग इधर-उधर हो गए. बारिश रुकने के बाद संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री और विभाग के शासन सचिव के नाम मुख्य अभियंता प्रशासन को ज्ञापन दिया.

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