देहरादून: उत्तराखंड से पूर्व राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को बीजेपी ने पौड़ी गढ़वाल लोकसभा से चुनावी मैदान में उतारा है. अनिल बलूनी लंबे समय से उत्तराखंड में जमीन स्तर की राजनीति के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे. अनिल बलूनी उत्तराखंड में दो दशक बाद कोई सीधा चुनाव लड़ रहे हैं. इससे पहले अनिल बलूनी कोटद्वार विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में किस्मत आजमा चुके हैं. अनिल बलूनी का ये चुनाव उनके लिए कई मायनों में खास था. इस चुनाव के लिए अनिल बलूनी को हाईकोर्ट से लेक सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा था. क्या थी अनिल बलूनी के इस चुनाव के पीछे की कहानी? क्यों अनिल बलूनी को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा? आइये आपको बताते हैं.
बता दें अनिल बलूनी नकोट गांव के रहने वाले हैं. नकोट गांव पौड़ी जिले में आता है. अनिल बलूनी में अपनी राजनीति की शुरूआत भी पौड़ी जिले से ही की. राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में 2002 में पहले विधानसभा चुनाव हुये. जिसमें अनिल बलूनी भी चुनाव लड़े. साल 2002 में अनिल बलूनी ने बीजेपी के टिकट पर कोटद्वार विधानसभा से नोमिनेशन किया. इस बार उनकी नॉमिनेशन रद्द कर दिया गया, जिसके बाद अनिल बलूनी नोमिनेशन रद्द मामले को लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए. साल 2002 में कोटद्वार विधानसभा से कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी जीते.
वहीं, इस बीच अनिल बलूनी नॉमिनेशन रद्द मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने अनिल बलूनी नॉमिनेशन रद्द को गलत पाया. जिसके कारण 2002 के विधानसभा चुनाव कैंसिल हुये. इसके बाद कोटद्वार विधानसभा में 2005 में उपचुनाव हुआ. जिसमें अनिल बलूनी ने फिर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा. इस उपचुनाव में भी अनिल बलूनी को हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद अनिल बलूनी ने ग्राउंड पर कोई चुनाव नहीं लड़ा. इस चुनाव में हारने के बाद अनिल बलूनी ने दिल्ली की ओर रुख किया.
दिल्ली में अनिल बलूनी संघ के नेताओं के संपर्क में आये. जिसके बाद अनिल बलूनी सुंदर भंडारी के खास हुए. सुंदर भंडारी जब बिहार के राज्यपाल थे तब बलूनी उनके ओएसडी थे. इसके बाद वे भंडारी के साथ गुजरात भी गये. इस दौरान नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे. इसी दौरान अनिल बलूनी, नरेंद्र मोदी के करीब आये. जिसके बाद उन्हें साल 2014 में बीजेपी में बड़ी जिम्मेदारी मिली. 2014 में बलूनी को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया. इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी गई. जिसमें उन्होंने अभूतपूर्व काम किया. जिसका उन्हें इनाम मिला.अनिल बलूनी को 10 मार्च 2018 में उत्तराखंड से राज्यसभा भेजा गया. साल 2024 में राज्यसभा कार्यकाल पूरा होने के बाद अब मोदी शाह उन्हें लोकसभा चुनाव में उतार रहे हैं.
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