चंडीगढ़: वित्तीय संकट के चलते चंडीगढ़ के मेयर कुलदीप कुमार ने नगर निगम की आपातकालीन सदन बैठक बुलाई थी, जिसके लिए सोमवार शाम को सर्कुलर भेज कर मंगलवार दोपहर को स्पेशल हाउस मीटिंग रखी गई थी. इस मौके पर मेयर और नए डीसी की ओर से शहर के विकास कार्यों और नगर निगम के कर्मचारियों के खर्चों पर चर्चा की जानी थी, लेकिन एक घंटे पार्षदों की ओर से हंगामा किए जाने के बाद मीटिंग को रद्द कर दिया गया.
हंगामेदार रही स्पेशल हाउस मीटिंग : नगर निगम के नियमों के मुताबिक मेयर की ओर से मीटिंग के लिए 48 घंटे पहले नोटिस भेजना जरूरी होता है. साथ ही मेयर को सभी काउंसलर को एजेंडा भेजना भी जरूरी होता है, लेकिन मंगलवार सुबह 11 बजे तक किसी भी काउंसलर को एजेंडा नहीं भेजा गया था, जिस पर सदन में खूब हंगामा हुआ. भाजपा ने लगातार मेयर से सवाल पूछा कि बैठक बुलाने से 48 घंटे पहले एजेंडा दिया जाता है, लेकिन बिना एजेंडा दिए ही ये मीटिंग कैसे बुलाई गई.
नए कमिश्नर की पहली बैठक : वहीं नगर निगम के नए कमिश्नर अमित कुमार की ये पहली बैठक थी लेकिन खूब हंगामेदार रही, जिस पर कोई चर्चा आधे घंटे तक नहीं हुई और उसके बाद मेयर ने बैठक समाप्त करने का ऐलान कर दिया. नेशनल एंथम कर मीटिंग को समाप्त कर दिया गया. वहीं कांग्रेस और आदमी पार्टी ने भाजपा पर निशाना साधा कि बिना चर्चा के ही बैठक से भाग गए.
हम संकट को संभाल सकते थे : भाजपा पार्षद हरप्रीत बबला ने बताया कि मेयर की ओर से रखी गई आपातकालीन बैठक के लिए किसी भी पार्षद के पास एजेंडा नहीं था जिस पर चर्चा की जाए. वहीं दूसरी और पिछले 4 महीने से नगर निगम वित्तीय संकट से जूझ रहा है. ऐसे में फिजूलखर्ची ना करते हुए हम लोग वित्तीय संकट को संभाल सकते थे. भाजपा के सभी पार्षद मेयर की मदद करना चाहते हैं, लेकिन जब तक उनके पास कोई एजेंडा नहीं होगा तो वो ऐसे में अपनी राय नहीं रख पाएंगे.
भाजपा की कथनी करनी में अंतर : वहीं, कांग्रेस पार्षद गुरप्रीत सिंह गोपी ने भी कहा कि भाजपा की कथनी और करनी में अंतर है. आज अहम मुद्दों पर चर्चा होनी थी, लेकिन भाजपा नहीं चाहती इन मुद्दों पर चर्चा हो, इसलिए वे लगातार सवाल खड़े कर रहे थे.
मेयर बोले- भाजपा चर्चा नहीं चाहती : वहीं मेयर कुलदीप कुमार ने भी कहा कि आज की बैठक अहम थी. उन्होंने ये बैठक नगर निगम के वित्तीय हालात पर चर्चा करने के लिए बुलाई थी. नगर निगम का रेवेन्यू बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की जानी थी, लेकिन विपक्ष ऐसा नहीं चाहता था. विपक्ष कह रहा था कि हर्जाना भी मेयर से लिया जाना चाहिए तो मैं बता दूं कि इससे पहले भी कई बार बैठक बुलाई गई, क्या उनसे भी हर्जाना लिया गया.
बता दें कि 2009 में कांग्रेस के पूर्व मेयर कमलेश की ओर से इसी तरह की मीटिंग आपातकालीन स्थिति में बुलाई गई थी, जिसके बाद उन्हें मीटिंग का पूरा खर्च उठाना पड़ा था. तब मेयर कमलेश ने 80 हजार रुपए का जुर्माना भरा था, जो आज तक उन्हें वापस नहीं मिला है. ऐसे में चर्चा थी कि चंडीगढ़ के मेयर कुलदीप कुमार को भी जुर्माना भरना पड़ सकता है.
इसे भी पढ़ें : चंडीगढ़ नगर निगम की हालत खराब, वेतन देने के पड़े लाले, मंगलवार को बुला डाली इमरजेंसी बैठक
इसे भी पढ़ें : आनंदिता मित्रा फिर से बनी चंडीगढ़ नगर निगम कमिश्नर, 3 महीने के लिए बढ़ाया गया कार्यकाल - Chandigarh Nagar Nigam Commissioner