कोरबा : वनांचल क्षेत्र के धान खरीदी केंद्रों में हाथियों का दल मंडरा रहा है. प्रदेश में बदलते मौसम के बीच धान के भीगने का खतरा भी बना हुआ है. इस बीच धान खरीदी केंद्र पहुंचने वाले किसान फटी हुई बोरियों से भी जूझ रहे हैं. जो किसान यहां धान बेचने आ रहे हैं, उन्हें अच्छी क्वालिटी की बोरी नहीं मिल रही है, जिससे किसान बोरी सिलकर उसी में धान बेचने को मजबूर हैं.
बोरी सिलकर धान भर रहे किसान : धान खरीदी केंद्र नवापारा पहुंचे किसान अमित राठिया ने बताया कि वह अभी 310 कट्टा धान लेकर इसे बेचने के लिए पहुंचा. धान खरीदी केंद्र में बैठने की व्यवस्था पानी आदि का इंतजाम ठीक है, लेकिन बोरी ठीक नहीं है. फटी हुई बोरियां मिली है, जिसके कारण काफी परेशानी हो रही है. काफी समय और मेहनत भी लग रहा है.
मैं 113 कट्टी धन लेकर केंद्र आया हूं. पहले जितने का टोकन कटवाया था, उतनी मात्रा में धान बेच दिया, राशि भी खाते में आ गई है. व्यवस्था अच्छी है, लेकिन खरीदी केंद्र में काफी पुरानी बोरी राखी गई है, जिसे बार-बार सिलना पड़ रहा है. इसमें धान डालने पर जमीन पर गिर रहा है. इस कारण परेशानी हो रही है : श्याम कुमार पटेल, किसान
धान के भीगने का मंडराया खतरा : बदलते मौसम ने भी फड़ प्रभारियों की चिंता बढ़ा रखी है. हल्की बूंदाबांदी से धान कुछ भीग गई है. यदि मौसम ज्यादा खराब हुआ तो धान के अधिक भीगने का खतरा बना हुआ है. हालांकि, धान खरीदी केंद्र प्रबंधन और सहकारी विभाग का कहना है कि पर्याप्त मात्रा में तिरपाल भंडारित किए गए हैं.
हमें ऊपर से ही फटी हुई बोलियां मिली हैं, किसी तरह से काम चला रहे हैं. किसानों को भी सिलने को कहा गया है. अधिक बारिश होने पर धान को भीगने से बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में तिरपाल का भंडारण हमारे पास है : मनोज कुमार, फड़ प्रभारी, धान खरीदी केंद्र नवापारा
धान खरीदी केंद्रों में हाथियों का खतरा : कोरबा जिले के कई धान खरीदी केंद्र हैं, जो हाथी प्रभावित क्षेत्र में आते हैं. करतला ब्लॉक के धान खरीदी केंद्र नवापारा और रामपुर में रोज शाम को हाथियों का दल पहुंचता है, जिसे खदेड़ने के लिए कर्मचारी खुद यहां तैनात रहते हैं. लेकिन धान की खुशबू से आकर्षित होकर आसपास के क्षेत्र में मंडराने वाले हाथियों का दल खरीदी केंद्र पहुंचने लगे हैं. हाथियों को खदेड़ने के लिए कुछ किसानों के ट्रेक्टर समिति ने उधार पर लिए हैं .जिसका साइलेंसर निकालकर तेज आवाज निकल जाती है.
रोज शाम होते ही हाथियों का दल भी केंद्र तक पहुंच जाता है, जिन्हें खदेड़ने के लिए 40 से 50 कर्मचारी और किसान तैनात रहते हैं. जान का खतरा बना हुआ है. रामपुर केंद्र में तो प्रभारी ने भागकर हाथियों से अपनी जान बचाई थी. शिकायत करने पर वन विभाग भी एक सायरन वाली गाड़ी भेज देता है, लेकिन ज्यादा कुछ उपाय नहीं किए गए हैं : मनोज कुमार, फड़ प्रभारी, धान खरीदी केंद्र नवापारा
धान खरीदी केंद्र नवापारा की क्षमता 40 हजार क्विंटल की है. वर्तमान में यहां 33 से 34 हजार क्विंटल धान का स्टॉक किया जा चुका है. किसानों से हर दिन धान की खरीदी भी हो रही है. लेकिन बदलते मौसम और हाथियों की दस्तक ने किसानों सहित फड प्रभारियों और अधिकारियों की चिंता बढ़ा दी है. इन समस्याओं का प्रशासन को जल्द ही समाधान निकालना होगा. ताकि धान की फसल को सुरक्षित रखा जा सके.