रांचीः झारखंड में राज्यसभा की कुल छह सीटें हैं. इनमें से दो सीटें तीन मई 2024 को खाली होने जा रही है. कांग्रेस के राज्यसभा सांसद धीरज साहू और भाजपा के राज्यसभा सांसद समीर उरांव का कार्यकाल पूरा होने जा रहा है. मतों के लिहाज से देखें तो एक सीट झामुमो तो दूसरी सीट भाजपा के खाते में जा सकती है. दोनों सीटों पर निर्विरोध चुनाव की संभावना है, क्योंकि झारखंड में एक सीट को जीतने के लिए पहली प्राथमिकता के 27 वोट की जरूरत होती है. सरफराज अहमद के गांडेय सीट से इस्तीफा देने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायकों की कुल संख्या 29 है. वहीं बाबूलाल मरांडी को मिलाकर भाजपा के पास कुल 26 विधायक हैं. एनडीए में शामिल आजसू के तीन विधायकों का साथ मिलने से भाजपा के पास पहली प्राथमिकी के वोटों की संख्या 29 हो जाती है. इससे साफ है कि एक सीट झामुमो तो दूसरी सीट पर भाजपा की जीत तय है. कांग्रेस के पास कुल 17 विधायक हैं. इस लिहाज से कांग्रेस का प्रत्याशी झामुमो के सहयोग के बिना नहीं जीत पाएगा. अब देखना है कि महागठबंधन के लिहाज से झामुमो और कांग्रेस में क्या समीकरण बनता है.
निर्वाचन आयोग ने की तारीखों की घोषणा
भारत निर्वाचन आयोग ने झारखंड की दोनों राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव तारीखों की घोषणा कर दी है. इसके लिए 4 मार्च को नोटिफिकेशन जारी होगा. नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 11 मार्च होगी. नामांकन की स्क्रूटनी 12 मार्च को होगी. नामांकन वापस लेने की तारीख 14 मार्च तय की गई है. दोनों सीटों के लिए एक से ज्यादा प्रत्याशी के नामांकन करने पर 21 मार्च को वोटिंग होगी. मतदान का समय सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक होगा. मतदान होने पर उसी दिन शाम 5 बजे से मतों की गिनती होगी. जबकि 23 मार्च से पहले चुनाव की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी.
राज्यसभा में झारखंड की भागीदारी
वर्तमान में झारखंड में राज्यसभा सदस्यों की कुल संख्या 6 है. तीन सीटों पर भाजपा के समीर उरांव, दीपक प्रकाश और आदित्य साहू राज्यसभा सांसद हैं. झामुमो से शिबू सोरेन और महुआ माजी, जबकि कांग्रेस के धीरज साहू राज्यसभा सांसद हैं. मई माह में भाजपा के समीर उरांव और कांग्रेस के धीरज साहू का कार्यकाल खत्म हो जाएगा. इससे पहले 21 मार्च को विजयी प्रत्याशी के नाम की घोषणा हो जाएगी. वोटों के समीकरण के हिसाब से आगामी चुनाव के बाद छह में से तीन सांसद भाजपा और तीन सांसद झामुमो के होंगे. कांग्रेस झारखंड से आउट हो जाएगी.
झारखंड में चार बार हुआ है निर्विरोध निर्वाचन
झारखंड गठन के बाद से अबतक चार बार दो-दो प्रत्याशियों का निर्विरोध निर्वाचन हुआ है. 2004 में पहली बार यशवंत सिन्हा और स्टीफन मरांडी निर्विरोध निर्वाचन के आधार पर राज्यसभा सांसद बने थे. साल 2006 में माबेल रिबेलो और एसएस अहलूवालिया का निर्विरोध निर्वाचन हुआ था. साल 2014 में निर्दलीय प्रत्याशी परिमल नथवानी और प्रेमचंद गुप्ता निर्विरोध चुने गए थे. इसके बाद 2022 में झामुमो की महुआ माजी और भाजपा के आदित्य साहू निर्विरोध चुने जाने के बाद राज्यसभा पहुंचे थे. उम्मीद की जा रही है कि मतों की संख्या के लिहाज से इस बार भी दोनों सीटों पर निर्विरोध चुनाव होगा.
कैसे होता है राज्यसभा का चुनाव
यह चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होता है. इसमें जनता की जगह संबंधित विधानसभा के विधायक वोट देते हैं. इसके लिए एक फॉर्मूला होता है. झारखंड में दो सीटों पर चुनाव होना है. इसके लिए विधानसभा के कुल सदस्यों की संख्या में रिक्त दो सीटों में एक जोड़कर विभाजित किया जाता है. झारखंड के 80 विधायकों की संख्या में राज्यसभा की दो सीट में एक अंक जोड़कर यानी 80 को 3 से विभाजित करने पर 26.66 आता है. इसमें 1 जोड़ने पर संख्या 27.66 हो जाती है. इस लिहाज से एक उम्मीदवार को 27 प्राथमिक वोट की जरूरत पड़ती है. इस दौरान सभी विधायकों को पहली पसंद और दूसरी पसंद का उम्मीदवार बताना पड़ता है. जिसको प्राथमिकता के लिए तय वोट मिल जाता है, वह जीत जाता है. ऐसा नहीं होने पर पूरी चुनावी प्रक्रिया से गुजरना होता है.
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